मुद्रा का महत्व

मुद्रा आधुनिक समय में एक महत्वपूर्ण विनिमय का एक सरल माध्यम हो चुका हैं। आज इसका महत्व इतना अधिक बढ़ गया हैं कि आप इससे अपनी जरूरत की आवश्यकताओं , इच्छाओं को बहुत आसानी से पूरा कर सकता हैं।

आज के इस नए आर्टिकल में आप मुद्रा के महत्व के बारे में जानेंगे। आइए बिना देर किए आर्टिकल को पढ़ना शुरू करते हैं।

मुद्रा के महत्व को लिखें

आज के समय में इसका अधिक महत्व हैं। मुद्रा के महत्व के संबंध में प्रोफ़ेसर मार्शल का कहना हैं मुद्रा वह धूरी है जिसके चारों ओर संपूर्ण अर्थ विज्ञान चक्कर लगाता है।

मुद्रा के संबंध में अन्य लोगों की व्याख्या नीचे इस प्रकार से हैं –

मुद्रा मनुष्य के समस्त आविष्कारों में एक आधारभूत अविष्कार हैं। ज्ञान की प्रत्येक शाखा के अपने मूल अविष्कार हैं। मशीनों में यह अविष्कार पहिया हैं, विज्ञान में आग है और राजनीति विज्ञान में वोट (Vote) है उसी प्रकार अर्थशास्त्र तथा मनुष्य के समस्त व्यापारिक जीवन में मुद्रा एक ऐसा मूलभूत अविष्कार है जिस पर अन्य सभी बातें आधारित होते हैं।

आधुनिक अर्थव्यवस्था में मुद्रा का महत्व

आज के समय में इस समय में अर्थव्यवस्था में मुद्रा का महत्व निम्नलिखित रूपों में है

साख का निर्माण

साख अर्थात् भरोसा । मुद्रा के लोगों के बीच, लोगों में साख बन जाता है जिससे कोई भी कार्य के लिए विनिमय में कोई परेशानी नहीं होता हैं। आज के समय में संपूर्ण व्यवसाय साठ पर ही आधारित है जितने भी बैंकिंग संस्थाएं हैं उद्योग एवं व्यापार को पैसे उधार देकर उनको आगे की ओर बढ़ने में सहायता करते हैं। साख की वर्तमान तथा भविष्य की मात्रा की श्रेष्ठतम माप मुद्रा में ही हो सकती हैं। मुद्रा के बिना साख-व्यवस्था का अंत हो जाएगा। अतः मुद्रा वर्तमान अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक तेल तथा ईंधन का कार्य करते हैं।

सामाजिक क्षेत्र में क्रांति

आधुनिक अर्थव्यवस्था में मुद्रा का यह दूसरा सबसे बड़ा महत्व हैं इसके माध्यम से ही संपत्ति का विनियोग (Investment) किया जाता हैं। अनेक स्कूल, कालेज, होटल, लाइब्रेरी इत्यादि पैसे से ही चलाए जा रहे हैं।

आधुनिक बाजार व्यवस्था का आधार

यह (Money) ही एक ऐसा माध्यम है जिसके कारण बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था स्थापित हुई है क्योंकि बड़े कारखानों में जितने माल का उत्पादन होता हैं, वह सभी मुद्रा के बदले तत्काल बिक जाता हैं और प्राप्त हुए मुद्रा से दोबारा कच्चा माल खरीदा जाता हैं।

उससे नया माल बनाया जाता हैं। इस प्रकार मुद्रा के माध्यम से पूंजी का कई बार आवर्तन (Turnover) किया जा सकता है और अधिक लाभ कमाया जा सकता हैं।

राजनीतिक क्षेत्र में क्रांति

समय जैसे-जैसे बदलता गया, वैसे-वैसे विनिमय का माध्यम भी बदलता गया । Money ने पूरा काया ही पलट दिया । इसने राजनीतिक क्षेत्र में क्रांति ही ला दी। जनता सरकार को टैक्स चुकाता हैं,Tax पहले भी देता था अपनी इच्छा के बिना लेकिन आज जनता अपनी इच्छा से सरकार को Tax Pay करता है और इसके बदले में उसे कुछ अधिकार भी प्राप्त होते हैं।

सामाजिक कल्याण की सूचक

मुद्रा के माध्यम से ही किसी देश की राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय का माप होता हैं। यदि प्रत्येक व्यक्ति की वास्तिवक आय बढ़ती रहती है तो देश आर्थिक कल्याण की ओर आगे बढ़ता हैं, अन्यथा नहीं बढ़ता है।

अर्थशास्त्र के विभिन्न क्षेत्रों में मुद्रा का महत्व

उत्पादन क्षेत्र

आधुनिक युग में उत्पादन अनेक तत्वों के सहयोग का परिणाम है जिनमें भूमि, श्रम, पूंजी, संगठन एवं साहस का समावेश होता हैं। इन सभी तत्वों के मूल्य का सामूहिक योग लागत होती है जो मुद्रा में निर्धारित की जाती हैं।

विनिमय क्षेत्र

जब किसी भी माल को तैयार कर लिया जाता है तो उसे बेचने की बारी आती है। मुद्रा प्रत्येक वस्तु की लागत का अनुमान लगाने में सहायक होती हैं और लागत के आधार पर ही वस्तु का मूल्य निर्धारित किया जाता हैं। मूल्य निश्चित किए बिना किसी भी वस्तु की बिक्री संभव नहीं हैं।

वास्तव में, संपूर्ण विक्रय-व्यवस्था मुद्रा पर ही आधारित हैं। मुद्रा विनिमय का माध्यम और मूल्यमापक का कार्य करती हैं। इस प्रकार मुद्रा ने वस्तु विनिमय की कठिनाइयों को दूर कर दिया हैं।

उपभोग क्षेत्र

आर्थिक क्रियाओं में उपभोग का सबसे पहला स्थान हैं। मनुष्य जिस वस्तु का उपभोग करना चाहता हैं, उसकी खरीद की मात्रा वस्तु की कीमत पर निर्भर करती हैं और कीमत के निर्धारण में मुद्रा की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। उपभोग का उद्देश्य अधिकतम संतोष प्राप्त करना होता हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सीमित आय को इस प्रकार व्यय करना चाहता है कि उसे अधिकतम संतोष प्राप्त हो सके ।

यह मुद्रा द्वारा ही संभव है क्योंकि मुद्रा द्वारा ही यह जाना जा सकता है कि किस वस्तु के उपभोग से कितना संतोष प्राप्त हो सकेगा।

वितरण क्षेत्र
राजस्व क्षेत्र