नियोजन तथा नियंत्रण में संबंध

योजना और नियंत्रण में काफी गहरा संबंध है। यह एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। किसी एक के बिना इसका अर्थ, अर्थहीन होता है। इस पोस्ट में नियोजन तथा नियंत्रण में संबंध क्या होते हैं आधुनिक तकनीक के बारे में बताया गया है।

नियोजन तथा नियंत्रण में संबंध को समझाइए

ऐसे तो इन दोनों में विशेष अंतर होता है। नियोजन तथा नियंत्रण दोनों एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित होते हैं। इसके बीच के संबंध को निम्न द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

नियोजन नियंत्रण का उद्गम है – नियंत्रण की प्रक्रिया एवं तकनीक का निर्धारण नियोजन के माध्यम से होता है। अतः नियोजन नियंत्रण का उद्गम (कहां से निकलता) है।

नियंत्रण नियोजन को बनाए रखता है – नियंत्रण नियोजन की कार्यविधि को निर्देशित करता है और हमारा ध्यान वहां आकर्षित करता है जहां नियोजन की आवश्यकता होती है। अतः नियंत्रण नियोजन को बनाए रखता है।

नियंत्रण नियोजन के अभाव में अंधा है – नियंत्रण के अंतर्गत वास्तविक कार्य की तुलना निर्धारित प्रमाप से की जाती है। प्रमाप नियोजन के अंतर्गत निश्चित किए जाते हैं। अतः यदि योजना न हो तो प्रमाप नहीं होगा एवं तब नियंत्रण का औचित्य समाप्त हो जाएगा।

नियोजन नियंत्रण के अभाव में अर्थहीन है – नियोजन तभी सफल होता है जब नियंत्रण मौजूद होता है। कारण स्पष्ट है यदि प्रबंध के कार्य से नियंत्रण हटा दिया जाए तो कोई भी कर्मचारी योजना के अनुसार काम करने की बात को गंभीरता से नहीं लेगा।
परिणामस्वरुप योजना असफल हो जाएंगा।

नियोजन आगे की ओर देखता है जबकि नियंत्रण पीछे की ओर – नियोजन तथा नियंत्रण दोनों का उद्देश्य व्यवसाय के लक्ष्य को कुशलता पूर्वक प्राप्त करना है। इसमें नियोजन आगे की ओर देखता है कि भविष्य में क्या करना है जबकि नियंत्रण यह देखता है कि भूतकाल कार्य निर्धारित तरीके से हुआ है या फिर नहीं।

नियंत्रण की किसी एक तकनीक का नाम लिखिए या
नियंत्रण की आधुनिक तकनीकों का वर्णन करें

व्यवसाय में नियंत्रण करने के लिए प्रबंध द्वारा अनेक विधियां प्रयोग में लाए जा रहे हैं जिनका हाल के वर्षों में जन्म हुआ है। इसके अंतर्गत निम्न विधियों का प्रयोग किया जाता है –

शून्य आधार बजट – इस प्रणाली में बजट बनाने के लिए पूर्व आधार का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि प्रत्येक बजट नए तरीके से बनाया जाता है जिसमें शून्य (Zero) आधार लिया जाता है। वास्तविक कार्य की तुलना इस बजट से करके विचलन ज्ञात किए जाते हैं और नियंत्रण के लिए कार्यवाही की जाती है।

उत्तरदायित्व लेखांकन- इस विधि में संस्था की प्रत्येक क्रिया के लिए किसी ना किसी व्यक्ति को जिम्मेवार बनाया जाता है और इस जिम्मेवारी के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के नाम पर नियंत्रण रखा जाता है।

प्रबंधकीय अंकेक्षण – यह नियंत्रण की आधुनिक प्रणाली है जिसमें संगठन के सभी स्तरों पर प्रबंधकों की कार्यकुशलता की जांच की जाती है इसमें प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर सिद्धांत और व्यवहार में अंतर ज्ञात किए जाते हैं एवं प्रबंध को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कार्यवाही किए जाते हैं।

प्रबंधकीय सूचना प्रणाली – इस विधि में प्रबंधकों को नियमित रूप से तेज गति से सूचना उपलब्ध कराई जाती है। इन सूचनाओं के आधार पर प्रबंध द्वारा नियंत्रण का काम पूरा किया जाता है।

 

Conclusion :

प्रिय पाठक, आप अब नियोजन तथा नियंत्रण में संबंध क्या-क्या होते हैं उसे जान चुके होगें। ऐसे ही पोस्ट पढ़ने के लिए इसे Share करें और कोई प्रश्न होतो पुछे “Thanks”.

यह भी पढ़िए-