किसी वस्तु का चुनाव करते समय उद्यमी

जल्दबाजी में किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करने से भारी नुकसान हो सकता है। आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय उद्यमी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय उद्यमी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

उद्यमी द्वारा अपने व्यवसाय के लिए वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक होता है। जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं-

1.बाजार का निर्धारण
2.व्यवहारिकता
3.उत्पादन लागत
4.प्रतियोगिता
5.कच्चे माल की उपलब्धता
6.लाभ की संभावना

1.बाजार का निर्धारण – वस्तु या सेवा का चुनाव करने से पहले उद्यमी या साहसी को बाजार का सर्वेक्षण कर लेना चाहिए अर्थात उसे यह पता लगना चाहिए कि जिस वस्तु को वह बाजार में लाने की सोच रहा है। उसका बाजार स्थानीय होगा, राष्ट्रीय होगा या अंतरराष्ट्रीय।

2.व्यवहारिकता – वस्तु या सेवा का चुनाव करने से पहले साहसी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह जिस वस्तु को बाजार में लाने जा रहा है उसका व्यवहारिक जीवन में उपयोग है भी या नहीं।

3.उत्पादन लागत – उत्पाद की व्यवहारिकता एवं बाजार निर्धारण करने के बाद उत्पाद की लागत प्रति इकाई पर ध्यान देना चाहिए। वस्तु या सेवा की प्रति इकाई लागत तो अधिक नहीं हो रही हैं। ऐसा ना हो कि उपभोक्ता उत्पाद को सिर्फ दूर से देखकर नमस्कार कर लेने में ही अपनी भलाई समझें। उत्पाद चाहे कितना भी नया क्यों ना हो हमेशा ऐसी लागत की परिधि में होना चाहिए जो उपभोक्ता उसे खरीद सके।

4.प्रतियोगिता

प्रतियोगिता के इस युग में चुनाव करते समय ऐसी वस्तु या सेवा का चुनाव करना चाहिए। जो अन्य प्रतियोगी वस्तु की तुलना में बेहतर किस्म (Good Quality)और कम दाम का हो। यदि उत्पाद बिल्कुल नयी तरह का है तो इसकी प्रतिस्थापना वाली दूसरी वस्तु के मूल्य और बाजार में इसकी वर्तमान स्थिति पर भी विचार करना चाहिए।

5.कच्चे माल की उपलब्धता – साहसी को इस बात पर काफी सोच विचार करके ही आगे की कार्यवाही करना चाहिए। जिसकी उत्पादन के लिए कच्चे माल की आपूर्ति आसानी से हो सके। वैसे ही सेवा या उत्पाद का चुनाव करें।

6.लाभ की संभावना – कोई भी उद्यमी लाभ के लिए ही जोखिम उठाता है और उद्यमी को वस्तु का चुनाव करते समय उसमें लाम की संभावना पर भी विचार कर लेनी चाहिए।

एक सफल और बुद्धिमान साहसी तुरंत लाभ की बात नहीं सोचता बल्कि वह अपने उत्पाद के द्वारा बाजार को प्रभावी बनाकर कुछ दिन ना लाभ ना हानि No profit, No loss पर काम करके अपने धरातल को मजबूत करता है और फिर लाभ तो उसे आने वाले दिनों में मिलने ही लगते हैं।

 

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