अनुबंध से आप क्या समझते हैं

आपने भी अनुबंध शब्द अवश्य ही सुना होगा । इसका अर्थ बिल्कुल ही आसान है आसान होते हुए भी काफी लोग इसे समझ नहीं पाते हैं तो आज के इस नए आर्टिकल में आपको अनुबंध से आप क्या समझते हैं, विशेषताएं, वैध अनुबंध (Contract) के लक्षण एवं आवश्यक तत्व तथा अन्य मुख्य बातें बताया जाएगा । आइए पढ़ना शुरू करते हैं…

अनुबंध से आप क्या समझते हैं?

दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किसी ठहराव करने के लिए राजी करना ही “अनुबंध” (Contract) कहलाता हैं। यह एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच वैद्य (Valid) ठहराव का होना।

“यह एक ठहराव है जो कि राज नियम द्वारा प्रवर्तनीय है।”

“अनुबंध का मतलब जुड़ी हुई वस्तु या फिर संबंध से हैं।”

कुछ अन्य विद्वानों के द्वारा इसकी परिभाषा कुछ इस प्रकार से दिया गया है जो नीचे के पैराग्राफ में हैं-

सर विलियम एन्सन – अनुबंध एक प्रकार का ठहराव है जो कि सीधे रूप से होता है तथा दायित्व उत्पन्न करता है।

लीक के शब्दों में – अनुबंध कानूनी अनुबंध कहलाने के लिए एक ऐसा ठहराव है जिसके द्वारा एक पक्षकार कुछ कार्य संपादित करने के लिए बाध्य होगा जिसे दूसरे पक्ष कार को प्रवर्तनीय कराने के लिए वैधानिक अधिकार प्राप्त होगा।

अनुबंध क्या है उदाहरण देकर समझाइए

भारतीय अनुबंध अधिनियम द्वारा दी गई उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार अनुबंध होने के लिए निम्न दो बातों का होना आवश्यक है पहला दोनों पतक्षकारों के बीच ठहराव स्पष्ट होने चाहिए और दूसरा यह कि ठहराव राज नियम द्वारा प्रवर्तनीय हो।

अर्थात सारांश में – अनुबंध = ठहराव + अधिनियम द्वारा प्रवर्तनीयता

उदाहरण – राम और श्याम दो मित्र हैं दोनों मिलकर एक व्यवसाय को शुरू करना चाहते हैं इसके लिए दोनों का योजना अलग-अलग है जब दोनों आपस में मिलकर व्यवसाय शुरू करने हेतु राजी हो जाएं और उनके बीच ठहराव स्पष्ट हो जाए तो अनुबंध का जन्म होता है पर ध्यान देना है कि जो भी ठहराव हो कानून द्वारा मान्यता प्राप्त हो।

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अनुबंध की विशेषताएं

इसकी विशेषताएं निम्नलिखित होती है जो नीचे प्रकार से दी गई हैं –

  1. यह एक ठहराव होता हैं।
  2. इसके लिए दो या दो से अधिक पक्षकारों का होना अत्यंत आवश्यक हैं।
  3. अनुबंध प्रत्यक्ष रूप में होता हैं।
  4. यह दायित्व उत्पन्न करता हैं।
  5. इसकी विशेषता वैधानिक अनुबंध का निर्माण करना है।

अनुबंध के लक्षण एवं आवश्यक तत्व

(Contract )अनुबंध का अन्य नाम वैध अनुबंध भी होता है। वैध अनुबंध के आवश्यक तत्व एवं लक्षण निम्नलिखित हैं-

अनुबंध अधिनियम की धारा 2h के अनुसार ‘यह एक ठहराव है जो कि राज नियम द्वारा प्रवर्तनीय है।’इस प्रकार से वैध अनुबंध के दो लक्षण होते हैं-

  • ठहराव का होना।
  • जो ठहराव है उसका निर्माण राज नियम के द्वारा किया जाना ।

वैध अनुबंध के तत्व एवं लक्षण

  1. एक से अधिक पक्षकारों का होना
  2. ठहराव का होना
  3. ठहराव का वैधानिक रूप में लागू होना
  4. पक्षकारों में अनुबंध करने की क्षमता
  5. पक्षकारों की स्वतंत्र सहमति

एक से अधिक पक्षकारों का होना

इसका सबसे पहला लक्षण है कि इसमें दो या दो से अधिक पक्षकार होने चाहिए। इन पक्षकारों में 1 प्रस्तावक तथा दूसरा स्वीकार कर्ता होना चाहिए। प्रस्तावक प्रस्ताव रखता है और स्वीकार कर्ता उक्त प्रस्ताव को स्वीकार करता हैं। प्रस्ताव की स्वीकृति होते ही यह अनुबंध का निर्माण होता है, पहले नहीं।

ठहराव का होना

वैद्य अनुबंध का दूसरा लक्षण यह है कि पक्षकारों के बीच ठहराव होने चाहिए। किंतु चूंकि प्रत्येक ठहराव का जन्म प्रस्ताव तथा स्वीकृति के परिणाम स्वरुप होता है। अतएव उचित रूप में यह कहा जा सकता है कि एक अनुबंध का आवश्यक लक्षण अथवा तत्व ‘प्रस्ताव तथा स्वीकृति’ ही हैं।

ठहराव का वैधानिक रूप में लागू होना

यह तीसरा महत्वपूर्ण लक्षण है। वैधानिक रूप में लागू होना चाहिए। यदि ठहराव वैधानिक रूप में लागू नहीं कराया जा सकता है तो वह अनुबंध का रूप कभी भी धारण नहीं कर सकता हैं।

उदाहरण के लिए पति-पत्नी या दीवानी अपकार (Torts or Civil wrongs) ।

पक्षकारों में अनुबंध करने की क्षमता

वैध अनुबंध या अनुबंध का चौथा सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है कि पक्षकारों में अनुबंध करने की क्षमता होनी चाहिए। अनुबंध अधिनियम की धारा 11 में पक्षकारों की अनुबंध करने की क्षमता को स्पष्ट किया गया है। इस धारा के अनुसार प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जो कि

वयस्क आयु का हो, स्वस्थ मस्तिष्क का हो किसी भी प्रचलित राज नियम के अंतर्गत अनुबंध करने के लिए अयोग्य घोषित नहीं किया गया है अनुबंध करने की क्षमता रखता है।

पक्षकारों की स्वतंत्र सहमति

यह पांचवा सबसे महत्वपूर्ण तत्व व लक्षण है कि अनुबंध के लिए पक्षकारों की सहमति होनी चाहिए और साथ में स्वतंत्रता भी होनी चाहिए।

अनुबंध अधिनियम की धारा 13 के अनुसार दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सहमति उस समय कही जाती है जब वे एक ही बात पर एक ही भाव में समर्थ होते हैं। धार 14 के अनुसार सहमति उस समय स्वतंत्र कही जाती है जो नीचे दिए गए शब्दों में किसी से भी प्रभावित नहीं होती हो –

  • अनुचित प्रभाव धारा 16
  • उत्पीड़न धारा 15
  • कपट या धोखा धारा 17
  • मिथ्या वर्णन धारा 18
  • गलती या त्रुटि धारा 20, 22 ।

मुख्य बातें
  • अनुबंध लिखित साक्षी द्वारा प्रमाणित तथा रजिस्टर्ड होना चाहिए बशर्ते वैधानिक रूप में ऐसा होना आवश्यक हो।
  • अनुबंध की वैधता के लिए लिखित ठहराव होना आवश्यक हैं।
  • इसके साथ-साथ उनका पंजीकरण कराना भी अनिवार्य है।
  • अनुबंध का ठहराव निश्चित हो, अनिश्चित नहीं । यह इसका अन्य महत्वपूर्ण लक्षण हैं।