वित्तीय विवरण मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता हैं-
a. लाभ की बात और दूसरा ठोस वित्तीय स्थिति।
वित्तीय विवरण का विश्लेषण तथा उनका समन्वयक इस बात की सूचना का परिचायक होता है कि जो भी सूचना आय वितरण तथा आर्थिक चिट्ठा में दी गई है वह व्यापार की सही और वर्तमान स्थिति व्यक्त करती है और उसमें जो भी लाभ दिखाए गए हैं वे व्यापार के ठोस वित्तीय स्थिति प्रदर्शित करते हैं।
वित्तीय विवरण विश्लेषण के आवश्यक तत्व लिखें
किसी भी व्यवसाय के वित्तीय विवरण का विश्लेषण विभिन्न विधियों से किया जा सकता है जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –
- अनुपात विश्लेषण विधि
- निरपेक्ष संख्याओं की तुलना विश्लेषण द्वारा
- भाववाचक विश्लेषण विधि
- ग्राफ और डायग्राम विश्लेषण विधि
- खंड सम विश्लेषण विधि
- संघटक प्रतिशत विश्लेषण विधि
- अन्य विश्लेषण विधि
अनुपात विश्लेषण विधि
इस विधि के अनुसार संपूर्ण संख्याओं को प्रयोग में नहीं लाया जाता है बल्कि संबंधित संख्याओं के अनुमान निकाले जाते हैं और इन अनुपातों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
निरपेक्ष संख्याओं की तुलना विश्लेषण द्वारा
इस विधि के अनुसार दो समय की राशियों की तुलना कर निष्कर्ष निकाले जाते हैं जैसे 2012 और 2013 के बैलेंस शीट में जो संपत्ति एवं दायित्वों की संख्या दी गई है। उन संपूर्ण संख्याओं की तुलना करके आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं और प्रगति एवं उन्नति का ज्ञान प्राप्त किया जाता हैं।
भाववाचक विश्लेषण विधि
इस विधि में बैलेंस शीट के दायित्व और संपत्ति की ओर के प्रत्येक मद का पूर्ण विश्लेषण उसकी आकृति, सीमा, प्रवृत्ति एवं परिस्थितियां आदि देखकर किया जाता हैं।
ग्राफ और डायग्राम विश्लेषण विधि
वित्तीय विवरण के विश्लेषण के तत्वों में ग्राफ और डायग्राम विश्लेषण विधि अति महत्वपूर्ण होता हैं। इस विधि के अनुसार वित्तीय स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए संख्याओं के आधार पर ग्राफ और डायग्रामों के आधार पर यह निष्कर्ष निकालते हैं कि वित्तीय स्थिति की प्रवृत्ति किस प्रकार की हैं। यह विधि आजकल काफी इस्तेमाल हो रहा है।
खंड सम विश्लेषण विधि
इस विधि के द्वारा खंड सम बिंदु निकाला जाता है और यह पता लगाया जाता है कि उस बिंदु पर पहुंचने के लिए जहां ना तो लाभ हो और ना ही हानि, बिक्री किस प्रकार से करनी चाहिए? इसके द्वारा सुरक्षा सीमा भी ज्ञात किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए वास्तविक विक्रय में से खंड सम बिंदु वाली बिक्री को घटाया जाता है।
जब खंड सम विश्लेषण किया जाता है तब संपूर्ण लागत को स्थिर लागत तथा परिवर्तनशील लागत में बांट दिया जाता हैं।
संघटक प्रतिशत विश्लेषण विधि
इस विधि के अनुसार वित्तीय विवरण में संपत्तियों के कुल योग के साथ प्रत्येक संपत्ति का प्रतिशत में अनुपात निकाला जाता है। फिर प्रत्येक संपत्ति के सामने इस प्रतिशत को रखकर जोड़ते हैं तो संपत्ति पक्ष का जोड़ 100 होता है इसी प्रकार दायित्वों पक्ष के प्रति दायित्वों का दायित्व के कुल योग से प्रतिशत निकाला जाता है और प्रत्येक दायित्वों के सामने इस प्रतिशत को रखकर जोड़ते हैं तो दायित्वों का कुल योग 100 हो जाता हैं।
इस प्रकार संपत्ति का जोड़़ 100 और दायित्वों का जोड़ 100 हो जाने से प्रत्येक मद कि पिछले वर्ष की तुलना करने में तथा इसी प्रकार की अन्य कंपनियों के Balance Sheet से तुलना करने में अत्यंत सहायता मिलती है।
लाभ-हानि खाते में इस प्रणाली को लगाने के लिए बिक्री को 100 माना जाता है फिर लाभ-हानि खाते के प्रत्येक मद का इसी बिक्री के साथ प्रतिशत में अनुपात निकाला जाता है।
अन्य विश्लेषण विधि
वित्तीय विवरण की भाषा समझने के लिए उपयुक्त वर्णित विधियों के अलावा अन्य बहुत सी विधियां सुविधा के अनुसार प्रयोग में लाया जा सकता है। जिनका प्रयोग उनके उद्देश्य पर निर्भर करता हैं। संसार के विभिन्न प्रगतिशील देशों में लेखांकन केवल एक महत्वपूर्ण अंग है। व्यवसाय की प्रगति इनके सही विश्लेषण पर निर्भर करती है यही कारण है कि विश्लेषण की अब नयी-नयी पद्धति प्रचलित में आ रही हैं।