आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि परियोजना निर्माण के विभिन्न चरण क्या है तथा परियोजना चयन क्या हैं।
किसी भी कार्य को करने से पहले एक परियोजना (Project) बनाया जाता हैं। जिसमें कार्य को किस भातिं से,कब,कहां और कैसे करना हैं। वह सभी बातें स्पष्ट रुप से लिखी होती हैं। एक सफल परियोजना के निर्माण में कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता हैं। बिना परियोजना निर्माण के कोई कार्य अच्छे से सम्पन्न हो ही नहीं सकता हैं।
परियोजना निर्माण के विभिन्न चरण
किसी भी परियोजना की शुरुआत करने से पहले उस पर भली – भाँति विचार विमर्श कर लेना चाहिए और उसके बाद ही आगे की कार्यवाही करनी चाहिए। बिना जाँच विचारे किसी कार्य को करना घातक सिद्ध हो सकता हैं। इस प्रकार से परियोजना निर्माण में मुख्य रूप से 6 चरण या अवस्थाएं होती हैं। जो कि नीचे इस प्रकार से दी गई हैं –
1. परियोजना की पहचान करना (Project Identification)
2. परियोजना निरुपण की चरण (Project Formulation)
3. परियोजना का मूल्यांकन (Project Appraisal)
4. परियोजना का चयन (Selection of Project)
5. परियोजना का क्रियान्वयन (Project Implementation)
6. परियोजना समारम्भ की अवस्था (Project Commencing)
1. परियोजना की पहचान करना (Project Identification) – परियोजना की पहचान करना किसी भी व्यक्ति या साहसी के लिए अहम् निणर्य होता हैं। परियोजना की पहचान करने के लिए बुद्धि, विवेक की आवश्यकता होती हैं। इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं बनाया गया है। अधिकतर साहसी एक लाभदायक परियोजना कज पहचान के लिए अपने अनुभव तथा दिमाग का इस्तेमाल करते हैं। यदि कोई व्यक्ति एक दुसरे क्षेत्र के परिजना में सफल हो जाता हैं तो यह जरूरी नहीं हैं कि दूसरा व्यक्ति या साहसी भी सफल हों। गलत परियोजना के पहचान हो जाने पर उधमी या साहसी को भारी मात्रा में नुकसान भी उठाना पड़ सकता हैं।
विशेष रुप में परियोजना पहचान का अर्थ
पीटर, एफ. ड्रकर के अनुसार – परियोजना पहचान विनियोजन के संभावित अवसरों को ज्ञात करने के उद्देश्य से किया गया आर्थिक आंकड़ों का संग्रह, संकलन एवं विशेषण प्रबंध से है। इन्होंने विनियोजन को 3 अवसरों में बांटा है । जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं –
A.योगज अवसर
B.पूरक अवसर
C.भंग अवसर
A.योगज अवसर – यह अवसर निर्णय लेने वाले को मौजूद संसाधनों का, व्यवसाय के चरित्र को बिना प्रभावित किए प्रभावी, उपयोग करने में सहायता प्रदान करते हैं ।
B.पूरक अवसर – पूरक अवसरों से आश्य नवीन विचारों के लागू करने से होता है। जिनके कारण मौजूद संरचना में परिवर्तन आता है।
C.भंग अवसर – भांग अवसरों में व्यवसाय के चरित्र एवं संरचना में मूलभूत परिवर्तन शामिल होते हैं ।इन तीनों के मदद से परियोजना का प्रवाह निरंतर चलते रहता है। योगज अवसरों में रिस्क का तत्व सबसे कम होता है । इसका कारण यह है कि योगज अवसरों में व्यवसाय की मौजूद दशा में सबसे कम बाधाएं उत्पन्न होती है। फिर भी यदि जोखिम ( Risk)का तत्व अधिक हो जाए तो परियोजना विचार के क्षेत्र एवं प्रकृति की पुनः व्याख्या की जानी चाहिए और परियोजना के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक समाधान विकसित किए जाने चाहिए।
2. परियोजना निरुपण की चरण (Project Formulation) – एक साहसी द्वारा लाभदायक परियोजना प्राप्त करने के लिए उसे विभिन्न प्रकार के गतिविधियों को करना होता है । उन सभी गतिविधियों में से सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि परियोजना का निरूपण करना होता है।
सामान्य अर्थों में “परियोजना निरूपण से आशय एक साहसी या उद्यमी द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में से अपने लिए एक लाभदायक (Profitable) और उस पर कार्य करना संभव हो, वैसे परियोजना का चुनाव करने से होता है तथा साहसी यह सुनिश्चित करता है कि अब वह इसी परियोजना पर कार्य करेगा और इसके लिए वह आवश्यक संसाधन (Resources) जुटाने में लग जाता है।”
3. परियोजना का मूल्यांकन (Project Appraisal) – एक साथी द्वारा परियोजना की पहचान करना व निरूपण की क्रिया संपादित करना कोई बड़ी बात नहीं होती है। एक उद्यमी के लिए अत्यंत आवश्यक है कि वह जिस परियोजना का निरूपण किया है क्या वास्तव में उसका कोई मूल्य (Value) होगा । भविष्य में उसकी ख्याति कैसी होगी आदि इन सभी बातों पर गहरी सोच – विचार व जांच पड़ताल करना होता है । तब जाकर हैं आगे की कार्यवाही शुरू की जाती है। बीना परियोजना का मूल्यांकन जाने हुए साहसी को परियोजना पर कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए। नहीं तो परियोजना सफल होने की कामना नहीं की जा सकती है। इस तरह से उपरोक्त बातों का परियोजना मूल्यांकन में अहम ही भूमिका (Role) होता है।
4. परियोजना का चयन (Selection of Project)
– किसी भी परियोजना का चुनाव साहसी के पास उपलब्ध संसाधनों एवं उद्देश्यों के अनुरूप किया जाता है। परियोजना के सहायता अध्ययन करने के बाद पूंजी विनियोग का निर्णय लिया जाता है। उसके बाद परियोजना के चयन कर लेने एवं पूंजी विनियोग के निर्णय लेने के बाद एक विस्तृत प्रतिवेदन रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसे परियोजना के विभिन्न तथ्यों का विश्लेषण एवं मूल्यांकन होता है । परियोजना का चयन, परियोजना निर्माण में अहम चरण होता है। अत: परियोजना को सफल बनाने के लिए परियोजना का चयन का होना अत्यंत आवश्यक है।
5. परियोजना का क्रियान्वयन (Project Implementation) – परियोजना का क्रियान्वयन निश्चित रूप से गहन छानबीन करने के बाद ही किया जाता है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार किया जाता है जिसके अंतर्गत उच्च स्तर के प्रबंधकों द्वारा वित्तीय एवं अन्य साधनों का आवंटन (Distribution) कर दिया जाता है। इस चरण में उद्यमी को परियोजना से संबंधित कार्यक्रम किया जाता है जैसे कि- परियोजना का लाभ फ्यूचर में कैसा होगा, फ्यूचर में इसकी ख्याति (Goodwill) कितनी बढ़ेगी तथा इससे समाज पर क्या असर पड़ेगा आदि।
6. परियोजना समारम्भ की अवस्था (Project Commencing) – परियोजना समारंभ वह अवस्था होता है जहां पर साहसी द्वारा उत्पादन एवं सेवा कार्य को शुरू किया जाता है तथा जिसके लिए परियोजना की स्थापना की गई थी। इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि परियोजना का कार्य पूर्व निर्धारित लक्ष्य एवं उद्देश्यों के अनुसार हो रहा है कि नहीं। इसने निवेशों एवं लागतों को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत उत्तम किस्म की वस्तुओं का उत्पादन, उत्पादन या वस्तु को उपभोक्ता द्वारा स्वीकृत दर तथा प्रतिवेदन में निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति एवं अनुमानित साध्यता के अनुरूप लक्ष्य को ना प्राप्त होने पर कारणों की खोज करना और उसमें आवश्यकता के अनुसार सुधारात्मक कार्यवाही करना आदि शामिल होता है।
निष्कर्ष – अब आप परियोजना निर्माण के विभिन्न चरण क्या हैं । बहुत ही अच्छे से समझ ही गए होंगे । यदि आपका इस पोस्ट से संबंधित कोई प्रश्न हैं तो जरूर पुछें। मैं आपका हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार रहता हुँ।
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