राष्ट्रीय आय क्या हैं

राष्ट्रीय आय शब्द आपने अवश्य सुना होगा। आइए आज के इस आर्टिकल में हम इसी टॉपिक पर चर्चा करते हैं। अर्थात राष्ट्रीय आय का अर्थ एवं परिभाषा क्या हैं तथा राष्ट्रीय आय को कैसे मापा या गणना किया जाता हैं।

राष्ट्रीय आय का अर्थ एवं परिभाषा

किसी राष्ट्र में 1 वर्ष के अंदर उत्पादन के विभिन्न साधनों जैसे की भूमि, श्रम, पूंजी, संगठन व साहस के सहयोग से जो वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उसके कुल योग को कुल राष्ट्रीय आय अथवा कुल राष्ट्रीय लाभांश कहते हैं।

जब कुल राष्ट्रीय आय में से चालू पूंजी का प्रतिस्थापन व्यय, अचल पूंजी की घिसावट तथा प्रतिस्थापन व्यय, सरकारी करों तथा बीमा का व्यय आदि को घटाया जाता है तो शेष को वास्तविक आय कहा जाता हैं।

इसकी परिभाषा विभिन्न विद्वानों द्वारा दिया गया हैं-

प्रोफेसर पिगु के शब्दों के अनुसार – राष्ट्रीय आय अथवा राष्ट्रीय लाभांश विदेशों से प्राप्त आय के सहित देश की वस्तुनिष्ठ अथवा बाहरी आय का वह भाग है जिसे मुद्रा द्वारा लाया जा सके।

प्रो. मार्शल और प्रो. पिगु ने अपनी परिभाषा में राष्ट्रीय आय की देश के उत्पादन के आधार पर गणना की हैं। प्रोफेसर फिशर ने उपभोग के आधार पर राष्ट्रीय आय की परिभाषा दी हैं।

National dividend is that part of the objective income of the community including of course income derived from abroad which can be measured in money – Pigou

प्रोफ़ेसर फिशर के अनुसार – वास्तविक राष्ट्रीय आय वर्ष भर में वास्तविक उत्पत्ति का वह अंश है जिसका उस वर्ष के अंदर ही प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जाता हैं।

The true national income is that part of the annual net produce which is directly consumed during the year – professor fisher.

राष्ट्रीय आय की गणना कैसे की जाती हैं?

राष्ट्रीय आय की गणना निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है जो कि नीचे की पंक्ति में कुछ इस प्रकार से दिया गया हैं –

आम गणना प्रणाली किसे कहते हैं?

इस प्रणाली के अनुसार देश के संपूर्ण जनसंख्या की आय का योग्यफल तैयार किया जाता है जो व्यक्ति आय कर देते हैं और जो व्यक्ति आयकर नहीं देते हैं ।उन सभी व्यक्तियों की आय की गणना के आधार पर जो संपूर्ण योग्य फल निकलता है उसे ही राष्ट्रीय आय कहा जाता हैं।

इस प्रणाली में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि एक ही आय को दो बार ना गिन लिया जाए। यह प्रणाली विशेषकर छोटे देश जहां अधिकांश लोग आय कर देते हैं। वहां अधिक उपयोगी होती है।

उत्पत्ति गणना प्रणाली

इस प्रणाली के अनुसार उत्पादन के साधनों द्वारा उत्पादित संपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की राशि की गणना की जाती हैं। संपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की राशि में से पूंजी का ब्याज, अचल पूंजी,घिसावट तथा प्रतिस्थापन व्यय आदि को घटाने से जो शेष बचता हैं उसे वास्तविक उत्पत्ति कहते हैं।

जो वास्तविक राष्ट्रीय आय हैं, जिसका वितरण उत्पादन के साधनों के बीच उनके पुरस्कार के रूप में होता हैं। इस प्रणाली में एक वस्तु के उत्पादन को दो बार ना गिन लिया जाए इस पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं।

व्यवसायिक गणना प्रणाली

इस प्रणाली का प्रयोग वहां होता है जहां लोगों की आय के पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इस प्रणाली के अनुसार अलग-अलग व्यवसायों में लगे व्यक्तियों की गणना तथा व्यवसाओं में उनकी आय का योगफल निकाला जाता है जो राष्ट्रीय आय को सूचित करता हैं।

उदाहरण के रूप में कृषि, उद्योग व्यापार, यातायात आदि व्यवसाय में लगे व्यक्तियों की गणना कर उनकी आय का योगफल निकालकर राष्ट्रीय आय को जाना जाता हैं।

व्यय, विनियोग तथा बचत गणना प्रणाली

इस प्रणाली के अनुसार देश के संपूर्ण जनसंख्या के व्यय, विनियोग तथा बचत की राशि का योग फल निकाला जाता है जो आय को सूचित करता हैं।

राष्ट्रीय आय की गणना अथवा माप की उपरोक्त चारों प्रणालियों में अपनी सुगमता के कारण उत्पत्ति गणना प्रणाली अधिक व्यवहारी तथा लोकप्रिय हैं। विश्व में राष्ट्रीय आय की गणना के लिए अधिकांश देश इसी प्रणाली का प्रयोग करते हैं।