ठहराव का अर्थ, लक्षण, प्रकार एवं अंतर

आपने भी यह शब्द (ठहराव) अवश्य सुना होगा कई बार जब दो व्यक्ति एक ही बात पर आपस में सहमत हो जाते हैं तो ठहराव का जन्म होता हैं। इस आज के नए आर्टिकल में ठहराव का परिभाषा, लक्षण, प्रकार तथा अंतर आदि पढ़ेंगे। आप जिस टॉपिक को पढ़ना चाहते हैं उसे टेबल ऑफ कंटेंट के माध्यम से बहुत ही आसानी से पढ़ सकते हैं जो नीचे इस प्रकार से हैं।

ठहराव से क्या आशय हैं?

ठहराव का जन्म उस समय होता है जब दो मस्तिष्क का किसी सामान्य उद्देश्य के लिए मिलन होता है अर्थात “जब दो व्यक्ति एक ही बात पर तथा एक ही अर्थ में सहमत हो तो ठहराव का निर्माण होता है।”

अन्य शब्दों में – जब एक पक्षकार दूसरे पक्षकार के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करता है और दूसरा पक्षकार उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो यह ठहराव कहलाता हैं। यह एक वैध ठहराव तभी कहलायेगा जब यह राज नियम द्वारा लागू किया गया हो।

इसके संबंध में अलग-अलग विद्वानों के द्वारा भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी गई हैं-

Chetty – एक स्वीकृति प्रस्ताव ठहराव का निर्माण करता हैं।

Leake – ठहराव दो व्यक्तियों के बीच होता है जो कि अनुबंध की विषय वस्तु के संबंध में एकमत होते हैं।

पोलक के अनुसार – ठहराव किसी एक अथवा अधिक पक्षकारों द्वारा दूसरे पक्ष कार अथवा पक्षकारों के बीच कुछ कार्य करने अथवा न करने का चिंतन है।

‘सभी अनुबंध ठहराव होते हैं किंतु सभी ठहराव अनुबंध नहीं होते हैं’ ।

याद रखें –

भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2 (e) के अनुसार प्रत्येक वचन तथा वचनों का प्रत्येक समूह जो एक दूसरे का प्रतिफल हो (रिजल्ट हो) ठहराव कहलाता हैं।

सारांश में – ठहराव = प्रस्ताव + स्वीकृति।

ठहराव के लक्षण क्या हैं?

इसके लक्षण निम्नलिखित होते हैं –

  1. दो या दो से अधिक पक्षकारों का होना
  2. पारस्परिक सहमति
  3. वैधानिक संबंध
  4. पारस्परिक संवहन
  5. परिणाम

दो या दो से अधिक पक्षकारों का होना

ठहराव के लिए कम से कम 2 पक्षकार का होना आवश्यक है कभी भी स्वयं के साथ किसी भी प्रकार का कोई ठहराव नहीं कर सकता है।

पारस्परिक सहमति

दोनों पक्षकारों को एक ही बात पर एक ही भाव से सहमत होना अति आवश्यक है अन्यथा उनके बीच कोई भी ठहराव होगा ही नहीं ।

वैधानिक संबंध

कानूनी संबंधी, ठहराव के महत्वपूर्ण लक्षण हैं। ठहराव के लिए आवश्यक है कि पक्षकारों का उद्देश्य आपस में कानूनी दायित्व को उत्पन्न करना होना चाहिए।

पारस्परिक संवहन

किसी प्रस्ताव के प्रति केवल मानसिक स्वीकृति ठहराव की रचना नहीं कर सकती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि पक्षकार अपना सम्मान अभिप्राय एक दूसरे को संवहन कर दें।

रिजल्ट

ठहराव के फल स्वरुप केवल संबंधित पक्षकार ही आपस में प्रभावित होने चाहिए अन्य कोई पक्षकार नहीं होना चाहिए।

ठहराव का प्रकार

इसके प्रकार अथवा रूप निम्नलिखित होते हैं जिन्हें कुछ इस प्रकार से वर्गीकृत किया गया है –

  1. कानून के आधार पर
  2. प्रवर्तनीय के आधार पर
  3. निर्माण की विधि के आधार पर
  4. निष्पादन के आधार पर
  5. परिपूर्णता के आधार पर

कानून के आधार पर ठहराव का प्रकार

इसके आधार पर ठहराव को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया है –

  • वैधानिक ठहराव
  • अवैधानिक ठहराव

वैधानिक ठहराव

वैसा ठहराव जिसमें सभी कार्य कानून के नियम के अनुसार संपादित किए जाते हैं वैधानिक ठहराव कहलाता हैं। यह वह ठहराव होता है जिसमें एक वैध ठहराव के सभी लक्षण मौजूद होते हैं।

अवैधानिक ठहराव

एक अवैध ठहराव वह हैं जिसमें समस्त समानांतर ठहराव भी व्यर्थ होते हैं। समस्त अवैध ठहराव आवश्यक रूप में व्यर्थ होते हैं।