गोल्ड स्टैंडर्ड क्या हैं

Gold Standard अर्थात् स्वर्णमान की परिभाषा, स्वरूप एवं मूल तत्व को आज के इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे।
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Gold Standard Kya Hai | गोल्ड स्टैंडर्ड क्या हैं?

इसके संबंध में एक सामान्य धारणा यह है कि इस व्यवस्था में सोने की मुद्रा चलन में रहती है लेकिन यह वास्तविक सच्चाई नहीं है। इसके संबंध में विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग परिभाषाएं दी गई है जो कि नीचे की पंक्ति में कुछ इस प्रकार से दी गई हैं –

Coulborn के मत के अनुसार – ” स्वर्णमान एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत देश की मुख्य मुद्रा की इकाई एक निश्चित किस्म के स्वर्ण की एक निश्चित मात्रा में परिवर्तनशील होती हैं।”

Hawtrey के अनुसार ” स्वर्णमान के अंतर्गत स्वर्ण का मूल्य मुद्रा में निश्चित कर दिया जाता है और इस प्रकार स्वर्ण तथा मुद्रा का संबंध स्थापित हो जाता हैं।”

क्राउथर इनके अनुसार – “जब मुद्रा किसी कानून द्वारा स्वर्ण में परिवर्तनशील होती है तो ऐसी मुद्रा व्यवस्था को स्वर्णमान कहते हैं।

Robertson के मत के अनुसार -” स्वर्ण एक ऐसी स्थिति है जिसके अंतर्गत एक देश अपनी मुद्रा की एक इकाई तथा स्वर्ण की एक निश्चित मात्रा का मूल्य समान रखता है।”

गोल्ड स्टैंडर्ड के मुख्य तत्व

ऊपर जो भी परिभाषा दी गई है उससे स्वर्ण मान के निम्नलिखित मौलिक तत्व उभर कर सामने आते हैं जो इस प्रकार से दिए गए हैं-

  • स्वर्णमान में स्वर्ण मुद्राएं चलन में रहना अनिवार्य नहीं है।
  • देश की मुद्रा का संबंध किसी ना किसी प्रकार स्वर्ण से संबंध रहना चाहिए।
  • एक न्यूनतम सीमा से अधिक स्वर्ण क्रय-विक्रय करने का अधिकार जनता को होता हैं।
  • देश की एक मुद्रा स्वर्ण में परिवर्तनशील होने चाहिए ।
  • स्वर्ण के आयात-निर्यात पर सरकार का कोई रोक नहीं होता हैं।

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स्वर्णमान के स्वरूप

जैसे-जैसे समय बीतता जाता है वैसे वैसे कुछ नया परिवर्तन होते जाता हैं। आज के समय में गोल्ड स्टैंडर्ड के निम्नलिखित रूप प्रचलित है जो इस प्रकार से हैं –

  1. स्वर्ण धातुमान (gold metal)
  2. स्वर्ण मुद्रामान (gold currency value)
  3. स्वर्ण निधि मान (gold fund value)
  4. स्वर्ण समतामान (gold parity standard)
  5. स्वर्ण विनिमयमान (gold exchange scale)