अवसर बोध के तत्व –

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अवसर अपने आप में बहुत ही व्यापक शब्द हैं। अवसर बोध के तत्व कितने हैं ।यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल हैं। अवसर को पहचानने में आसानी व उस पर सफलता तभी मिल सकती हैं जब किसी साहसी या व्यक्ति को यह बात मालूम हो कि अवसर बोध के तत्व कितने होते हैं? आज के इस पास में आप जानेगे की अवसर बोध का परिचय क्या होता है ,अवसर बोध क्या होता है ,अवसर बोध के तत्व  तथा क्या साहसी में अवसर बोध का ज्ञान होना जरुरी है

अवसर बोध का परिचय

अवसर बोध सभी के वश की बात नहीं होती है ।यह साहसी की योग्यता, क्षमता, विवेक , अनुभव आदि पर निर्भर करता है क्योंकि एक ही स्थिति को कुछ लोग अनुकूल तो कुछ लोग प्रतिकूल और कुछ लोग सामान्य समझते हैं। साहसी इसी में से अपने लिए लाभदायक अवसर ढूंढ निकालता है।

 

अवसर बोध के बारे में 

ऐसी परिस्थिति जिसमें दूसरों को लाभ के अवसर ना दिखे लेकिन कोई विशेष व्यक्ति जो इसमें भी लाभ का अवसर महसूस करें । वह उस व्यक्ति का “अवसर बोध” कहलाता हैं।

अवसर बोध के तत्व कितने है

अवसर बोध के तत्व मुख्य रूप से 5 होते हैं –
● समझ की शक्ति
● परिवर्तन पर नजर
● प्रतियोगियों की जानकारी
● जानकारी का संग्रह एवं विश्लेषण
● नवप्रवर्तनीय गुण

 

1.समझ की शक्ति Ability to Perceive – ऐसे तो समझ की शक्ति थोड़ा बहुत सभी व्यक्तियों में होता है । किंतु साहसी में अवसर के प्रति अधिक संवेदनशील पाया जाता है। वह समस्याओं को पहले बारीकी से समझता है फिर उसके समाधान के लिए उपाय ढूंढता है । वही उपाय उसका अवसर कहलाता है । उदाहरण – आदमी की व्यवस्था बढ़ने , समय की कमी के चलते यह संभव नहीं था कि नाई की दुकान पर हमेशा जाकर दाढ़ी बनाई जा सके। फिर लंबी यात्रा के दौरान भी दाढ़ी बनवाना एक समस्या थी। इसे दूर करने के लिए साहसी ने “सेफ्टीरेजर” बनाया और इस समस्या को जड़ से खत्म कर दिया।

2. परिवर्तन पर नजर Insight into the Change – प्रकृति का यह नियम है कि वातावरण में परिवर्तन होते रहता है। परिवर्तन जीवन – चक्र है । यह हमेशा चलते रहता है। इन परिवर्तनों पर साहसी की पैनी नजर होती है। साहसी हर परिवर्तन में अवसर की तलाश करते रहता है ।उदाहरण– फिलिप्स रेडियो ने अपना रूपांतरण फिलिप टेलीफोन में कर लिया। यह परिवर्तन पर नजर रख कर ही पॉसिबल है ।

3. प्रतियोगियों की जानकारी Knowledge about Competitors- प्रतियोगिताएं अवसर को जन्म देती हैं। प्रतियोगिता के इस युग में प्रत्येक प्रतियोगी दूसरे के कार्यकलाप पर नजर रखता है तथा उसके कमी में सुधार लाकर अवसर का सृजन करता है। अपने प्रतियोगी पर नजर रखकर ही बिज़नेस को सक्सेस बनाया जा सकता है । एक साहसी अपने प्रतियोगी को भली भांति से जानना चाहिए । तभी बिज़नेस में अधिक से अधिक पैसे कमा पाएंगे ।

4. जानकारी का संग्रह एवं विश्लेषण Collection Of Information and Their Analysis- अवसर बोध के तत्वों में एक साहसी या व्यक्ति की अहम भूमिका होती है । पर्याप्त जानकारी का संग्रह एवं उसका विश्लेषण अवसर की खोज में रोशनी (light) का कार्य करता है । साहसी में जानकारी का भंडार जितना ही अधिक होगा वह उतना ही जल्द उपयुक्त अवसर ढूंढ सकेगा। कंडीशन कैसी भी क्यू  न हो साहसी अपने लिए लाभदायक अवसर खोज ही लेगा ।

5. नवप्रवर्तनीय गुण Innovative Quality- एक उद्यमी में नवपरिवर्तनीय गुण का होना अवसर बोध के तत्व में सहायक होता है । एक साहसी या उद्यमी हमेशा नयापन की तलाश में बेचैन,व्यग्र, लगनशील रहता है। जिसके चलते वह प्रतिकूल परिस्थिति में भी अनुकूल अवसर ढूंढ निकालता है । यह गुण एक साहसी या किसी भी आदमी में होना अहम् आवश्यक है । अगर यह गुण होता है तो हमेशा ही नया – नया अवसर मिलता रहेगा ।

इस तरह से हम यह पाते हैं कि एक साहसी में सबसे पहले अवसर बोध का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। इसके बाद ही वह अपने आगे की कार्यवाही (Further processing) कर सकता है।

क्या साहसी में अवसर बोध का ज्ञान होना जरुरी है

हां ,साहसी में अवसर बोध का ज्ञान होना  परम आवश्यक है । ऊपर के पोस्ट में आपने पढ़ा की अवसर बोध के मुख्य रूप से पांच तत्व होते है । यह पांच तत्व हर एक बिज़नेस के लिए आवश्यक है। यदि साहसी इन बातो को जानता है तो वह एक अच्छे बिज़नेस का संचलान कर सकता है ।अवसर बोध का ज्ञान होने से एक साहसी को कई प्रकार के लाभ होते है । जो निचे इस प्रकार से दिए गए है –

  1. अवसर को पहचानने में आसानी होती है । पर्यावरण में अवसर बिखरे पड़े रहते है । बस जरुरी है उनको पहचानकर लाभ उठा लेना
  2. साहसी मुश्किल की घड़ी में भी  अपने लिए अधिक लाभ देने वाले अवसर खोज लेते है ।
  3. अवसर बोध का ज्ञान होने से एक साहसी बाजार में किस चीज की मांग है उसका पता लगता है ।
  4. कुछ नया करने की चाहत होती है ।
  5. अपने कम्पीटीटर के बारे में जान सकता है ।

साहसी कार्य के प्रवर्तन

प्रवर्तन से आश्य प्रारम्भ करने से हैं।यह किसी साहसिक कार्य की प्रथम एवं आधारभूत सीढ़ी हैं। जिस पर चढ़कर कोई उधमी नयी व्यवसायिक इकाई की स्थापना तक पहुंचता हैं। इस प्रकार से साहसिक कार्य के प्रवर्तन से आशय उन सभी क्रियाओं से हैं जो किसी साहसिक कार्य को जन्म देने के समय से लेकर उसे पुर्ण रुपेण स्थापित हो जाने तक किए जाते हैं।

 

उम्मीद है की आपको अपने सभी सवालो के जवाब मिल गए होंगे । यदि आपका कोई प्रशन है निचे कमेंट करे ।

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