क्या आपने कभी सोचा है कि अगर एक व्यक्ति ही सारे कामों को करे तो क्या होगा? आपका जवाब बिल्कुल सही है, एक व्यक्ति सभी कार्य को नहीं कर सकता है इसके लिए भारार्पण (Delegation) की आवश्यकता होती है। इस Post में भारार्पण किसे कहते हैं, प्रत्यायोजन (भारार्पण) की विशेषताएं, तत्व, महत्व आदि के बारे में जानकारी दी गई है।
सरल शब्दों में भारार्पण दो शब्दों से मिलकर बना है- भार तथा अर्पण। यहां भार से मतलब दबाव, प्रेशर और अर्पण से मतलब सौंपने से है अर्थात अतिरिक्त कार्य को दूसरों के ऊपर सौंपना ही ‘भारार्पण’ कहलाता है।
भारार्पण किसे कहते हैं, प्रत्यायोजन क्या हैं?
भारार्पण से आश्य अपने ऊपर के कार्यभार को दूसरे व्यक्ति के ऊपर सौंपने से हैं। जब किसी व्यक्ति के ऊपर उसकी क्षमता से अधिक कार्यभार आ जाता है तो वह अपना अतिरिक्त कार्यभार अन्य व्यक्ति को सौंप देता है अतिरिक्त कार्यभार को सपना ही भारार्पण कहलाता है। यह संगठन की कुंजी होती है। भारार्पण तथा प्रत्यायोजन दोनों एक ही शब्द हैं।
भारार्पण शब्द का अन्य नाम क्या है?
इस शब्द का अन्य नाम प्रत्यायोजन, प्रत्यायुक्ति हैं।
प्रत्यायोजन का अर्थ बताइए?
प्रत्यायोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अधिशासियों को निश्चित कार्य उत्तरदायित्व एवं अधिकारों से मुक्त करके उन्हें निश्चित स्थितियों में अधीनस्थों को सौंपा जाता है।
प्रत्यायोजन (भारार्पण) की विशेषताएं
प्रत्यायोजन (भारार्पण) की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- प्रत्यायोजन की विशेषता क्रियात्मक एवं प्रबंधकीय विशिष्टिकरण प्राप्त करना होता है।
- इसके द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों की सीमाओं को निर्धारित किया जाता है।
- भारार्पण उसी अधिकार का हो सकता है जो स्वयं के पास हो।
- यह ऊपर से नीचे की ओर काम करता है।
- अधीनस्थ कर्मचारियों को काम के संबंध में अधिकार का भारार्पण किया जाता है ना कि पद का।
भारार्पण (प्रत्यायोजन) के लाभ , मह्त्व तथा आवश्यकता
यह संगठन के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है इसके निम्नलिखित लाभ, महत्व एवं आवश्यकताएं हैं –
- प्रशासनिक भार में कमी – भारार्पण द्वारा प्रबंधकों के प्रशासनिक कार्य भार में कमी होती है इससे वे उन कार्यों के भार से मुक्त हो जाते हैं जो कम महत्व के होते हैं और जिन को पूरा करने में अधिक समय लगता हैं।
- अधीनस्थों के मनोबल में वृद्धि – इसके द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों को कार्य भार दिए जाते हैं इससे उनको अपनी योग्यता एवं कार्य कुशलता का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है। परिणाम स्वरूप उनका नैतिक एवं मनोबल दोनों ऊंचा उठता है।
- व्यवसाय के विस्तार में सुविधा – प्रत्येक Businessman अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहता हैं। प्रत्यायोजन द्वारा कम महत्व के कार्य अधीनस्थ कर्मचारियों को करने के लिए दिए जाते हैं इससे उच्च अधिकारी अपना सारा ध्यान व्यवसाय के विस्तार की ओर केंद्रित करते हैं।
- समन्वय का साधन – इसके द्वारा संस्था में कार्यरत व्यक्तियों के बीच मधुर संबंध की स्थापना होती है जिससे वे एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। इस प्रकार इन्हें एक दूसरे को समझने का अवसर मिलता है जो संस्था के हित में होता है।
- अधीनस्थों का विकास – इससे अधीनस्थ कर्मचारियों को बड़ी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से सामना करने हेतु मौका मिलता है जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास होता हैं।
भारार्पण के तत्वों का वर्णन कीजिए। भारार्पण की प्रक्रिया
भारार्पण के तत्व एवं प्रक्रिया निम्न हैं। नीचे के पंक्ति में दिए गए हैं –
- अधिकार
- उत्तरदायित्व
- उत्तरदेयता (जवाबदेही)
अधिकार (Authority) – भारार्पण में जब एक अधिकारी अपने अधीनस्थ को कई काम सकता है तो जिस प्रकार के अधिकार की आवश्यकता उस अधिकारी को उस काम को करने के लिए होती है वही अधिकार अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंपना होता है ताकि वह कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।
उत्तरदायित्व (Responsibility) – जब एक अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारी को कोई काम सौंपता है तो उसे पूरा करना अधीनस्थ कर्मचारी का दायित्व बन जाता है। अतः भारार्पण से उत्तरदायित्व का निर्माण होता है।
उत्तरदेयता (Accountability) – उत्तरदेयता का अर्थ अधीनस्थ कर्मचारी द्वारा कार्य निष्पादन के लिए अधिकारी को जवाब देने से है अर्थात जब अधिकारी अधीनस्थ कर्मचारी को काम सौंपता है और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक अधिकार भी देता है तो अधीनस्थ कर्मचारी कार्य निष्पादन के लिए अधिकारी के समक्ष जवाब देह हो जाता है। अतः भारार्पण से उत्तरदेता का सृजन होता है।
Conclusion :
इस Post में आपको भारार्पण किसे कहते हैं पूरी जानकारी दी गई हैं। इस Post में और कौन – कौन से Point Add होने चाहिए Comment करें।
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