स्वर्ण विनिमय मान क्या हैं

स्वर्ण विनिमय मान क्या हैं, विकास इत्यादि को समझने के लिए सबसे पहले आपको विनिमय क्या होता हैं उसे समझना होगा । उसके बाद से स्वर्ण विनिमय मान की विशेषताएं, गुण तथा सीमाएं (दोष) को समझेंगे। हेलो मेरा नाम चंदन है इस ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।

विनिमय से आप क्या समझते हैं?

सामान्य अर्थों में कहा जाए तो विनिमय से आश्य वस्तुओं को आपस में बदलने से है आइए से उदाहरण के माध्यम से समझते हैं –

राम के पास चावल हैं और वह इसे बेचकर गेहूं खरीदना चाहता हैं। श्याम के पास गेहूं है और वह चावल खरीदना चाहता हैं। दोनों व्यक्ति अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु वस्तु को आपस में बदल लेते हैं वस्तु का आपस में बदलने की क्रिया को ही “विनिमय” (exchange) कहा जाता हैं।

स्वर्ण विनिमय मान क्या हैं?

जब कोई ऐसा लेन-देन की व्यवस्था/प्रणाली प्रचलन में हो जिसमें सोने के माध्यम से वस्तु की अदला-बदली की जाती हो तो उसे हम ‘स्वर्ण विनिमय मान’ (Gold Exchange Standard) कहते हैं।

स्वर्ण विनिमय मान का विकास क्यों?

स्वर्ण मुद्रा मान तथा स्वर्ण धातु मान यह दोनों खर्चीली व्यवस्था है क्योंकि दोनों में मुद्रा व्यवस्था के लिए अत्यधिक स्वर्ण की आवश्यकता पड़ती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए एक ऐसा मुद्रा मान की खोज किया गया जिसमें सरकार स्वर्ण का मूल्य तो मुद्रा में निश्चित करती हैं और स्वर्ण फंड भी रखती है

लेकिन जनता को घरेलू उपयोग के लिए सोना नहीं देती हैं। विदेशी भुगतान के लिए सरकार या तो सोना की व्यवस्था कर देती हैं या जिस विदेशी मुद्रा की आवश्यकता हो उसका प्रबंध कर देती है। इस व्यवस्था को चलाने के लिए प्रायः विदेशों में गोल्ड या विदेशी मुद्रा के Fund रखे जाते हैं।

स्वर्ण विनिमय मान की विशेषताएं

इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  • विदेशी भुगतान के लिए स्वर्ण अथवा विदेशी विनिमय की व्यवस्था कर दी जाती है। यह इसकी पहली विशेषता हैं।
  • इस प्रणाली में विदेशों में सोना या विदेशी मुद्रा के Fund में रखे जाते हैं।
  • जब भी विदेशी भुगतान करना होता है संबंधित रकम का उसी में भुगतान कर दिया जाता हैं।

  • इस व्यवस्था के अंतर्गत देश की मुद्रा का मूल्य स्वर्ण अथवा विदेशी विनिमय निश्चित होता है लेकिन घरेलू उपयोग के लिए मुद्रा के बदले सोना देने की प्रावधान नहीं होता है।
  • स्वर्ण विनिमय मान के अंतर्गत सोने की मुद्राएं चलन में नहीं रहतीं, कागज के नोट तथा सांकेतिक सिक्के प्रचलित रहते हैं।

स्वर्ण विनिमय मान के 5 गुण लिखे?

स्वर्ण विनिमय मान के पांच निम्नलिखित गुण हैं जो नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –

  1. विदेशों में विनियोग
  2. विदेशी भुगतान में सुविधा
  3. विनिमय दर में स्थिरता
  4. कम खर्चीली
  5. लोचदार

विदेशों में विनियोग ( Investment abroad)

विदेशों में जो स्वर्ण मुद्रा जमा रहती है उससे ब्याज की आय होती हैं। यह लाभ केवल उन देशों को प्राप्त होता है जिनमें पूंजी विनियोग के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं हैं।

विदेशी भुगतान में सुविधा ( Facility in Foreign payment)

इस प्रणाली के अंतर्गत विदेशों में स्वर्ण अथवा विदेशी विनिमय के कोष रखे जाते हैं। अतः विदेशी भुगतान करना बहुत आसान हो जाता हैं।

विनिमय दर में स्थिरता ( stability in exchange rate)

इस व्यवस्था में विनिमय दर का संबंध प्रायः किसी शक्तिशाली मुद्रा से किया जाता है अतः इसमें उतार-चढ़ाव की संभावनाएं कम रहती हैं।

कम खर्चीली (Economical)

स्वर्ण विनिमय मान के अंतर्गत बहुत कम स्वर्ण कोष में रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि स्वर्ण केवल विदेशी भुगतान के लिए दिया जाता हैं। अतः यह व्यवस्था विकासशील देशों के लिए उपर्युक्त हैं।

लोचदार (Elastic)

इस व्यवस्था में आवश्यक मात्रा में मुद्रा चलन में डालने में कोई कठिनाई नहीं होती क्योंकि कागजी मुद्रा के पीछे स्वर्ण कोष रखने की आवश्यकता नहीं होती है।

स्वर्ण विनिमय मान के दोष ( Demerits of gold exchange standard)

इस व्यवस्था के निम्नलिखित दोष हैं जो नीचे की पंक्ति में इस प्रकार से दिए गए हैं –

विदेशों में फंड रखने से हानि

इस व्यवस्था के अंतर्गत एक देश को विदेशी भुगतान की सुविधा के लिए किसी विदेशी बैंक में सोना रखना पड़ता हैं। यदि किसी कारण बैंक फेल हो जाता है या डूब जाता है तो बहुत बड़ी नुकसान हो जाएगी।

लोच का अभाव

इस पद्धति में मुद्रा का विस्तार करना तो सरल होता है क्योंकि सोना को रिजर्व रखे जाने की आवश्यकता नहीं होती परंतु मुद्रा संकुचन में बहुत अधिक कठिनाई होती हैं।

देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा पर आश्रित

इस मान में देश की मुद्रा का किसी विदेशी मुद्रा से गठबंधन करना पड़ता हैं। यदि उस विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं तो अपनी मुद्रा का मूल्य भी बदलता रहता हैं।

अविश्वास

घरेलू कार्यों के लिए मुद्रा के बदले स्वर्ण ना मिलने के कारण जनता का मुद्रा में अविश्वास होने का डर बना रहता हैं।

मुद्रा- स्फीति

मुद्रा के पीछे स्वर्ण के पर्याप्त कोष न होने से देश में मुद्रास्फीति का डर बना होता हैं।