उपभोक्ता – Consumer In Hindi

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आप बाजार में कई तरह के वस्तुओं एवं सेवाओं को देखते हैं । आखिर उन वस्तुओं तथा सेवाओं का उपयोग कौन करता है? यह सवाल आपके मन में जरूर आया होगा ? आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि उपभोक्ता का अर्थ क्या है, बाजार का राजा कौन होता है, यह कौन व्यक्ति होता है, उपभोक्ता के अधिकार व उत्तरदायित्व कितने हैं तथा साथ ही उपभोक्तावाद क्या है इसे जानेंगे।

 

उपभोक्ता का अर्थ क्या है

सरल शब्दों में,जो व्यक्ति वस्तुओं तथा सेवाओं का अपनी आवश्यकता के अनुसार उपभोग अथवा उनको उपयोग में लाता है “उपभोक्ता” (Consumer) कहलाता है। जैसे- उपभोग की जाने वाली वस्तुएं : बिस्कुट, सब्जी, फल, चीनी, तेल, मिठाई आदि।
उपयोग में लाया जाने वाला वस्तु : टेलीविजन (T.V), मोबाइल फोन, लैपटॉप, मोटरसाइकिल, कार, बिजली तथा साइकिल आदि ।

उदाहरण 1 – रमेश और रवि दोनों काफी अच्छे दोस्त हैं। रवि अपने दोस्त रमेश के बर्थडे पार्टी में गिफ्ट के रूप में चॉकलेट दे रहा है। रमेश को चॉकलेट काफी अधिक पसंद है। रवि अपने नजदीक के दुकान से चॉकलेट को खरीदता है।
निष्कर्ष : यहाँ रवि अपने दोस्त रमेश के बर्थडे में गिफ्ट के रूप में चॉकलेट खरीदता है और रमेश इस चॉकलेट को खा लेता हैं । यहां रमेश ‘उपभोक्ता’ होगा ना कि रवि।

उदाहरण 2 – रमेश ही उपभोक्ता क्यों होगा रवि क्यों नहीं – तो इसका जवाब यह है कि रवि ने चॉकलेट को क्रय (Purchase) किया है लेकिन उसने उसका उपभोग नहीं किया जबकि उपभोग करने वाला रमेश है।

दूसरे शब्दों में – वह व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसे खर्च करता है और बदले में अपने आवश्यकता को पूरा कर लेता है “उपभोक्ता” कहलाता है।

 

इसे पढ़े- उपभोक्ता संरक्षण क्या है ? सम्पूर्ण जानकारी 

बाजार का राजा कौन होता है

इसका जवाब उपभोक्ता है । यदि बाजार में से उपभोक्ता को निकाल दिया जाए तो परिणाम शुन्य बचता है। वास्तव में उपभोक्ता ही बाजार का आधार होता है । बाजार इसी के कारण चलता है। यह नहीं है तो बाजार नहीं है। बहुत जगह आपने यह कहावत सुना ही होगा ‘ग्राहक भगवान होता है’।

Market Consumer = Zero
बाजार – उपभोक्ता = शून्य

उपभोक्ता कौन व्यक्ति होता है

सरल शब्दों में कहा जाए तो उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहा जाता है । जो अपने उपयोग के लिए वस्तुओं का क्रय करता है। जो व्यक्ति वस्तुओं का क्रय (खरीदारी) करता है लेकिन उसका इस्तेमाल ना करें तो वह उपभोक्ता नहीं होता है । जैसे – खुदरा व्यापारी,थोक व्यापारी आदि। अब सवाल यह आता है कि क्या खुदरा व्यापारी या थोक व्यापारी उपभोक्ता नहीं हो सकता है?
जवाब- हो सकता है यदि खुदरा व्यापारी या थोक व्यापारी उन वस्तुओं को अपने निजी इस्तेमाल में लाए।

 

उपभोक्ता के अधिकार कितने हैं

जैसा कि आपको पता होगा कि किसी काम को बेहतर ढंग से करने के लिए कुछ अधिकार दिए होते हैं। मुख्य रूप से उपभोक्ता के 6 अधिकार है जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –

1. सुरक्षा का अधिकार (The Right to Safety)
2. सूचना जानने का अधिकार (The Right to know)
3. चुनाव करने का अधिकार (Choice Right)
4. सुने जाने का अधिकार (The Right to be Heard)
5. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (The Right to Consumer Education)
6. उपचार/निवारण का अधिकार (The Right to be Redresses)

 

1. सुरक्षा का अधिकार (The Right to Safety) – जिन वस्तुओं से उपभोक्ता के स्वास्थ्य जीवन और संपत्ति की हानि हो सकती है। उससे उपभोक्ता को सुरक्षा प्रदान करना ही सुरक्षा का अधिकार है। जैसे- वस्तुओं में मिलावट एवं खतरनाक रसायन आदि। अमेरिका देश में यदि कोई व्यक्ति वस्तुओं में मिलावट करता है तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाती है क्योंकि वहां पर किसी वस्तु में मिलावट करना है एक बहुत बड़ा अपराध है ।अगर कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसको सजा तो जरूर मिलेगी।

2. सूचना जानने का अधिकार (The Right to know)– सूचना जाने या प्राप्त करने का अधिकार उपभोक्ता का अधिकार होता है । किसी वस्तु अथवा सेवा को खरीदने से पहले उपभोक्ता उस वस्तु से संबंधित आवश्यक सूचनाएं प्राप्त कर सकता है ।इसके लिए वह स्वतंत्र हैं। जैसे- वस्तु की किस्म क्या है, किस स्तर पर हैं, मूल्य कितना हैं, उपयोग करने की विधि क्या हैं, वर्जन कितना हैं, नाप-तोल, एक्सपायर कब होगा आदि।

 

3. चुनाव करने का अधिकार (Choice Right) – इस अधिकार के अंतर्गत उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं में से अपने इच्छा एवं आवश्यकता के अनुसार सबसे उपयुक्त वस्तुओं का चुनाव कर सकता है इसके लिए उस पर कोई पाबंदी नहीं है यह अधिकार उपभोक्ता को उपर्युक्त वस्तुएं अथवा सेवाएं प्रतियोगी मूल्य पर प्राप्त करने में सहायता करने के साथ-साथ यह भी विश्वास दिलाता है कि उसे संतोषप्रद वस्तुएं एवं सेवाएं उचित मूल्य पर प्राप्त होगी। इसे कई लोग चयन या पसंद करने का अधिकार भी कहते हैं।

 

4. सुने जाने का अधिकार (The Right to be Heard)-उपभोक्ता का यह अधिकार उसकी परिवेदनाओं एवं उसकी सुरक्षा तथा हितों के संरक्षण में संबंधित विचारों को सुने जाने से है । इसके साथ ही उसका यह अधिकार उन्हें विश्वास दिलाता है कि इस संबंध में सरकारी नीतियों के निर्धारण में उपभोक्ता के संरक्षण संबंधित हितों एवं विचारों का पूरा- पूरा ध्यान रखा जाएगा।

5. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (The Right to Consumer Education) – बाजार में वैसे भी वस्तुओं एवं सेवाओं को बेचा जाता है जिससे उपभोक्ता को केवल नुकसान ही नुकसान हो तो इसे रोकने के लिए यह आवश्यक है कि उपभोक्ता में जागरूकता पैदा किया जाए और साथी उपभोक्ता को शिक्षित बनाया जाए या अधिकार वक्ताओं को शोषण से मुक्ति दिलाने तथा हितों की रक्षा हेतु शिक्षा प्रदान करने से है ।
उदाहरण – जीरा, धनिया तथा मिर्च आदि मशालें में कई प्रकार की मिलावट होती हैं। इन मिलावटी को समझ में आए इसके लिए उपभोक्ता को शिक्षित होना परम आवश्यक है।

6. निवारण का अधिकार (The Right to be Redresses)-उपभोक्ता का यह अधिकार उसे अपने परिवेदनाओं एवं शिकायतों का उचित एवं न्याय पूर्ण उपचार अथवा समाधान प्रदान करता है। इस अधिकार के अंतर्गत उपभोक्ता न्यायालय की शरण ले सकता है। इस अधिकार से उपभोक्ताओं को व्यवसायी यानी कि दुकानदार के प्रति अनुचित एवं अनैतिक व्यवहार करने से मुक्ति मिल सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार उपभोक्ता के अधिकार

उपभोक्ता के प्रमुख अधिकार 6 है लेकिन उनके साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के भी कुछ अधिकार हैं जो कि नीचे सरकार से दिए गए हैं –

1. आधारभूत आवश्यकताओं का अधिकार
2. स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार

1. आधारभूत आवश्यकताओं का अधिकार (Right to Basic Needs) – आधारभूत आवश्यकता उसे कहा जाता है जो लोगों के दैनिक जीवन के लिए जरूरी है। जैसे कि रोटी, कपड़ा तथा मकान और साथ ही स्वास्थ्य सुरक्षा, शिक्षा, आवागमन की सुविधा भी इसमें शामिल होती है। सभी उपभोक्ताओं का यह आधारभूत आवश्यकताएं प्राप्त करने का पूरा- पूरा अधिकार होता है। इन आधारभूत आवश्यकताओं के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

2. स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार (The Right to Healthy Environment) – एक व्यक्ति अच्छे से जीवनयापन तभी कर सकता है। जब उसे स्वच्छ वातावरण मिले। उपभोक्ताओं को भौतिक स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त करने के अधिकार को सुरक्षा पर्यावरण का अधिकार कहते हैं। उदाहरण के लिए आज विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (जल,वायु, मृदा तथा ध्वनि आदि)पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। उपभोक्ताओं का यह अधिकार है कि वह इन सभी प्रदूषण को रोके। इसके लिए उन्हें कदम उठाना चाहिए।

उपभोक्ता के उत्तरदायित्व कितने हैं

उपभोक्ता के दायित्व निम्नलिखित हैं जो भी नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –
1. खरीदारी में जल्दबाजी ना करें
2. रशीद एवं गारंटी कार्ड लेना
3. गुणवत्ता से समझौता नहीं
4. झूठे विज्ञापन से बचना
5. अधिकारों के प्रति सजगता
6. उपभोक्ता की सावधानी

 

1. खरीदारी में जल्दबाजी ना करें – उपभोक्ता का पहला दायित्व है कि उन्हें जल्दबाजी में खरीदारी नहीं करनी चाहिए। किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले उसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए।

 

2. रशीद एवं गारंटी कार्ड लेना -उपभोक्ता का दूसरा दायित्व है कि वह वस्तु खरीदते समय भुगतान (Payment) की गई रसीद तथा यदि उसके साथ कोई वारंटी कार्ड दी गई हो तो उस कार्ड को जरूर लें।

 

3. गुणवत्ता से समझौता नहीं – कंस्यूमर  का तीसरा दायित्व है कि वस्तु खरीदते समय कम मूल्य के लालच में गुणवत्ता (Quality) से समझौता नहीं करना चाहिए। उदाहरण – गुणवत्ता मानक प्रमाण संकेत जैसे कि , ISI मार्क, वूलमार्क तथा FPO आदि देख लेना चाहिए।

4. झूठे विज्ञापन से बचना – उपभोक्ता को जितना हो सके झूठे विज्ञापन से बचना चाहिए । आज विज्ञापन ऐसा- ऐसा किया जा रहा है जो कि उस वस्तु से उसका कोई संबंध ही ना होता हैं। दुकानदार अधिक से अधिक सामान बेचने के लिए अपने उत्पादों का झूठा विज्ञापन करते हैं।

 

5. अधिकारों के प्रति सजगता – उपभोक्ता का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। और आवश्यकता पड़ने पर उसका सही प्रयोग करें।

6. उपभोक्ता की सावधानी – कंस्यूमर  को चाहिए कि वस्तुएं खरीदते समय अपने बुद्धि, विवेक का पूरा- पूरा इस्तेमाल करें ।उसे दुकानदार की हर बात पर सोच- समझकर विश्वास करना चाहिए। उसे खरीदारी करते समय सामान के संबंध में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए ताकि उसके साथ किसी भी तरह का धोखा ना हो।

 

उपभोक्तावाद क्या है

उपभोक्तावाद से आशय कंस्यूमर के आंदोलन से है। जो उपभोक्ताओं के हित के लिए कार्य करता है। उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी ना हो इसलिए यह बनाया गया है।

 

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