लेखांकन मानक क्या हैं | Accounting Standard In Hindi

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एक व्यवसाय में कई प्रकार की गतिविधियां शामिल होता है सारे गतिविधि सही ढंग से संपादित होने के लिए कुछ नियम एवं कानून को तैयार किया जाता है। इस आर्टिकल में लेखांकन मानक (प्रमाण) क्या हैं, उद्देश्य, लाभ एवं आवश्यकता, प्रकृति आदि को देखेंगे और साथ ही इस Topic से संबंधित FAQs भी पढ़ेंगे।

लेखांकन मानक क्या हैं?

लेखांकन मानक एक कानून, स्थापित, रीती-रिवाज, किसी व्यवहार के संबंध में मार्गदर्शन अथवा व्यापार में हुए वित्तीय लेनदेन को लिखने या उन्हें प्रस्तुत करने में एकरूपता को दर्शाता है।
लेखांकन मानक का अन्य नाम ‘लेखांकन प्रमाप‘ हैं। लेखांकन प्रमाप (मानक) की परिभाषा अन्य-अन्य लोगों द्वारा कुछ इस प्रकार से दिया गया हैं-

कोहलर के मत के अनुसार – “लेखांकन प्रमाप व्यवहार का एक माध्यम है जो पेशेवर संस्थाओं, परंपराओं व कानून द्वारा पब्लिक लेखापालको तथा सामान्य लेखापालको पर लागू किया जाता हैं।

लेखांकन मानक क्या है एक वाक्य में उत्तर दें या लेखांकन प्रमाप क्या हैं?

लेखांकन प्रमाप नीतिगत प्रलेख होते हैं जो प्रमाणित लेखांकन विशेषज्ञ बाडी द्वारा निर्गमित किए जाते हैं। जिनका संबंध विशेष लेखांकन व्यवहारों तथा घटनाओं को मापने तथा उनको दिखाने से होता है।

लेखांकन मानकों का उद्देश्य क्या हैं?

लेखांकन मानक को बनाने का मुख्य उद्देश्य वित्तीय विवरणों को तैयार करना, प्रस्तुत करने में एकरूपता लाने से है। इसके साथ ही लेखांकन मानक का निम्नलिखित उद्देश्य होता है जो नीचे के पंक्ति ने दिया गया हैं-

  1. अंकेक्षकों के कार्य में मदद करना।
  2. वित्तीय विवरणों को अधिक अर्थ पूर्ण तथा विश्वसनीय बनाना ।
  3. ऐसे नियम तैयार करना जिसके अनुसार से वित्तीय विवरणों को आसानी से बनाया जा सके।
  4. विभिन्न समूहों में भावी वित्तीय संघर्षों को सरलता से हल करना।
  5. तुलना योग्य बनाने के लिए।

लेखांकन मानक के लाभ

व्यापार की भाषा लेखांकन को कहा जाता है जिस प्रकार भाषा का कार्य संवहन करना होता हैं, ठीक उसी प्रकार लेखांकन भी व्यापार की गतिविधियों को व्यापार की भाषा में जो कि व्यापार में हित रखते हैं, जानकारी प्रदान करता है।
लेखांकन प्रमाप के निम्नलिखित लाभ है-

  • यह मानक पारदर्शी लेखांकन मानदंड विकसित करते हैं।
  • यह हेरा-फेरी तथा छल-कपट की संभावनाओं को काफी हद तक कम कर देता हैं।
  • लेखांकन प्रमाप व्यवसायिक संस्थाओं द्वारा वित्तीय विवरणों के निर्माण व प्रस्तुतीकरण संबंधित विभिन्नताओं को बहुत सीमा तक कम करते हैं।
  • यह प्रमाप कई तरह के पत्क्षकारों के हित की रक्षा करते हैं।
  • लेखांकन मानक अंकेक्षक के लिए भी लाभप्रद होता हैं।

लेखांकन मानक की आवश्यकता

इसकी आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होता है जो कि नीचे इस प्रकार से दिया गया हैं-

  1. धोखाधड़ी व छल कपट को रोकने के लिए
  2. वित्तीय विवरण के निर्माण व प्रस्तुत करने हेतु
  3. लेखांकन मानक वित्तीय विवरणों की विश्वसनीयता तथा प्रामाणिकता में सुधार लाने के लिए
  4. तुलना करने के लिए

लेखांकन मानकों की प्रकृति क्या हैं?

इसके प्रकृति निम्नलिखित है-

  • अधिकांश लेखांकन मानक अनिवार्यतः लागू है जबकि कुछ संस्तुतितात्मक हैं।
  • लेखांकन मानक की मुख्य प्रकृति यह है कि यह विभिन्न लेखांकन नीतियों एवं व्यवहारों में एकरूपता स्थापित करने हेतु दिशा निर्देश देता है।
  • लेखांकन मानक ऐसे निर्देशक तत्व है जिनके अनुपालन से विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के वित्तीय विवरण तुलनात्मक हो जाते हैं।
  • लेखांकन मानक वित्तीय विवरण के प्रयोग कर्ताओं को बहुत सारी सूचनाएं प्रदान करते हैं। यह सूचनाएं वित्तीय विवरणों के निर्माण से संबंधित होते हैं।
  • अनिवार्य लेखांकन मानक सभी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों पर लागू होते हैं।

FAQs

प्रश्न संख्या 01 लेखांकन मानक 06 एवं 10 की व्याख्या कीजिए

उत्तर – भारतीय लेखांकन मानक 06 मूल्यह्रास से एवं 10 अचल संपत्तियों के लिए लेखांकन से संबंधित हैं।
लेखांकन मानक 06 – किसी भी वस्तु,सामग्री के मूल्य में होने वाली कमी को यह परिभाषित करता हैं।
लेखांकन मानक 10 – यह अचल संपत्तियों के लेखांकन से संबंधित होता है इसके उदाहरण हैं- भूमि, भवन, फर्नीचर, कार्यालय तथा उपकरण आदि।

प्रश्न संख्या 02 भारत में लेखांकन प्रमाप बोर्ड का गठन कब किया गया ?

उत्तर – 1977

प्रश्न संख्या 03 – भारतीय लेखांकन मानकों को कौन जारी करता हैं?

उत्तर – भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान और भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित कंपनियों के लेखांकन मानकों के लिए 2006 के नियमों द्वारा जारी किया जाता है।

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