नियुक्तिकरण के तत्व

नियुक्तिकरण किसे कहते हैं, अर्थ, विशेषता, महत्व आदि के बारे में पिछले Article में चर्चा किए गए हैं। नियुक्तिकरण के तत्व कौन-कौन से होते हैं। इस Article में जानेंगे। स्टाफिंग अपने तत्व के बिना कुछ नहीं है।

नियुक्तिकरण के तत्व

इसकी आधुनिक विचारधारा में निम्नलिखित तीन तत्व शामिल होते हैं-

  1. भर्ती (Recruitment)
  2. चयन (Selection)
  3. प्रशिक्षण (Training)

भर्ती से आप क्या समझते हैं?

भर्ती से आश्य उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत योग्य, भावी कर्मचारियों की खोज की जाती है एवं उन्हें संगठन में नियुक्ति प्राप्त करने हेतु प्रार्थना-पत्र भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसमें अधिक से अधिक आवेदन(Application) प्राप्त हो इसके लिए प्रयास किया जाता हैं।

भर्ती को एक ऐसी प्रक्रिया माना गया है जिसके द्वारा कार्य करने को तत्पर भावी कर्मचारियों का पता लगाया जाता है एवं उन्हें नौकरी के लिए आवेदन पत्र देने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।

भर्ती की विशेषताएं

भर्ती के निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • यह कर्मचारियों की खोज करने में संस्था कंपनी की सहायता करता है।
  • भर्ती किसी कंपनी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें प्रार्थना पत्र देने के लिए मजबूर करता है।
  • यह एक सकारात्मक प्रक्रिया (Positive Process) हैं।
  • गुणवान व्यक्ति को चुनने तथा सही व्यक्ति को सही कार्य पर लगाना इसकी विशेषता है।

भर्ती के विभिन्न स्रोतों की व्याख्या करें

संगठन एवं कंपनी में भर्ती करने के दो मुख्य स्रोत है-

  • आंतरिक स्रोत ( Internal Source )
  • बाहरी स्रोत ( External Source )

 

भर्ती के आंतरिक स्रोत कौन-कौन से हैं?

जब संस्था में कार्यरत कर्मचारियों से हैं और विभिन्न रिक्त पदों पर भर्ती की जाती है तो उसे आंतरिक स्रोतों से भर्ती करना कहते हैं इसके निम्नलिखित स्रोत हैं –

  1. पदोन्नति (Promotion) – पदोन्नति वह प्रक्रिया है जिसमें संस्था में निचले पद पर कार्यरत कर्मचारियों को ऊंचे पद पर नियुक्त कर दिया जाता है इससे उस कर्मचारी के जिम्मेवारी में वृद्धि होती है उसका पद बड़ा हो जाता है तथा वेतन में भी वृद्धि हो जाती है। इस विधि से रिक्त पदों पर तुरंत नियुक्ति की जा सकती हैं।
  2. स्थानांतरण (Transfer) – स्थानांतरण में खाली पदों पर भर्ती करने के लिए अन्य विभागों से कर्मचारियों को लाया जाता है इसमें कर्मचारियों के उत्तरदायित्व एवं वेतन में कोई परिवर्तन किए बिना केवल उनका कार्य का स्थान बदल दिया जाता है।
  3. अस्थायी अलगाव ( Lay Off) – इसका अर्थ यह है कि इसमें नियोक्ता के प्रयास से कर्मचारियों को नियुक्त से कुछ समय के लिए दूर रखा जाता है। कभी-कभी काम की कमी के कारण संस्था अपने कुछ कर्मचारियों को काम से कुछ समय के लिए अलग कर देती हैं। नियुक्त व कर्मचारी के बीच आपस में एक समझौता होता हैं कि जब भी काम कंपनी में उपलब्ध होगा उन्हीं कर्मचारियों को काम पर फिर से दोबारा बुलाया जाएगा।
  4. छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों को वापस काम पर बुलाना – कभी-कभी संस्था के पास काम काफी अधिक आ जाता है तो पहले जो व्यक्ति इस संस्था में कार्य करता था या फिर अभी करता है वह अवकाश पर है तो उसे फिर से दोबारा काम पर बुला लिया जाता है इस तरह से खाली स्थान की पूर्ति हो जाती हैं।
  5. सेवा वृद्धि ( Extension Of Service) – वह प्रक्रिया है जिसमें कर्मचारियों के कार्यभार की अवधि में वृद्धि कर दी जाती है इस विधि में अवकाश ग्रहण करने के कारण खाली जगह होने की संभावना समाप्त हो जाती हैं।

 

भर्ती के आंतरिक स्रोत से लाभ

आंतरिक स्रोत से भर्ती करने पर निम्नलिखित लाभ होते हैं –

  • इससे कर्मचारियों को Promotion के अवसर प्राप्त होते हैं।
  • भर्ती की समस्या का तुरंत समाधान हो जाता है।
  • कर्मचारियों के निष्ठा एवं कार्य कुशलता में वृद्धि होती हैं।
  • आंतरिक स्रोत से भर्ती करने से प्रशिक्षण पर खर्च कम लगता है।
  • संस्था को विश्वसनीय कर्मचारी आसानी से मिल जाते हैं।

 

भर्ती के आंतरिक स्रोत से हानि या दोष

  1. इससे कर्मचारियों के चयन का क्षेत्र संकुचित हो जाता है।
  2. कर्मचारियों में प्रतिस्पर्धा की भावना बंद हो जाती है।
  3. संस्था में नई शक्ति, नए विचार एवं संभावनाओं का प्रवाह रुक जाता है।
  4. यह अप्रजातांत्रिक पद्धति हैं।
  5. कर्मचारियों में कार्य प्रणाली में कोई बदलाव नहीं आता है।
  6. इस प्रणाली से भर्ती होने पर प्रशिक्षण संस्थाओं में विकास में बाधा होती हैं।

 

भर्ती के बाहरी स्रोत कौन-कौन से हैं?

भर्ती के बाहरी स्रोत से आश्य से संस्था में खाली हुए पदों के लिए बाहर के लोगों को आमंत्रित करना एवं उनसे पदों को भरने से हैं। भर्ती के बाहरी स्रोत निम्नलिखित हैं –

  1. पूर्व के कर्मचारी (External Source) – पूर्व के कर्मचारियों से आश्य वैसे कर्मचारियों से हैं जो कम्पनी में पहले काम करते थे और उन्हें किसी कारण स्वयं छोड़ कर चले गए थे किंतु अब वापस आना चाहते हैं। यदि ऐसे कर्मचारियों के पिछले रिकॉर्ड अच्छे हैं और उनका व्यवहार कंपनी के साथ अच्छा है तो उनकी भर्ती कर ली जाती हैं।
  2. Telecasting – आज भर्ती करने के लिए कंपनियां नई- नई तकनीक का सहारा ले रही है। Telecasting भी भर्ती करने का एक बाह्य स्रोत है। इसमें संस्था खाली पदों को भरने के लिए दूरदर्शन की सहायता लेते हैं वह दूरदर्शन पर प्रसारण करके रिक्त पद,योग्य,अनुभव, कंपनी के गुण आदि के बारे में बताते हैं।
  3. Campus Recruitment – कैंपस भर्ती के जरिए भी खाली पदों को भरा जा सकता है। स्कूल, कॉलेज में प्रोग्राम को रखकर कंपनी के बारे में विस्तार से बताया जाता हैं।यह भी एक अच्छा माध्यम हैं।
  4. इंटरनेट – आज तो इंटरनेट ने क्रांति ही ला दी है। आज लगभग सभी कंपनियां अपना बिजनेस ऑनलाइन ला रहे हैं और भर्ती करने के लिए भी इंटरनेट का सहारा लिया जा रहा है। पहले की तुलना में आज सब कुछ आसान हो गया है। Job खोजने के लिए Sarkari Result . Com , पैसे के बारे में जानने के लिए, बैंकिंग से संबंधित जानकारी के लिए यूट्यूब पर Tech Ck World सर्च करें।
  5. विज्ञापन (Advertisement) – विज्ञापन ने तो कंपनी का काम और भी आसान कर दिया है। आज भर्ती करने के लिए कंपनियां इतना आकर्षित Ad दिखाते हैं कि जनता तुरंत आवेदन देने के लिए राजी हो जाती है और आवेदन भी कर देते हैं।

 

भर्ती के बाहरी स्रोत से लाभ

  • नई तकनीकी योग्यता की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
  • पक्षपात की संभावनाएं कम हो जाती है।
  • संस्था में रूढ़िवादिता समाप्त होने लगता है।
  • यह प्रजातांत्रिक पद्धति है। इससे सभी को कार्य पाने के समान अवसर प्राप्त हो जाते हैं।
  • प्रबंध गतिशीलता में वृद्धि होती है।
  • बाहरी स्रोत से भर्ती करने पर, भर्ती का क्षेत्र व्यापक हो जाता है।

बाहरी स्रोत से भर्ती करने से हानि

  • इसमें संस्था के प्रशिक्षण वह में वृद्धि होती है।
  • नए कर्मचारियों को संस्था में परिचित होने और जमने में समय अधिक लगता है।
  • विश्वास पात्र एवं निष्ठावान कर्मचारी प्राप्त करना थोड़ा कठिन होता है।
  • इसमें कभी-कभी गलत व्यक्तियों का चुनाव हो जाता है।
  • बाहरी स्रोत से भर्ती करने से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसमें बिना एक्सपीरियंस यानी कि अनुभवहीन व्यक्ति भी भर्ती हो जाते हैं।

 

कारण सहित बताइए कि भर्ती के आंतरिक स्रोत, बाह्य स्रोतों से किस प्रकार बेहतर हैं कोई तीन

  1. आशय – जब कर्मचारियों को संस्था के अंदर से ही खाली पदों पर रखा जाता है तो उसे आंतरिक स्रोत से भर्ती करना कहा जाता है ठीक इसके विपरीत बाहर से कर्मचारी, लोगों को नियुक्त करना बाह्य स्रोतों से भर्ती करना कहलाता हैं।
  2. Reference – इतमें किसी भी तरह की Reference की जरूरत नहीं होती है जबकि इसमें Reference की जरूरत नहीं पड़ती हैं।
  3. क्षेत्र ( Scope ) – इसके अभ्यंतर चयन करने का क्षेत्र सीमित होता है जबकि बाह्य स्रोतों में चयन करने का क्षेत्र व्यापक होता है।
  4. समय की बचत – आंतरिक स्रोतों से भर्ती करने से समय की बचत हो जाती है इसके विपरीत अधिक समय लग जाता है।
  5. नए विचार – यदि इस माध्यम से भर्ती किया जाए तो नए विचार तकनीक का अभाव रहता है जो कि बाह्य स्रोतों से भर्ती करने पर यह सभी अभाव दूर हो जाते हैं।

 

चयन का परिभाषा, कर्मचारी चयन क्या हैं?

चयन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से संस्था में खाली पदों की पूर्ति की जाती है संस्था में खाली पदों को भरने के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों में से आवेदक की योग्यता और अनुभव, कार्य विशेषता के आधार पर कर्मचारियों का चुनाव करना ही ‘चयन’ कहलाता हैं।

चयन प्रक्रिया में शामिल विभिन्न कदमों की व्याख्या कीजिए

सामान्यतः चयन प्रक्रिया के निम्नलिखित कदम होते हैं-

  1. आवेदन पत्र की जांच – सर्वप्रथम चयन प्रक्रिया में प्राप्त आवेदन पत्रों की जांच की जाती है और यह देखा जाता है कि आवेदन पत्र ठीक से भरे गए हैं या नहीं।
  2. प्राथमिक साक्षात्कार – इसके अंतर्गत आवेदकों से व्यक्तिगत परिचय लिया जाता है इसमें उनके योग्यता, अनुभव रूपी आदि के बारे में पूछताछ की जाती हैं।
  3. रिक्त आवेदन पत्र भरना – इसके अंतर्गत प्राथमिक साक्षात्कार में सफल आवेदकों से रिक्त आवेदन पत्र भरवाए जाते हैं।
  4. चयन परीक्षा – इसके अंतर्गत आवेदकों की योग्यता की जांच की जाती है यह परीक्षाएं लिखित परीक्षा, दक्षता परीक्षा तथा मनोवैज्ञानिक परीक्ष हो सकती हैं।
  5. अंतिम साक्षात्कार – इसके अंतर्गत आवेदक द्वारा चयन परीक्षा पास करने के बाद उनके व्यक्तित्व की जांच हेतु साक्षात्कार हेतु बुलाया जाता हैं।
  6. शारीरिक जांच– इसके अंतर्गत आवेदक का शारीरिक परीक्षण किया जाता है और यह जानकारी प्राप्त किया जाता है कि आवेदन शारीरिक दृष्टि से कार्य करने के योग्य है भी या फिर नहीं।
  7. Joining Letter को निर्गमन करना – शारीरिक जांच की बाधा पार कर लेने के बाद चयनित व्यक्ति को नियुक्ति पत्र निर्गमित किए जाते हैं जिसमें एक तिथि का उल्लेख होता है एवं उस तिथि तक आवेदक को रिपोर्ट करना आवश्यक होता है।
  8. कार्य पर नियुक्ति – अंत में नियुक्ति पत्र के आधार पर आवेदक कार्यालय में योगदान करने पहुंचता है तो उसे उसके योग्यता के अनुसार कार्य सौंप दिया जाता है।

इस तरह से चयन प्रक्रिया का कदम समाप्त हो जाता हैं।

Conclusion :

इस Article में नियुक्तिकरण के तत्व के बारे में सरल शब्दों में समझाया गया हैं। Exam के दृष्टिकोण से यह Question महत्वपूर्ण हैं। इस Article को शेयर करें और मेरा उत्साह बढ़ाएं ताकि मैं और भी अधिक अच्छा – अच्छा जानकारी आपके साथ Share कर सकूं।

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