आज का समय प्रतिस्पर्धा (Competition) का समय है। माल बनाने वाले और बेचने वालों के बीच गला-काट प्रतियोगिता ( cut-throat Competition) हो रही है। ऐसे में माल का लागत, इससे संबंधित विभिन्न बातों को आपको समझना होगा। जैसे कि इस आर्टिकल में मैं आपको लागत, लागत लेखांकन की परिभाषा, विशेषताएं व उद्देश्य उत्यादि बताया हुं।
लागत क्या है?
लागत (Cost) को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है। किसी भी वस्तु को तैयार करने में जो पैसे खर्च होता है वह पैसा उस वस्तु की लागत कहलाती है।
उदाहरण के लिए, लकड़ी का कुर्सी बनाने में सबसे बहले लकड़ी की व्यवस्था करनी होगी, लकड़ी का काम करने वाले मजदूर को भी मजदूरी देनी होगी तथा किल (Kanti) इत्यादि चीजें में भी पैसे खर्च होंगे। कुल खर्च होने के बाद जब कुर्सी तैयार हो जाता हैं तो इसमें। जो रुपये खर्च हुए है वह कुर्सी को तैयार करने का लागत होगा।
लागत लेखांकन से आप क्या समझते हैं?
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह किसी वस्तु या सेवा की लागत ज्ञात करने की एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसके आधार पर उस वस्तु या सेवा की लगत का अधिकतम शुद्ध अनुमान लगाया जा सकें ।
अन्य शब्दों में,
लागत लेखांकन वह प्रणाली है जिसके अंतर्गत निर्मित वस्तु या सेवा की लागत ज्ञात की जाती है या उस पर नियंत्रण रखा जाता हैं।
इसके संबंध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिया गया अपना मत नीचे के पंक्ति में कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं –
R.R. गुप्ता के अनुसार – लागत लेखे लेखों की एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा व्ययों का विश्लेषण इस प्रकार किया जाता है कि उत्पादन की एक विशेष इकाई की कुल लागत उचित शुद्धता के साथ जानी जा सके और यह दिखा सके कि ऐसी कुल लागत किस प्रकार आयी हैं।
“Cost Accounts are a system of accounting where by expenditure is analysed to find the total cost of each particular unit of production with a reasonable degree of accuracy and to show how such cost is made up.” -R. R. Gupta
ICWA के अनुसार – उस बिंदु से जिस पर व्यय हुआ है अथवा व्यय हुआ माना गया हैं, लागत केन्द्रों तथा लागत इकाइयों से अंतिम संबंध स्थापित करने तक की लागत का लेखा करने की प्रक्रिया को ही लागत लेखांकन कहते हैं।
R. N. Carter के शब्दों में – किसी वस्तु के निर्माण अथवा किसी उपकार्य पर प्रयुक्त सामग्री तथा श्रम का खाते में लेखा करने की प्रणाली को लागत लेखांकन कहते हैं।
बिग के मत – लागत लेखांकन व्ययों के ऐसे विश्लेषण एवं वर्गीकरण का आयोजन हैं जिससे उत्पादन की विशेष इकाई की कुल लागत का निर्धारण उचित शुद्धता के साथ किया जा सके और साथ ही यह भी जाना जा सके कि ऐसी कुल लागत किस प्रकार आयी हैं।
लागत लेखांकन की विशेषताएं या उद्देश्य
ऊपर दिए गए परिभाषा के आधार पर इसकी निम्नलिखित विशेषताएं एवं उद्देश्य होते हैं जो नीचे के पैराग्राफ में इस प्रकार से दिए गए हैं –
- यह कला और विज्ञान दोनों हैं।
- इसके अंतर्गत लागत के तत्व जैसे की सामग्री, श्रम एवं व्यय पर पर्याप्त नियंत्रण रखा जाता हैं।
- लागत लेखांकन वित्तीय लेखांकन का ही एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
- इसके अंतर्गत लागत के व्ययों का वैज्ञानिक वर्गीकरण किया जाता हैं।
- इससे उत्पादित वस्तुओं की शुद्ध लागत की जानकारी हो पाती हैं।