स्वर्ण धातु मान क्या हैं

इससे पहले आपने स्वर्णमान स्वरूप तथा स्वर्ण मुद्रा मान को समझा। इस नए आर्टिकल में आप स्वर्ण धातु मान क्या हैं, उसकी विशेषताएं, गुण तथा इसके दोष क्या होते हैं इत्यादि को समझेंगे।

हेलो मेरा नाम चंदन है इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

स्वर्ण धातु मान क्या हैं?

इसका अन्य नाम स्वर्ण पाटमान हैं। जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ तो उससे पहले संसार के अधिकांश देशों में स्वर्ण मुद्रा चलन में था लेकिन युद्ध समाप्त हुआ तो स्वर्ण मुद्रा को बनाए रखना संभव नहीं था। अतः सोने को गला कर जो धातु बनाया जाता है उसे ही “स्वर्ण धातु मान” कहा जाता हैं।

स्वर्ण धातु मान की विशेषता हैं?

इस धातु मान की निम्नलिखित विशेषता हैं आइए समझते हैं –

  • सरकार निश्चित दर पर किसी भी कार्य के लिए सीमित मात्रा में सोने की खरीद-बिक्री का वचन देती हैं।
  • सोने का मूल्य सरकार द्वारा निश्चित कर दिया जाता है और निश्चित दर पर ही देश की कागजी मुद्रा स्वर्ण में परिवर्तनशील होती हैं।
  • कागज के नोटों के पीछे स्वर्ण का केवल अनुपातिक Fund ₹ ही रखा जाता हैं। 100% Fund ₹ नहीं रखा जाता हैं।
  • सोने के सिक्के चलन में नहीं होते हैं।
  • विनिमय की सुविधा के लिए हल्की धातु के सिक्के तथा कागजी नोट चलन में रहते हैं लेकिन इन नोटों तथा सिक्कों की कीमत स्वर्ण में परिभाषित की जाती हैं।
  • स्वर्ण मुद्रा चलन में ना होने के कारण उनकी ढलाई स्वतंत्र नहीं होती हैं।

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स्वर्ण धातु मान के गुण लिखिए।

स्वर्ण धातु मान के निम्नलिखित गुण है जो कि नीचे की पंक्ति में कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं –

  1. सरलता (Simplicity)
  2. मितव्ययिता (frugality)
  3. जनता का भरोसा (public trust)
  4. विनिमय दरों में स्थिरता (exchange rate stability)
  5. लाभप्रद प्रयोग (beneficial use)

सरलता (Simplicity)

सरलता अर्थात बहुत आसानी से। स्वर्ण धातु मान एक सरल पद्धति है जिसमें जनता को केवल यही बात समझाना पड़त है कि उसके पास जो पत्र मुद्रा है वह एक निश्चित दर पर gold में बदली जा सकती हैं।

मितव्ययिता (frugality)


यानी कि बहुत ही कम खर्च । स्वर्ण मुद्रा चलन में नहीं होती। अतः मुद्रा को ढालने की आवश्यकता नहीं होती। जिससे मुद्रा ढालने का खर्च बच जाता हैं। स्वर्ण मुद्राएं चलन में रहने से जो घिसाई होती है उसकी भी बचत हो जाती हैं।

जनता का भरोसा (public trust)


स्वर्ण धातु मान व्यवस्था में gold मुद्राएं चलन में नहीं होती है लेकिन सरकार जनता द्वारा मांगे जाने पर कागजी मुद्रा तथा सांकेतिक सिखों को सदैव स्वर्ण में बदलने के लिए तैयार रहती हैं। अतः स्वर्ण मान में लोगों का भरोसा बना रहता हैं।

विनिमय दरों में स्थिरता (exchange rate stability)


स्वर्ण धातु मान में मुद्रा के पीछे स्वर्ण की धरोहर होती हैं। अतः मुद्रा की मात्रा में अधिक विस्तार नहीं हो सकता हैं। इसके परिणाम स्वरूप मुद्रा की विनिमय दर में भी गिरावट आने की आशंका नहीं रहती हैं।

लाभप्रद प्रयोग (beneficial use)


स्वर्ण मुद्रा मान में Coins के रूप में अधिकांश स्वर्ण का उपयोग कर लिया जाता है और इस प्रकार देश की एक मूल्यवान वस्तु जनता में बिखरी रहती हैं।

इसका लाभ दायक प्रयोग नहीं किया जा सकता लेकिन स्वर्ण धातु मान के अंतर्गत संपूर्ण स्वर्ण सरकारी फंड में जमा रहता है। जिससे उसका प्रयोग राष्ट्रीय विकास के लिए किया जा सकता है।

स्वर्ण धातु मान के दोष

इस धातु मान के निम्नलिखित दोष हैं –

  1. जनता का कम विश्वास (low public confidence)
  2. परिवर्तनशील नहीं (not variable)
  3. स्वयं चालकता भ्रामक हैं (Self conductivity is deceptive)
  4. अनावश्यक फंड (unnecessary funds)

जनता का कम विश्वास (low public confidence)

स्वर्ण धातु मान व्यवस्था में ना तो सोने की मुद्राएं चलती है और ना ही मुद्राओं की परिवर्तनशीलता के लिए पर्याप्त सोना ही रहता है। परिणाम स्वरूप इस व्यवस्था में जनता का बहुत कम ही विश्वास बना रहता हैं।

परिवर्तनशील नहीं (not variable)

स्वर्ण धातु मान का सबसे बड़ा दोष यह है कि संकट के समय में यह परिवर्तनशील नहीं होता हैं। यह व्यवस्था तब तक चलती रहती है जब तक कि जनता स्वर्ण की मांग ना करें। स्वर्ण की मांग आरंभ होते ही कुछ समय पश्चात सरकार स्वर्ण में भुगतान करना बंद कर देती हैं क्योंकि स्वर्ण Fund जो पहले ही बहुत कम होते हैं तेजी से गिरने लगते हैं।

स्वयं चालकता भ्रामक हैं (Self conductivity is deceptive)

इस व्यवस्था को स्वचालित व्यवस्था घोषित करना भी उचित नहीं है क्योंकि स्वर्ण के मूल्य में वृद्धि होने पर सरकार प्रायः स्वर्ण बेचकर उसके Fund की मात्रा में कमी करना पसंद नहीं करती।

अतः मुद्रा की मात्रा भी बढ़ती चली जाती है और विनिमय दर में कमी आने का भय बना रहता हैं। अतः विनिमय दर बनाए रखने के लिए सरकार को लगातार जागरूक रहना पड़ता हैं।

अनावश्यक फंड (unnecessary funds)

इसमें जो सोना फंड रखे जाते हैं वे बेकार पड़े रहते हैं। उनका कोई उपयोग नहीं होता। अतः यह व्यवस्था भी विशेष मितव्ययिता पूर्ण नहीं है।