एजेंसी क्या हैं

एजेंसी यह शब्द आपने अवश्य सुना होगा । साथ ही एजेंट, नियोक्ता, प्रतिनिधि इत्यादि भी। इन सब का मतलब क्या होता हैं। आज के इस आर्टिकल में मैं आपको एजेंसी क्या हैं, एजेंसी की स्थापना किस प्रकार से होती है तथा एजेंट कितने प्रकार के होते हैं इत्यादि।

एजेंसी क्या हैं?

वह व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था के लिए कार्य करता है एजेंट कहलाता हैं। जिस व्यक्ति के लिए कार्य किया जाता है उसे प्रधान कहते हैं तथा इन दोनों के बीच का संबंध “एजेंसी” के नाम से जाना जाता हैं।

भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 182 के अनुसार
” वह व्यक्ति जो दूसरे की ओर से कोई कार्य करने के लिए अथवा दूसरे व्यक्तियों के साथ व्यवहार में प्रतिनिधित्व करने के लिए रखा गया हो एजेंट का लाता है उस व्यक्ति को जिस की ओर से वह प्रतिनिधित्व किया जाता है नियोक्ता अथवा प्रधान कहते हैं।”

इसके संबंध में निम्नलिखित विद्वानों के द्वारा अलग-अलग परिभाषाएं दी गई हैं जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं –

एक एजेंट हुआ व्यक्ति है जिसे नियोक्ता की ओर से इस उद्देश्य से किन युक्ता के तीसरे प्रकार के साथ हुआ है दैनिक संबंध स्थापित हो जाए प्रतिनिधित्व करने जाने योगिता की ओर से कार्य करने का स्पष्ट अथवा गर्वित अधिकार होता हैं। – ” पैगलर एवं स्पाइसर”

एजेंसी एक ऐसा अनुबंध है जिसके द्वारा एक व्यक्ति कुछ निश्चित व्यावसायिक संबंधों में अपनी विवेक शक्ति से दूसरे का प्रतिनिधित्व करने का दायित्व स्वीकार करता हैं – “वाटसन के अनुसार”

एजेंसी की स्थापना किस प्रकार से होती हैं?

किसी भी एजेंसी की स्थापना निम्नलिखित तरीके से की जाती हैं । जिनका उल्लेख नीचे कुछ इस प्रकार से हैं –

समझौते के द्वारा (By Agreement)
प्रदर्शन द्वारा (By Estoppel)
आवश्यकता द्वारा (By Necessity)
गर्भित रूप से (By Implication)
पुष्टिकरण द्वारा (By Ratification)

समझौते के द्वारा (By Agreement)

किसी भी एजेंसी की स्थापना समझौते के द्वारा हो सकती है जोकि दो तरीके से होती हैं लिखित एवं मौखिक।

प्रदर्शन द्वारा (By Estoppel)

जब कोई व्यक्ति ऐसा दिखावा करता है कि वह स्वयं Agent है तो प्रधान को चाहिए कि वह ऐसे व्यक्ति को उपलब्ध प्रतिनिधित्व करने से रोक दें। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह ऐसे प्रदर्शनकारी प्रतिनिधि के कार्यों का उत्तरदायी होगा और दोनों के बीच प्रदर्शन द्वारा एजेंसी की स्थापना होगी।

आवश्यकता द्वारा (By Necessity)

एक त्यागी हुई स्त्री अपने पति की ओर से जीवन संबंधित वस्तुएं लेकर अपने पति एवं वस्तु देने वाले पुरुष के बीच एक वैध संबंध स्थापित कर सकती है परंतु यदि वह अपनी इच्छा से ही पृथक रहती हैं तथा उसका पृथक रहना अनुचित है तो ऐसी दशा में वह अपने पति की ओर से प्रतिनिधि या एजेंट के रूप में कार्य नहीं कर सकती तथा आवश्यक वस्तुएं प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती हैं।

गर्भित रूप से (By Implication)

कभी-कभी विषय की आवश्यकताओं तथा परिस्थितियों का रूप ऐसा होता है कि स्वतः ही एजेंसी स्थापित हो जाती हैं इन्हें गर्भित रूप से स्थापित कहा जाता हैं।

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एजेंट कितने प्रकार के होते हैं?

एजेंट के प्रकार निम्नलिखित हैं –

बीमा एजेंट (Insurance Agent) – यह वे एजेंट होते हैं जो सामान्यतः बीमा करने के लिए नियुक्त किए जाते हैं।

बैंकर (Bankers) – बैंकर अपने ग्राहक के लिए केवल लोन या महाजन का ही कार्य नहीं करता बल्कि वह उसका एजेंट भी होता हैं। एजेंट के रूप में बैंकर ग्राहकों के लिए प्रतिभूतियों की खरीद व बिक्री, ब्याज एवं लाभांश एकत्र करता हैं।

दलाल (Broker) – यह वे एजेंट होते हैं जो कि प्रतिफल के बदले में दो पक्षकारों के बीच कार्य करते हैं यह कार्य प्रायः व्यापार तथा वाणिज्य संबंधित बातों के लिए संविदा या सौदा करने के लिए होते हैं।

नीलम कर्ता (Auctioner) – जिस व्यक्ति को जनसाधारण में वस्तुओं की नीलामी करने का अधिकार प्राप्त होता है उससे नीलम कर्ता एजेंट कहा जाता हैं।

कमीशन एजेंट (Commission Agent) – यह प्रधान के लिए अपने ही नाम से माल खरीदते है तथा अपने परिश्रम के लिए पारिश्रमिक पाते हैं।