आंतरिक अंकेक्षण

अंकेक्षण यानी की जांच-पड़ताल । आंतरिक अंकेक्षण व्यवसाय में कराया जाता है। पिछले आर्टिकल में मैंने आपको अंकेक्षण की परिभाषा, उद्देश्य तथा वर्गीकरण बिल्कुल सरल शब्दों में समझाया है। आज का आर्टिकल भी इसी का एक भाग है। इसमें आप आंतरिक अंकेक्षण किसे कहते हैं, उद्देश्य ,लाभ/गुण, दोष/हानि एवं Internal Audit तथा अंतरिम अंकेक्षण में अंतर के बारे में बताया गया हैं।

आंतरिक अंकेक्षण क्या होता हैं?

आंतरिक अंकेक्षण से ऐसे अंकेक्षण से है जिसमें संस्था अपने लेखा पुस्तकों की जांच अपने ही कर्मचारियों से कराती हो। हालांकि यह अंकेक्षण अनिवार्य नहीं होता है। यह संस्था के स्वरूप पर निर्भर करता है। इस प्रकार के अंकेक्षण का प्रयोग बड़ी-बड़ी संस्थाएं द्वारा किया जाता है।

प्रो. मिग्स के अनुसार ‘संस्था के कुशल प्रशासन के लिए उच्चस्तरीय प्रबंधकों की सहायता के उद्देश्य से कर्मचारियों के द्वारा परिचालन,वित्तीय आदि संबंधित क्रियाओं की व्यवस्थित एवं मूल्यांकन Internal Audit कहलाता हैं’।

 

आंतरिक अंकेक्षण के उद्देश्य/विशेषताएं

  • लेनदेन की जांच करना – आंतरिक अंकेक्षण का यह प्रथम उद्देश्य होता है लेन-देन की जांच करना। इससे संस्था की सही स्थिति प्रकट होती है। लेन-देन का मूल तात्पर्य पैसे से हैं। अगर व्यवसाय में पैसा ही गड़बड़ रहेगा तो बिजनेस सफल नहीं होगा।
  • कार्य प्रमाप को बढ़ाना – आंतरिक अंकेक्षण से सिर्फ कर्मचारियों की कार्य क्षमता में ही वृद्धि नहीं होती बल्कि प्रमापित कार्य क्षमता भी बढ़ता है। (यहां पर प्रमापित शब्द का अर्थ हाई क्वालिटी से हैं।)
  • लक्ष्य एवं उद्देश्य की पूर्ति का दोबारा जांच – आंतरिक अंकेक्षण का यह उद्देश्य दूसरा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि काफी हद तक यह व्यवसाय को सफल बनाने में अपना भूमिका अदा करता है। इसके अंतर्गत यह जांच किया जाता है कि कार्य निर्धारित लक्ष्य एवं उद्देश्य के अनुसार हो रहा है या नहीं।
  • प्रबंध की ओर से विशेष अनुसंधान – यह प्रबंध के किसी भी अनुसंधान के लिए तैयार रहते हैं।
  • व्यापार की संपत्तियों की रक्षा करना – संपत्तियों की रक्षा करना आंतरिक अंकेक्षण का उद्देश्य होता है। रक्षा से आश्य सही तरीके से सही जगह पर उपयोग करने से हैं।

 

आंतरिक अंकेक्षण के लाभ व गुण

इस अंकेक्षण के निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. पूंजी क्षरण पर रोक – पूंजी क्षरण से आश्य पूंजी में कमी होने से है। पूंजी क्षरण संस्था के लिए घातक घटक है। उदाहरण – संपत्ति पर कम हृास दिखाना, संचय कोष का कम सृजन करना तथा अधिक लाभांश की घोषणा करना आदि।
  2. परिचालन संबंधी सुधार – Internal Audit से ना केवल छल-कपट, अशुद्धियों की जानकारी होती है बल्कि परिचालन संबंधित विभिन्न क्रियाओं की भी जानकारी होती है।आंतरिक अंकेक्षण परिचालन संबंधित क्रियाओं में सुधार का सुझाव भी देता है।
  3. गबन, छल-कपट पर रोक – आंतरिक अंकेक्षण का यह सबसे महत्वपूर्ण लाभ/गुण है गबन, छल-कपट को रोकना। इससे कर्मचारी के मन में हमेशा डर बना रहता है यदि अंकेक्षक उनकी गलती ढूंढ निकालेगा तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
  4. ग्राहकों से संबंध अच्छा होना – इस अंकेक्षण से ग्राहकों का संबंध संस्था के साथ अच्छा होता है। ग्राहकों से अच्छा संबंध का होना व्यवसाय की सफलता है। ग्राहकों के हर एक बातों पर अच्छे से सोच-विचार करना और उनकी समस्या का समाधान करना।आंतरिक अंकेक्षण के लाभ व गुण है।
  5. नीतियां तैयार करना – आंतरिक अंकेक्षण से भविष्य की नीतियों का निर्धारण संस्था के कर्मचारियों को करने में मदद मिलती है। आंतरिक अंकेक्षण से संस्था की वर्तमान नीतियों एवं योजनाओं का विश्लेषण पर उनकी कमियों को दूर करने के संबंध में प्रबंधकों की सहायता करने में कारगर साबित होता है जिससे संस्था आर्थिक, प्रशासनिक व सामाजिक स्तर से ऊंचाई तक पहुंचती है।

 

आंतरिक अंकेक्षण के दोष/हानि

  1. प्रबंधक और अंकेक्षक आपसी संबंध बनाकर अपने निजी हित के लिए काम करवा सकता है जिससे संस्था के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  2. अंकेक्ष प्रबंधकों के दबाव या लालच में आकर संस्था के लाभ को कम दिखाएं।
  3. यह अंकेक्षण संस्था के लिए भार होता है जिससे संस्था की लागत बढ़ जाती है। यह बड़ी संस्थाओं के लिए उपयोगी होता है।
  4. पक्षपातपूर्ण कार्य की संभावना अधिक बना रहता है क्योंकि इसमें संस्था के ही कर्मचारी होते हैं। कभी-कभी आंतरिक अंकेक्षण का कार्य संस्थाओं के लिए अनुत्पादक भी साबित हो जाता है हालांकि यह अनुत्पादक तब साबित होता है जब अंकेक्षक योग्य व प्रभावशाली नहीं हो।

 

आंतरिक अंकेक्षण तथा अंतरिम अंकेक्षण में अंतर

  • परिभाषा – आंतरिक अंकेक्षण कर्मचारियों का संगठन होता है जिसके अंतर्गत एक कर्मचारी द्वारा संपादित कार्य का जांच दूसरे कर्मचारी द्वारा किया जाता है जबकि अंतरिम अंकेक्षण एक चालू अंकेक्षण होता है जिसके अंतर्गत सक्षम कर्मचारियों के द्वारा ही अंकेक्षण का कार्य किया जाता हैं।
  • समय – इस अंकेक्षण का कार्य तब शुरू किया जाता है जब लेखा संबंधित कार्य पूरा हो जाते हैं जबकि अंतरिम अंकेक्षण का कार्य एक प्रक्रिया के रूप में चलता रहता है।
  • कार्य करने की प्रकृति – यह अंकेक्षण का संबंध लेखा पुस्तकों की जांच से होता है लेखा करने से नहीं जबकि अंतरिम अंकेक्षण का संबंध लेखा करने एवं लेखा पुस्तकों की जांच दोनों करने से होता है।
  • कार्य प्रणाली – इसके अंतर्गत कार्य का निष्पादन इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि एक कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य की जांच दूसरे कर्मचारी द्वारा आसानी से कर ली जाएं। जबकि इसमें संस्था के कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्यों की जांच आंतरिक अंकेक्षण के द्वारा ही किया जाता है।
  • चार्टर्ड अकाउंटेंट – इस  अंकेक्षण में अंकेक्षक चार्टर्ड अकाउंट हो सकता है और नहीं भी जबकि अंतरिम अंकेक्षण में अंकेक्षक चार्टर्ड अकाउंट नहीं होता है।

 

Conclusion :

प्रिय पाठक ! इस पोस्ट के बारे में अपना फीडबैक दें।आंतरिक अंकेक्षण (Internal Audit) दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है पहला आंतरिक जिसे अभ्यंतर व दूसरा अंकेक्षण यानी निरीक्षण (जांच-पड़ताल)अर्थात किसी संस्था के अंदर के लोगों से जांच करवाना आंतरिक निरीक्षण हैं।

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