गैर व्यापारिक संस्था द्वारा बनाया जाने वाला प्राप्ति भुगतान एवं आय-व्यय खाता है पिछले आर्टिकल में इन दोनों खाते के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई हैं। बहुत से स्टूडेंट का Quires आ रहा था कि सर प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय व्यय खाता में अंतर क्या होता है बताएं तो दोस्तों आज का पोस्ट प्राप्ति तथा भुगतान खाता में अन्तर से संबंधित है।
प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय आय-व्यय में अंतर
इन दोनों खाते के बीच निम्नलिखित अंतर पाया जाते हैं-
- प्राप्ति एवं भुगतान खाता एक वास्तविक खाता ( Real Account) होता है जबकि आय-व्यय नाममात्र खाता ( Nominal Account )होता है।
- इस खाते में प्रारंभ में ही Opening Balance यानी कि Cash in hand तथा Cash at Bank लिखना होता है जबकि आय-व्यय खाता में Opening Balance से शुरुआत नहीं किया जाता हैं। प्रत्येक अवधि के लिए नए सिरे से बनाना होता है।
- यह खाता स्वतंत्र विवरण होता है क्योंकि इसके साथ B/S का होना आवश्यक नहीं होता है लेकिन आय-व्यय खाते के लिए आर्थिक चिट्ठा आवश्यक होता हैं।
- इस खाते के अंत में Cash Balance ज्ञात किया जाता है इस Cash Balance के शेष को अगले लेखांकन वर्ष में ले जाया जाता है लेकिन आय-व्यय खाते के अंत में व्यय पर आय की अधिकता या आय पर व्यय की अधिकता ज्ञात किया जाता है इसे अगले लेखकांन में नहीं ले जाया जाता है।
- प्राप्ति एवं भुगतान खाते को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य सभी नगक प्राप्ति, भुगतान के संबंध में सूचना प्राप्त करना तथा वर्ष के अंत में Cash in hand, Cash at Bank निकालना है जबकि आय-व्यय खाते का मुख्य उद्देश्य सभी आय एवं व्यय/खर्च के संबंध में शुद्ध परिणाम हेतू Surplus व Deficit ज्ञात करना है।
लाभ न कमाने वाली संस्था का स्थिति विवरण तैयार करना
जो संस्थाएं लाभ नहीं कमाती है उनका आर्थिक चिट्ठा प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा तलपट की सहायता से बनाया जाता है। आर्थिक चिट्ठा वैसे ही बनाया जाता है जिस प्रकार से लाभकारी संस्था द्वारा तैयार किया जाता है।
तलपट और प्राप्ति एवं भुगतान खाता से Balance Sheet तैयार करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता हैं।
- Recepits and Payments Account में प्रदर्शित की गई सूचना में से Closing Balance ( Cash in hand, Cash at Bank ) को Balance Sheet के संपत्ति पक्ष में लिखेंगे।
- स्थायी संपत्तियों को भी संपत्ति भाग में लिखा जाएगा। उदाहरण – विनियोग, भवन, भूमि, निवेश, फर्नीचर आदि। यदि किसी संपत्ति के राशि में Depreciation का प्रावधान हो तो Depreciation जरूर काट कर लिखें।
- पूंजी कोष को दायित्व भाग में लिखेंगे। इसमें चालू वर्ष के Surplus को Add ( + ) कर देते हैं और Deficit ( – ) रहने पर Minius कर दिया जाता है।
- विशेष दान, आजीवन सदस्यता शुल्क, पूंजीगत प्राप्ति आदि को Liabilities Side में दिखाया जाता है इन्हें पूंजी कोष में जोड़ कर दिखाना चाहिए।
- प्रश्न में अतिरिक्त सूचनाएं रहने पर Adjustment अवश्य करना चाहिए तथा उसको उचित भाग में लिखना चाहिए।
आपने आज सीखा
आज के इस पोस्ट में आपने प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय व्यय खाते के बीच क्या अंतर होता है उसे जाना और साथ में गैर व्यापारिक संस्था के द्वारा आर्थिक चिट्ठा कैसे तैयार किया जाता है उसे भी आपने सीखा।