अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जाने वाले लेखा अंतरराष्ट्रीय लेखांकन कहलाते हैं। इस पोस्ट में आप अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे।
अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक क्या हैं?
विश्व स्तर पर लेखांकन व्यवहारों तथा सिद्धांतों में एकरूपता लाने के लिए दिनांक 29 जून 1973 को 9 देशों के 16 लेखांकन निकायों में एक समझौता हुआ जिसके परिणाम स्वरूप ‘अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक समिति’ का उदय हुआ। इसे शॉट रूप में आई.ए.एस. International Accounting Standards Committee के नाम से भी जानते हैं।
अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक समिति का उद्देश्य
इस समिति/बोर्ड का मुख्य उद्देश्य लेखांकन संबंधी मानक तैयार करना हैं। जिस कारण से पूरे विश्व स्तर पर लेखांकन की असमानताओं को दूर करके लेखांकन विवरणों को तुलना योग्य एवं विश्वसनीय बनाया जा सके। इसके साथ ही इस समिति का उद्देश्य लेखांकन मानकों का सार्वजनिक हित में निर्माण करना, प्रकाशित करना, स्वीकृति तथा अनुपालन को प्रोत्साहित करना हैं।
भारत में लेखांकन मानक
अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक के बाद भारत में भी लेखांकन मानक के प्रति जागरूकता उत्पन्न होने लगा। अप्रैल 1977 में भारत के चार्टर्ड लेखाकार संस्थान ICAI ने एक लेखांकन मानक बोर्ड की स्थापना की। यह बोर्ड अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर भारत में प्रचलित कानूनों और रीति-रिवाजों एवं व्यवहारों के आधार पर लेखांकन मानक तैयार करता हैं।
इन मानकों की प्रक्रिया के अंतर्गत – समस्या का होना, समस्याओं के संभावित हलों के संबंध में मसौदा तैयार करना, इस मसौदे के संबंध में लेखांकन तथा व्यापार से जुड़े व्यक्तियों से उनके विचार आमंत्रित करना तथा इन विचारों के न्याय संगत होने पर उनको शामिल करके मानक तैयार करना तथा भारत में मानक तैयार करने के बाद उनको लागू करने की तिथि तथा उसका अनिवार्य या ऐच्छिक रूप में लागू करना।
भारत में लेखांकन मानकों का अनुपालन
शुरुआती समय में भारतीय लेखांकन मानक अनिवार्य नहीं थे। अपने व्यापार में अपनी इच्छा के मुताबिक इसका उपयोग करते थे लेकिन भारतीय कंपनी अधिनियम (संशोधन) 1999 की धारा 211 के अनुसार वित्तीय विवरणों को लेखांकन मानकों के अनुसार बनाया जाएगा तथा यदि कोई संस्थान इसका अनुपालन नहीं करता है तब अंकेक्षक को यह अधिकार है कि वह अपनी रिपोर्ट में इसका पूरा-पूरा उल्लेख करें।
इसके अलावा कंपनी भी इसके अनुपालन न करने की दशा में इस बात का उल्लेख करेगी की पालन क्यों नहीं किया गया तथा इसका कारण भी स्पष्ट करके देना होगा।
अभी तक ICAI ने 32 मानक तैयार किए हैं (पोस्ट लिखते समय) जिसका झलक नीचे कुछ इस प्रकार से दिया गया है।
लेखांकन मानक का नाम
AS – 1 लेखांकन नीतियों का प्रकटीकरण
AS -2 स्टॉक का मूल्यांकन
AS – 3रोकड़ प्रवाह विवरण
AS – 4 आर्थिक चिट्ठे की तिथि के बाद की घटित घटनाएं तथा संदिग्धताएं
AS – 5 अवधि के लिए शुद्ध लाभ-हानि अवधि, लेखांकन नीतियों में परिवर्तन
AS – 6 मूल्यह्रास लेखांकन
AS – 7 निर्माण अनुबंधों का लेखांकन
AS – 8 शोध तथा विकास का लेखांकन
AS – 9आय पहचान
AS – 10सम्पत्तियां, संयंत्र तथा उपकरण का लेखांकन
AS – 11विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन के प्रभाव के लिए लेखांकन
AS – 12सरकारी अनुदान के लिए लेखांकन
AS – 13 विनियोगों के लिए लेखांकन
AS – 14 एकीकरण के लिए लेखांकन
AS – 15नियोक्ताओं के वित्तीय विवरणों में सेवा-निवृत्ति लाभों के लिए लेखांकन
AS – 16 उधार की लागतें
AS – 17 खंड विभागीय प्रतिवेदन
AS – 18 संबंधित पक्षों का प्रकटीकरण
AS – 19 पट्टे के लिए लेखांकन
AS – 20 प्रति अंश आय
AS – 21मिश्रित वित्तीय विवरण
AS – 22 आय पर करो के लिए लेखांकन
AS – 23 समेकित वित्तीय विवरणों में निवेश हेतु लेखांकन
AS – 24 बंद की गई क्रियाएं
AS – 25 अंतरिम वित्तीय प्रतिवेदन सूचना
AS – 26 अदृश्य संपत्तियां
AS – 27 संयुक्त साहस में हितों की वित्तीय रिपोर्टिंग
AS – 28 संपत्तियों की क्षति
AS – 29 प्रोविजन, अकास्मिक दायित्व एवं सम्पत्तियां
AS – 30 वित्तीय प्रलेखः मान्यता एवं मापन
FAQs
प्रश्न संख्या 01 अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानक का मुख्यालय कहां हैं?
प्रश्न संख्या 02 लेखांकन मानकों के दो लाभों का वर्णन कीजिए
वित्तीय विवरणों की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता में सुधार लाना।