आजादी के बाद जो विकास हुआ उसे तो समझेंगे ही लेकिन उससे अधिक स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था को समझना आवश्यक है। भारत 15 अगस्त 1947 के पहले 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन का गुलाम था।

भारत हमारे साम्राज्य की धुरी है। यदि हमारे साम्राज्य का कोई राज्य अलग हो जाता है तो हम जीवित रह सकते हैं , यदि हम भारत को खो देते हैं तो हमारे साम्राज्य का सूर्य (Sun) अस्त हो जाएगा।
– विक्टर एलेगक्जेंडर 1894 में ब्रिटिश इंडिया के वायसराय

स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

स्वतंत्रता के पूर्व भारत की अपनी स्वतंत्र ( Freedom) अर्थव्यवस्था थी। यहां पर लोगों को अपनी आजीविका चलाने के लिए और आय (Income) का मुख्य स्रोत कृषि ही था। इसी से ही देश की अर्थव्यवस्था में कई प्रकार की विनिर्माण गतिविधियां हो रही थी जैसे रेशमी एवं सूती वस्त्र , बहुमूल्य मणि – रतन तथा धातु आधारित वस्तु इत्यादि। इन सभी चीजों में भारत पूरे विश्व में जाना जाता था।

यहां (भारत) पर व्यापार करने की आड़ में ब्रिटिश ने कब्जा कर लिए थे। भारत इंग्लैंड को Raw Material अर्थात की कच्चा माल की पूर्ति करने तथा वहां के तैयार माल को उपयोग करने वाला देश बन कर रह गया था।

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की चार विशेषताएं लिखिए।

इसके संबंध में चार विशेषताएं निम्नलिखित है जो कि नीचे के पंक्ति में कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं –

  1. भारत एक कृषि प्रधान देश था और आज भी है़ं ।
  2. यहां के लोग कृषि कार्य से ही अपना जीवन यापन कर लेते थे। इंग्लैंड में भारत अपना कच्चा माल भेजता था और वहां से इसके बदले में दूसरे वस्तु का Import (मंगाया जाना) किया जाता था।
  3. भारत और इंग्लैंड के बीच राजमार्ग के रूप में प्रयुक्त स्वेज नहर । 1869 में जब यह चालू हो गई तो इससे परिवहन (Transport) लागते बहुत कम हो गई और भारतीय बाजार तक पहुंचना काफी आसान हो गया।
  4. अंग्रेजी के द्वारा सन् 1850 में भारत में रेलों का शुरुआत किया गया । यही इनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा।
  5. मुंबई से थाणे को जोड़ने वाला पहला रेल 1854 में चला गया था।

इकहरा लेखा प्रणाली क्या हैं?