गैर-लाभकारी संगठन | Not -For -Profit Organization In Hindi

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आपने जितने भी संगठन/संस्थाओं के बारे में जाना होगा सभी का एक ही उद्देश्य होता है अधिक से अधिक लाभ कमाना लेकिन ऐसे भी कुछ संस्थाएं होते हैं जिनका उद्देश्य समाज के कल्याण करना होता है।

आज के इस नए आर्टिकल में गैर लाभकारी संगठन क्या है, उद्देश्य, विशेषता, चार उदाहरण तथा गैर-लाभकारी संस्थाओं के द्वारा बनाए जाने वाले खाते कौन-कौन से होते हैं उन सभी बिंदुओं के बारे में जानेंगे।

गैर-लाभकारी संगठन से आप क्या समझते हैं?

ऐसी संस्थाएं या संगठन जिसकी स्थापना लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं की जाती है बल्कि समाज का कल्याण व अपने सदस्यों को एक निश्चित सेवा प्रदान करने के लिए होती हैं, गैर लाभकारी संगठन कहलालाती हैं। इसे ही NGO के नाम से जाना जाता है।

गैर-लाभकारी संगठन के विभिन्न नाम – गैर लाभकारी संस्था, लाभ न कमाने वाली संस्था, गैर व्यापारिक संस्था तथा NGO है।

ऊपर जितने भी नाम दिए गए हैं उन सभी का अर्थ एक ही है और नीचे की पोस्ट में कहीं गैर लाभकारी संस्था के जगह पर लाभ न कमाने वाली संस्था, गैर लाभकारी संस्था, गैर व्यापारिक संस्था तथा अलाभकारी संस्था आदि मिले तो कंफ्यूज बिल्कुल भी नहीं होना है।

“बिना लाभ कमाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया संस्था अलाभकारी संस्था कहलाता है।”

गैर-लाभकारी संगठन के 4 उदाहरण लिखिए

अलाभकारी संगठन के अंतर्गत विद्यालय, कॉलेज, क्लब, पुस्तकालय, अस्पताल, धार्मिक संस्थाएं तथा साहित्यिक एवं संस्कृतिक समितियां आदि शामिल होती हैं।
इसके अंतर्गत निम्नलिखित व्यक्तियों एवं संस्थाओं को भी सम्मिलित किया जाता है इसे नीचे के बुलेटेन से समझते हैं।

  • शिक्षा देने वाली संस्थाएं – विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय।
  • खेल से संबंधित संस्थाएं – खेल, क्लब ,व्यामशाला आदि।
  • सामाजिक संस्थाएं – पुस्तकालय, औषधालय, अस्पताल।
  • पेशेवर संस्थान – मेडिकल काउंसिल, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान, चेंबर ऑफ कॉमर्स, शिक्षक संघ, बैंकर्स एसोसिएशन इत्यादि।
  • पेशेवर व्यक्ति – अंकेक्षक, अभियंता, वकील, आर्किटेक्ट तथा डॉक्टर इत्यादि।

अलाभकारी संगठन के उद्देश्य

ऐसी संस्थाएं के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं जो नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –

  1. लाभ न कमाने वाली संस्था का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों का कल्याण करना, समाज का कल्याण व समाज की सेवा तथा लाभ पहुंचाना होता है।
  2. ऐसी संस्था का उद्देश्य लोक कल्याण में वृद्धि करना, धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य, साहित्य इत्यादि के उन्नयन एवं चेतना में वृद्धि बिना लाभ के उद्देश्य से करना होता है।
  3. निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करना।
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गैर-लाभकारी संगठन की विशेषता

जो संस्था लाभ नहीं कमाती है उसकी विशेषता मुख्य होती है जो नीचे की पंक्ति में दिए गए हैं –

  • सबसे पहली विशेषता गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना समाज को लाभ पहुंचाने, अपने सदस्यों को कल्याण तथा सेवा प्रदान करना होता है।
  • यह संस्थाएं धर्म, शिक्षा (स्कूल,कॉलेज) खेलकूद, कला, संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं प्रोत्साहन के लिए कार्य करते हैं।
  • इनकी स्थापना ट्रस्ट (प्रन्यास) धर्मार्थ सोसायटी, क्लब आदि के रूप में की जाती हैं।
  • अलाभकारी संगठनों का आय का मुख्य स्रोत दान, चन्दा, सरकार से सहायता आदि होता है।
  • इन संस्थाओं के अधिशेष यानी कि “Surplus” को सदस्यों में बांटा नहीं जा सकता है बल्कि इसे संस्था के पूंजी कोष में जोड़ा जाता है।

अलाभकारी संस्था के महत्व का वर्णन कीजिए

संस्था चाहे जैसे भी हो अगर उसको स्थापित किया गया है तो अवश्य ही उसका कुछ महत्व होगा।

  1. बिना स्वार्थ के समाज एवं देश के हितों के बारे में सोचना।
  2. देश का भविष्य बेहतर हो इसके लिए समाज के लोगों का कल्याण करना।
  3. कोई भी व्यक्ति किसी काम को केवल लाभ कमाने के लिए ही करता हैं लेकिन अलाभकारी संगठन ऐसा नहीं होता है।
  4. इसका एक अहम् महत्व यह भी है कि यह खेल-कूद, शिक्षा जैसे क्षेत्र पर कार्य करती हैं।

गैर-लाभकारी संगठन के खाते क्या हैं?

अगर बिजनेस बड़ा पैमाने का होगा तो अधिक वित्तीय सौदें होंगे लेकिन ठीक इसके विपरीत छोटे पैमाने का होगा तो कम मात्रा में वित्तीय लेन-देन होंगे। इन सभी को इकट्ठा रखने के लिए यानी कि व्यवसाय की स्थिति कैसा है, लाभ-हानि, पैसे कहां से आए एवं कितना आए आदि सभी बातों के लिए खाता तैयार करने की आवश्यकता होती है।

अलाभकारी संस्था के द्वारा ( गैर-व्यापारिक संस्था ) तीन खातों को तैयार किया जाता है-

  1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता
  2. आय-व्यय खाता
  3. आर्थिक चिट्ठा

गैर लाभकारी संस्था के द्वारा प्रत्येक वर्ष के अंत में यह तीन खाते बनाए जाते हैं। यह संस्थाएं लेखा बही शुद्ध है या नहीं इसकी जांच के लिए तलपट यानी कि “Trial Balance” भी बनाती है जो प्राप्ति एवं भुगतान खाता, आय-व्यय खाता तथा आर्थिक चिट्ठा बनाने में सहायक होता है।

गैर-लाभकारी संगठन के लिए लेखांकन

गैर व्यापारिक संस्थाओं एवं पेशेवर व्यक्ति अपना हिसाब- किताब दोहरा लेखा प्रणाली के आधार पर रखते हैं। इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य लाभकारी संस्था की भांति लाभ अर्जित करना नहीं होता है। यह अपना हिसाब-किताब ‘रोकड़ पद्धति‘ Cash System के आधार पर करती हैं।

अलाभकारी संस्थाएं अपनी आवश्यकता एवं व्यक्तियों के अनुसार निम्नलिखित पुस्तकें रखती हैं-

  1. रोकड़ बही ( Cash Book )
  2. याद पुस्तिका ( Memorandum Book )
  3. रहतिया रजिस्टर ( Stock Book )
  4. सदस्य रजिस्टर ( Member Register )
  5. अन्य पुस्तकें ( Other Register )

रोकड़ बही – यह एक ऐसा बही होता है जिसमें सभी तरह के नगद लेन-देन का लेखा किया जाता है अर्थात इसके अंतर्गत कितना नगद पैसा प्राप्त हुआ एवं कितना का नगद भुगतान किया गया संपूर्ण उल्लेख होता है।

याद पुस्तिका – एक व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान प्रवृत्ति का क्यों ना हो सभी चीजों को याद रख पाना संभव नहीं है। अतः व्यापार में हुए सभी वित्तीय लेन-देन को याद रखने के लिए याद पुस्तिका बनाया जाता है।

रहतिया रजिस्टर – Stock से संबंधित सभी लेन-देन रहतिया रजिस्टर में लिखा जाता है चाहे संपत्ति मूर्त हो या फिर उपजन्य वस्तुएं । उदाहरण के रूप में दवाइयां, लेखन सामग्री आदि।

सदस्य रजिस्टर – यह रजिस्टर अलाभकारी संस्था के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसमें सदस्यों का पूरा विवरण होता है। साथ ही इसमें चंदा, दान, पैसा कहां से प्राप्त हुआ है उसका उल्लेख किया गया होता है।

अन्य पुस्तकें – उपर्युक्त पुस्तकों के अलावा भी कुछ लाभ न कमाने वाली संस्था रखती हैं जैसे कि दान रजिस्टर, शुल्क रजिस्टर तथा चंदा रजिस्टर। इन सभी पुस्तक में इनके बारे में डिटेल्स में लिखा गया होता है या लिखा जाता है।

गैर लाभकारी संस्था के लिए लेखांकन करने की आवश्यकता

लाभ न कमाने वाली संस्था निम्नलिखित कारणों से लेखांकन करने की आवश्यकता/उद्देश्य होती है-

  • कोष के उपयोग के लिए उचित नियंत्रण रखने के लिए।
  • वित्तीय परिणामों के बजट प्रावधानों से तुलनात्मक अध्ययन को सरल बनाने हेतु।
  • सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं से प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग को रोकने से।
  • साल के अंत में अंतिम विवरण तैयार करने में।
  • कानूनी अनिवार्यता का पालन एवं वित्तीय अनुदान प्राप्त करना।

लेखे करने का तरीका/क्रम –

  1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता बनाना
  2. फण्ड ( कोष ) आधारित लेखांकन करना
  3. कुछ महत्वपूर्ण मदों का व्यवहार जैसे दान,चंदा, उपभोगजन्य वस्तु की राशि ज्ञात करना।
  4. आय-व्यय खाता तैयार करना
  5. आर्थिक चिट्ठा बनाना

अक्सर छात्रों को कंफ्यूज करने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 01 – अलाभकारी संस्था के द्वारा बनाए जाने वाले खाते कौन-कौन से हैं?
उत्तर – इसके अंतर्गत (लाभ न कमाने वाली संस्था) मुख्य रूप से तीन खाते खोले जाते हैं-

प्रश्न 02 – गैर व्यापारिक संस्था के आय के मुख्य स्रोत होते हैं?

उत्तर – चंदा, दान, सरकार से सहायता, बिजनेसमैन से फंड आदि।

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