हेलो स्टुडेंट हर बार की तरह आज इस नये पोस्ट में स्वागत है आज का यह पोस्ट आपके लिए बेहद जरूरी है। इस पोस्ट में उपयोगिता ह्रास नियम के बारे में जानकारी दी गई है साथ में उदाहरण, उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद आदि के बारे में भी चर्चा की गई है।
उपयोगिता ह्रास नियम से आप क्या समझते हैं?
किसी मनुष्य के पास किसी वस्तु की मात्रा में वृद्धि होने से जो अतिरिक्त लाभ उसे होता है वह उसकी मात्रा में प्रत्येक वृद्धि के साथ घटती जाती है, यदि अन्य बातें समान रहे।
उपयोगिता ह्रास नियम को प्रोफेसर टामस के अनुसार “जैसे-जैसे कोई मनुष्य किसी समय पर किसी वस्तु का अधिकाधिक मात्रा में उपयोग करता है वैसे-वैसे प्रत्येक बाद वाली मात्रा की उपयोगिता कम हो जाती है।” सीमांत उपयोगिता की क्रमशः घटने की इस प्रवृत्ति को अर्थशास्त्र में उपयोगिता ह्रास नियम कहते हैं।
नियम की व्याख्या
मनुष्य की आवश्यकताओं का एक मुख्य लक्षण हैं यह हैं कि व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक आवश्यकता पूरी तरह संतुष्ट हो सकती है। हम जानते हैं कि वस्तु का उपयोग करते समय उसकी किसी इकाई से जो उपयोगिता प्राप्त होती है, वह उस वस्तु का गुण नहीं होता है बल्कि उपभोक्ता की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। अवश्यकता की तीव्रता का वस्तु से प्राप्त होने वाली उपयोगिता से सीधा संबंध होता है। जितना अधिक तीव्र आवश्यकता होगी, उतनी ही अधिक उपयोगिता उससे संतुष्ट करते समय प्राप्त होती है।
जैसे-जैसे आवश्यकता की तीव्रता घटती जाती है उस वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता भी कम होती है। जब हम किसी वस्तु की पहली इकाई का उपभोग करते हैं तो हमारी आवश्यकता आंशिक रूप से संतुष्ट हो जाती हैं और उस वस्तु की दूसरी इकाई के लिए आवश्यकता की तीव्रता उतनी अधिक नहीं रहती है जितने की पहली इकाई के समय थी। यही कारण है कि वस्तु की दूसरी इकाई से हमें उतनी उपयोगिता प्राप्त नहीं होती है जितने की पहली इकाई से हुई थी।
उदाहरण
जब हमें तेज भूख लगती है तब रोटी की पहली इकाई से हमें जो उपयोगिता मिलती है वह अधिकतम होता है। माप की सुविधा के लिए हम उसे 100 मान लेते हैं। जब हमने रोटी की पहली इकाई का उपभोग किया तो हमें अधिकतम अर्थात 100 उपयोगिता प्राप्त हुई।अब हम दूसरी इकाई का उपभोग करते हैं। इस समय हमारी उपयोगिता उतनी तेज नहीं है जितने की प्रथम रोटी खाने के पहले थी।
इसलिए दूसरी रोटी से हमें पहले की अपेक्षा कुछ कम उपयोगिता प्राप्त होगी जिससे हम 80 मान लेते हैं। इस प्रकार जब हम रोटी की तीसरी इकाई का उपभोग करने चलते हैं तो उससे और भी कम उपयोगिता प्राप्त होती है अर्थात यह उपयोगिता 60 के बराबर मानी जा सकती है। हम तीसरी के बाद चौथे, पांचवें से छठे और अंत में सातवें रोटी का उपभोक्ता करते जाते हैं। छठी रोटी खा चुकने के बाद हमारी भुख लगभग संतुष्ट हो जाती है और इस बिंदु पर आकर रोटी की सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है।
उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद
कुछ विद्वानों का कहना है कि उपयोगिता ह्रास नियम कुछ अवस्थाओं में लागू होता है और इसे एक आधारभूत सर्वव्यापी नियम नहीं कहा जा सकता है। इसके निम्नलिखित अपवाद है जो नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं-
- यदि किसी वस्तु की बहुत छोटी सी मात्रा को इकाई मान लिया जाए तो यह नियम लागू नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु का उपभोग बहुत छोटी-छोटी इकाइयों के रूप में करता है तो प्रत्येक बाद वाली इकाई से घटती हुई सीमांत उपयोगिता नहीं मिलती है बल्कि कभी-कभी बढ़ती हुई उपयोगिता मिलती हैं।
उदाहरण के लिए ईंधन के रूप में कोयले का उपभोग करते समय यदि कोयले की इकाईयों तौल के हिसाब से ली जाए तो यह निश्चित है कि उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होगा लेकिन यह नियम का वास्तविक अपवाद नहीं है। वास्तविक जीवन में ना तो इतने सूक्ष्म मात्रा में इकाइयों का उपभोग किया जाता है और न उपयोगिता वृद्धि का स्थिति अधिक समय तक रहती है।
धन के संचय करने की प्रवृत्ति पर यह नियम लागू नहीं होता
लोगों का कहना है कि जब मनुष्य धन संचय करने लगता है तो जितना धन उसके पास बढ़ता है उतना ही अभिलाषा ( इच्छा ) बढ़ती जाती है और धन में वृद्धि होने से उसकी उपयोगिता कम नहीं होती। इसे भी वास्तव में नियम का अपवाद नहीं कहा जा सकता। धन एक साधन मात्र है जिससे हमें अन्य वस्तुएं प्राप्त करने में सहायता मिलती है। जैसे-जैसे किसी व्यक्ति के पास धन की मात्रा बढ़ती जाती है वैसे-वैसे प्रत्येक बाद वाली इकाई की सीमांत उपयोगिता घटती है।
फैशन तथा दिखावे की अभिलाषा के विषय में यह लागू नहीं होता
बहुत से लोगों को नए-नए प्रकार के फैशनों का आविष्कार करने तथा अपने को दूसरे के सामने बड़ा प्रदर्शित करने का शौक होता है। वे नई-नई प्रकार की वस्तुओं का उपभोग करके अपना बड़प्पन प्रदर्शित करते हैं और उनके पास जितनी अधिक वस्तुएं होती है उतनी ज्यादा उपयोगिता उनसे प्राप्त होती हैं। यह भी वास्तव में उपयोगिता ह्रास नियम का अपवाद नहीं है क्योंकि ऐसे लोग एक ही वस्तु की कई इकाइयों का प्रयोग नहीं करते बल्कि नई-नई वस्तुओं की खोज में रहते हैं।
दुर्लभ वस्तुओं के संग्रह में यह नियम लागू नहीं होता
कुछ लोगों को विचित्र तथा दुर्लभ वस्तुएं, जैसे पुराने डाक टिकटों तथा पुराने सिक्कों के संग्रह का शौक होता है। उनके पास जितनी अधिक संख्या में यह जमा होते जाते हैं उतनी ही उनकी उपयोगिता बढ़ती जाती हैं। वास्तव में यदि देखा जाए तो यह उपयोगिता ह्रास नियम का अपवाद नहीं है क्योंकि प्रत्येक नई सरकार का टिकट अथवा सिक्का एक नई वस्तु है। उसे अन्य डाक टिकटों की ही एक इकाई नहीं माना जा सकता। यदि एक ही नमूने के दो डाक टिकट अथवा सिक्के उसके पास हो जाए तो दूसरी ईकाई की उपयोगिता निश्चित रूप से पहले से कम होगी।
मादक वस्तुओं के उपभोग पर यह नियम लागू नहीं होता
कुछ लोगों का मत है कि शराब तथा अन्य मादक वस्तुओं की जब कई इकाइयों का निरंतर उपयोग किया जाता है तो बाद वाली ईकाई की उपयोगिता घटने के स्थान पर बढ़ती है और उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होता। अनुभव यह बताता है कि जो लोग अधिक मात्रा में मादक वस्तुओं का उपभोग करते हैं उनकी तृप्ति थोड़ा नशा करने से नहीं होती और वे अधिक मात्रा में नशा करते हैं। किंतु यह कहना कि मादक वस्तुओं के उपभोग पर उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होता है।
किंतु यह कहना कि मादक वस्तुओं के उपभोग पर उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होता वास्तव में भूल हैं। यदि व्यक्ति निरंतर सीमित मात्रा में नशे का सेवन करता चला जाए तो एक निश्चित सीमा के बाद उपयोगिता ह्रास नियम लागू होने लगता है। अधिक शराब पी लेने से लोग बेहोश हो जाते हैं इसलिए यह इस नियम का वास्तविक अपवाद नहीं है।
- बहुत सी वस्तुएं ऐसी हैं जिनकी उपयोगिता केवल इस बात पर निर्भर होती है कि अन्य व्यक्तियों के पास वह कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति के यहां टेलीफोन हैं लेकिन अन्य व्यक्तियों के यहां नहीं है। ऐसी अवस्था में टेलीफोन की उपयोगिता कम हैं। यदि अन्य व्यक्तियों के यहां भी टेलीफोन लग जाए तो टेलीफोन की उपयोगिता घटती नहीं बल्कि बढ़ जाती हैं।
वास्तव में यह भी इस नियम का अपवाद नहीं कहा जा सकता क्योंकि यदि एक ही व्यक्ति के मकान में दो टेलीफोन हो तो दूसरे की उपयोगिता पहले से कम होगी यही उपयोगिता ह्रास नियम की प्रवृत्ति है।
Conclusion
उपर्युक्त बातों को पढ़ने के बाद हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उपयोगिता ह्रास नियम की प्रवृत्ति सर्वव्यापी है और प्रत्येक दशा में एक ऐसी स्थिति आती है जब उपयोगिता ह्रास की प्रवृति उत्पन्न होने लगती है। यह तो इस नियम का कोई वास्तविक अपवाद नहीं है और यदि कहीं मालूम होता है तो वह केवल दिखावटी है, उसका कोई भी महत्व नहीं है।