अधिकार शुल्क खाते यानि की रॉयल्टी अकाउंट एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में आपको जानना अति आवश्यक हैं। यदि आप स्टूडेंट हैं तो भी और कोई बिजनेसमैन है तो भी। आज के इस आर्टिकल में मैं आपको रॉयल्टी किसे कहते हैं, अधिकार शुल्क खाते क्या होते हैं, विशेषताएं, मुख्य बिंदु तथा किराया और अधिकार शुल्क में अंतर क्या होता हैं इन सभी बातों को बताऊंगा।
रॉयल्टी किसे कहते हैं?
रॉयल्टी यानी कि अधिकार। रॉयल्टी एक अंग्रेजी शब्द है जिसे हिंदी में अधिकार के नाम से जाना जाता हैं। रॉयल्टी से आशय किसी वस्तु या चीज पर विशेष अधिकार का होने से हैं जैसे कि- किसी संपत्ति विशेष पर उसके मालिक का अधिकार, खानों से खनिज निकालने का अधिकार जिसे मिनरल राइट कहा जाता हैं, एक पुस्तक के प्रकाशन का अधिकार जिसे कॉपीराइट कहा जाता हैं।
अधिकार शुल्क खाते क्या हैं?
अधिकार शुल्क वह राशि है जिसे संपत्ति का प्रयोग करने वाला व्यक्ति संपत्ति के मालिक को उस संपत्ति के प्रयोग के विशेष अधिकार के प्रतिफल के रूप में देता हैं। इसके लिए जो खाते तैयार किए जाते हैं उसे ‘अधिकार शुल्क खाता’ Royalty Accounts कहा जाता हैं। यह एक अवास्तविक खाता होता हैं।
विलियम पिकल्स के अनुसार – अधिकार शुल्क एक व्यक्ति को किसी संपत्ति के उपयोग के बदले में दिया जाने वाला पारिश्रमिक है चाहे वह खरीदी गई हो या फिर किराए पर ली गई हो। यह राशि उस संपत्ति के प्रयोग से संबंधित उत्पादन या बिक्री पर निकाली जाती हैं।
ऊपर दी गई परिभाषा के आधार पर कुछ दो महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं-
- अधिकार शुल्क किसी संपत्ति या विशेष अधिकार के उपयोग का परिणाम हैं।
- यह (Royalty Accounts) उत्पादन या विक्रय पर निकाला जाता हैं।
उदाहरण – माइक्रोसॉफ्ट एक बहुत बड़ी कंपनी है जिसके मालिक बिल गेट्स हैं। इन्हें तो आप जानते ही होंगे बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट को पेटेंट करा कर रखा है इनका कोई भी सॉफ्टवेयर प्रयोग करना चाहता है तो उसे कुछ पैसे चुकाने पड़ते हैं और तब जाकर वह व्यक्ति उस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर पाता हैं। जैसा कि आज लगभग सभी कंप्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट इंस्टॉल होता हैं।
अधिकार शुल्क की विशेषताएं
- यह एक आगम मद हैं जबकि भूस्वामी के लिए यह आयगत आय हैं।
- अधिकार शुल्क किसी अधिकार के प्रयोग प्रतिफल के रूप में दिया जाता है।
- देय अधिकार शुल्क को पटाधारी द्वारा सामान्य व्यवसाय के व्यय के रूप में व्यवहार किया जाता हैं।
- अधिकार शुल्क समझौते पर आधारित आवधिक भुगतान हैं।
- उत्पादन पर आधारित अधिकार शुल्क को लागत व्यय का अंग माना जाता हैं।
अधिकार शुल्क खाते के मुख्य बिंदु
1. मालिक या पट्टादाता – संपत्ति का अधिकार विशेष के मालिक को ‘मालिक’ अथवा ‘भूस्वामी’ के नाम से जाना जाता है। भूस्वामी को पट्टादाता भी कहा जाता हैं। भूस्वामी शब्द का प्रयोग लेखक एवं पेटेंट स्वामी के लिए भी किया जाता हैं।
2. पट्टाधारी या पट्टेदार – जो व्यक्ति किसी संपत्ति का उपयोग करने के लिए विशेष अधिकार प्राप्त करता है और बदले में अधिकार शुल्क देते हैं उसे ‘पट्टाधारी या पट्टेदार’ कहा जाता है।
3. किसी वस्तु के निर्माण एवं विक्रय हेतु पेटेंट के प्रयोग संबंधित अधिकार को ‘एकस्व अधिकार’ Patent Right के नाम से जाना जाता हैं।
4. किसी भी प्रकार का खनिज पदार्थों हो जैसे कि लोहा, पत्थर, तेल, कोयला आदि निकालने के अधिकार को ‘खनिज अधिकार’ Mineral Right कहा जाता है।
अधिकार शुल्क एवं किराया में अंतर बताएं
अधिकार शुल्क एवं किराया में अंतर निम्नलिखित बिंदुओं पर है जो नीचे इस प्रकार से सारणी की मदद से आपको समझाएं गए हैं-
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