लेखाशास्त्र क्या है

लेखाशास्त्र का ज्ञान होना सभी व्यवसायी के लिए आवश्यक है। लेखाशास्त्र व्यापार का आधार होता है ।आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि लेखा शास्त्र क्या है, लेखा शास्त्र का इतिहास, लेखक शास्त्र की आवश्यकता क्यों है, लेखा शास्त्र के जनक कौन हैं तथा लेखाशास्त्र के महत्व क्या है।

लेखा शास्त्र क्या है- परिचय

क्या आपने कभी सोचा है की आज से कई साल पहले बिज़नेस का हिसाब – किताब कैसे किया जाता था । लेख शास्त्र का जन्म तब से माना जाता है जब एक दुकानदार के मन में अपने बिज़नेस का प्रॉफिट और लॉस जानने की जिज्ञाषा हुई।यह वित्तीय लेनदेन और शेयरधारकों को व्यवसायिक क्रियाकलापों से संबंधित सूचनाओं को प्रदान करता है । यह एक प्रकार का कला है। जिसे व्यापार (Business) में अप्लाई कर के व्यवसाय को Success की सीढ़ी पर ले जाया जा सकता है।

दुसरे शब्दों में लेखाशास्त्र का परिभाषा

लेखाशास्त्र ज्ञान की एक शाखा है व्यापार से संबंधित लेन-देनों को बहीखाता में लिखने तथा एक निश्चित समय के बाद उससे निष्कर्ष निकालने के नियम एवं सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है । लेखाशास्त्र में पुस्तपालन(Book-Keeping) एवं लेखांकन(Accounting) को शामिल किया जाता है। लेखाशास्त्र कक्षा 11 में पढ़ा जाने वाला विषय है।लेखा शास्त्र को अंग्रेजी में अकाउंटेंसी (Accountancy) कहा जाता है।

लेखाशास्त्र का सुत्र = हिसाब + ज्ञान = लेखाशास्त्र

लेखाशास्त्र क्या है संक्षेप मेंलेखाशास्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘लेखा’ तथा ‘शास्त्र’ । लेखा से आशय से ‘हिसाब’ से है जबकि शास्त्र का अर्थ ‘ज्ञान’ से है ।कुल मिला-जुला कर कहां जाए तो किसी व्यापार में हिसाब का ज्ञान रखना ही “लेखाशास्त्र”(Accountancy) कहलाता है। यह लेखाशास्त्र का परिचय हैं।लेखाशास्त्र क्या है।

एकाउंटेंसी का इतिहास

ऐसे तो लेखाशास्त्र का हिस्ट्री बहुत ही पुराना है । लेखाशास्त्र में लुकास पेसियोली की अहम भूमिका रहा है।लुकास पेसियोली (Lucas Ravioli)  एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। उन्होंने अपनी पुस्तक “डी कम्प्यूटीसेट स्क्रिप्चरिस” (De Computiset Scripturise) में दोहरा लेखा प्रणाली का वर्णन किया है । यह पुस्तक गणित की थी। जिसे 1494 में प्रकाशित किया गया। इस पुस्तक के एक खण्ड में उस समय की पुस्तपालन विधि का जिक्र किया गया था।

लेखाशास्त्र की आवश्यकता क्यों हैं?

आज लेखाशास्त्र हमारे व्यवसाय का एक जरूरी अंग बन गया है। जिस प्रकार से एक घर बनाने के लिए छड़,सिमेंट, कंक्रीट व बालु आदि की आवश्यकता हैं ठीक वैसे ही एक बिजनेस को सफल बनाने के लिए लेखाशास्त्र की आवश्यकता पड़ती हैं। लेखाशास्त्र एक छोटा सा शब्द नहीं है। यह एक शाखा है जो व्यवसाय की सफलता तथा कामयाबी को पता करने में मदद करता हैं। आज ऐसा हो गया है कि लेखाशास्त्र के बिना व्यवसाय की सफलता अधुरी है।

आधुनिक युग में मनुष्य बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है । ऐसे में प्रतिदिन एक नया उद्योग-धंधा खुल रहा है ।व्यवसाय में लेन-देनों की संख्या अधिक है ।व्यवसाय को चलाने के लिए बहुत सारी क्रियाओं को करना होता है ।यह क्रिया एक व्यक्ति के द्वारा याद रख पाना संभव नहीं है, इसलिए लेखाशास्त्र के अंतर्गत पुस्तपालन तथा लेखांकन का प्रयोग किया जाता है।

  1. किसी भी व्यवसाय की सफलता की चाबी है, लेखाशास्त्र ;
  2. व्यवसाय में क्या चल रहा है और क्या नहीं सही जानकारी प्रदर्शित करना ;
  3. पुस्तपालन तथालेखांकन के बिना व्यवसाय में कितना लाभ हुआ पता नहीं चलता ;
  4. व्यापार में वृद्धि करने हेतु ;
  5. व्यापार में आमदनी बढ़ाने के लिए ;

लेखाशास्त्र के जनक कौन है?

लेखा शास्त्र के जनक लुकास पेसियोली है। यह एक जाने-माने गणितज्ञ थे। जिन्होंने दोहरा लेखा प्रणाली (Double entry System) और लेखाकर्म (Accounting) के संबंध में कई सिद्धांत प्रतिपादन किए ।

लेखाशास्त्र के क्या महत्व है?

आज कोई भी विजनेसमैन जितना महत्व अपने व्यवसाय के सफलता होने को देता है ।उससे कहीं अधिक व्यापार में लेखाशास्त्र का महत्व होता है ।तो चलिए जानते हैं कि उद्योग धंधों के क्षेत्र में लेखाशास्त्र का क्या महत्व है-

  • लेखाशास्त्र शेयरधारकों को वित्तीय लेनदेन के संबंध में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराता है
  • लेखाशास्त्र व्यवसाय की चाबी है ।बिना इसके बिजनेस सफलता का सीढ़ी नहीं चढ़ सकता है।
  • इसका उपयोग व्यापक है जो व्यापार में हो रहे क्रियाओं या हो चुकी क्रियाओं का विश्लेषण में सहायक होता है।
  • लेखाशास्त्र की जरूरत सभी व्यवसायी को होता है । यह इसका सबसे बड़ा महत्व है।
  • लेखाशास्त्र व्यवसायी क्रियाओं का आधार होता है।

निष्कर्ष -अब आप यह जान ही चुके होंगे कि लेखाशास्त्र के बारे में। यदि आपका कोई प्रश्न है तो नीचे कमेंट जरूर करें। मुझे आपका कमेंट करने का इंतजार है।

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