उपभोक्ता संरक्षण – Consumer Protection In Hindi

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आज बाजार में विभिन्न प्रकार के समान,सेवाएं आदि देखने को मिलते हैं ।उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार चीजों को खरीदते हैं तथा उसका उपयोग करते हैं। दुकानदार द्वारा ठगी करने पर उपभोक्ता क्या कर सकते हैं। यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी हैं । उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection) इसी ठगी, डाका को रोकने के लिए बनाया गया है। यहाँ बार-बार उपभोक्ता शब्द का प्रयोग किया गया है आखिर उपभोक्ता क्या है, उपभोक्ता कौन व्यक्ति होता है आदि।

 

आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि उपभोक्ता संरक्षण क्या है,उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता, भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून कब लागू हुआ तथा विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है।

 

उपभोक्ता संरक्षण क्या हैं

सामान्यता उपभोक्ता संरक्षण से आश्य उत्पादकों एवं विक्रेताओं के अनुचित व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करना है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं को निर्माताओं एवं शोषण से बचाना है उपभोक्ता संरक्षण‘(Consumer Protection) का मुख्य उद्देश्य है।

विशेष अर्थ में – उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ निर्माताओं और व्यापारियों द्वारा उपभोक्ता हितों के विरुद्ध की जाने वाली व्यापारिक कार्यवाही से हैं। जैसे – माल में मिलावट का होना, कम गुणवत्ता की वस्तुओं एवं सेवाओं को देना, कम माप – तोल करना,अधिक कीमत वसूलना तथा विज्ञापन से लुभाना आदि शामिल होता है।

उदाहरण- 1 मिलावट
रमेश के घर पर कुछ मेहमान (Guest) आए हैं। मेहमान को नशात कराने के लिए रमेश की माँ ने रमेश से पास की दुकान पर जाकर सुजी लाने के लिए कहा। हलुवा जो बनाना था। रमेश दुकान से सुजी लेकर आया। उसकी मां ने देखा कि इसमें मिलावट की गई हैं।
इसी प्रकार से आप सरोस का तेल खरीदने जाते हैं बाजार में तो आपको कई अलग-अलग ब्रांड के देखने को मिल जाएंगे उसने भी मिलावट किया होता है। आज अधिकतर सामान मिलावट से ही बना है।

उदाहरण- 2 कम गुणवत्ता की वस्तुओं एवं सेवाओं
आज बाजार में या फिर कोई भी ऑनलाइन साइट पर कोई सामान खरीदना चाहते हैं तो एक समान का दाम (Price) अलग अलग होता है । इसका कारण है माल की क्वालिटी ।

उपभोक्ता संरक्षण का क्षेत्र बहुत ही फैला हुआ हैं।

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उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता

यदि सही मायने में देखा जाए तो उपभोक्ताओं के लिए उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता उस समय महसूस हुई। जब एक ओर उपभोक्ताओं को सही मूल्य पर, सही मात्रा में, सही क्वालिटी की, सही समय पर वस्तुएं अथवा सेवाएं उपलब्ध होने में काफी अधिक कठिनाइयां होने लगी थी। तथा दूसरी ओर उत्पाद एवं वितरण( एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना वितरण हैं),श्रृंखलाओं के उत्पाद के विषय में सही सूचना का ना होना, उपभोक्ताओं को ठगे जाने की विभिन्न विधियों का उपयोग करना आदि।

उपभोक्ता संरक्षण का महत्व

उपभोक्ता  संरक्षण के निम्नलिखित महत्व है जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –
1.आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराना
2.प्रदूषण से सुरक्षा कराना
3.मानव कल्याण
4.अशिक्षित व्यक्तियों के हितों की सुरक्षा
5.सामाजिक जिम्मेदारी
6.अधिकार के प्रति जागरूक

1.आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराना – आज सामान्य उपभोक्ता को उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की क्वालिटी, शुद्धता, उपयोगिता,समान को कैसे उपयोग करना हैं, मूल्य तुलना , विज्ञापन से बचान आदि के बारे में जानकारी कराना परम आवश्यक है। ताकि वह सही जानकारी के आधार पर सही समय पर, सही वस्तु का चुनाव कर सके। इसके लिए उपभोक्ता को यह आवश्यक है कि वह उपभोक्ता के अधिकार को समझें।

2.प्रदूषण से सुरक्षा कराना – प्रदूषण से सुरक्षा प्रदान करना उपभोक्ता संरक्षण का महत्वपूर्ण कदम हैं। आज प्रदूषण की समस्या काफी अधिक बढ़ गई है। जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण आदि । आज शुद्ध जल का सेवन बहुत कम ही लोग कर कर पा रहे हैं। जिसके कारण कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।कारखानों (Factory)से निकालने वाले धुएं इतने अधिक विषैले, जहरीले होते हैं। जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है यह वायु को दूषित करने से हैं।आज सड़क पर लोग कम गाड़ी की संख्या अधिक देखने को मिलती हैं । गाड़ियों के हर्न (Horn) से निकलने वाला आवाज काफी घातक होता हैं। ध्वनि प्रदूषण नाच बाजे में काफी अधिक होता है । इन सभी से बचने के लिए उपभोक्ता को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता है।

 

3.मानव कल्याण – मानव जाति का कल्याण करना उपभोक्ता संरक्षण का महत्व है। आज विश्व का प्रत्येक मानव पहले उपभोक्ता है और बाद में कोई और ।हम सभी किसी न किसी रूप में उपभोक्ता ही हैं । इसमें स्वयं व्यापारी भी शामिल होता है। मानव कल्याण के लिए यह परम आवश्यक है कि सभी मनुष्य को इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं एवं सेवाएं , सस्ती, सुंदर, शुद्ध एवं सही क्वालिटि की हो। ऐसा करने से मनुष्य का स्वास्थ सुधरेगा और मनुष्य जाति का और अधिक कल्याण होगा।

 

4.अशिक्षित व्यक्तियों के हितों की सुरक्षा – जो व्यक्ति पढ़े लिखे नहीं हैं उनको शिक्षित बनाना तथा वस्तुओं के बारे में सही जानकारी प्राप्त करना उपभोक्ता संरक्षण का कार्य है।
बिना पढ़े लिखे लोग दुकानदार द्वारा ठगे जाते हैं। उपभोक्ता को यह पता नहीं होता है कि उन्हें कौन- सा वस्तु लेना चाहिए और कौन नहीं। ना समझ लोगों को सामान/माल के प्रति शिक्षित करना उपभोक्ता संरक्षण का महत्व है। यदि उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण का अधिकार पता होगा तो वह कभी भी दुकानदार के द्वारा ठगा नहीं जा सकता है।

5.सामाजिक जिम्मेदारी – व्यापारियों ने सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति चेतना जगाने के लिए भी उपभोक्ता संरक्षण का महत्व है। क्योंकि कोई भी व्यवसाय समाज के अंदर ही स्थापित होता है और समाज के लोगों के द्वारा ही चलता है। इसके लिए आवश्यक है व्यापारी को समाज के हितों की सुरक्षा करना।

 

6.अधिकार के प्रति जागरूक – एक उपभोक्ता का क्या क्या अधिकार होता है। उपभोक्ता को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होने के लिए उपभोक्ता संरक्षण का महत्व है। आज का उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं है उसे क्या अधिकार प्राप्त हैं मालूम ही नहीं है।

 

भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून कब लागू हुआ

भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून 15 अप्रैल 1987 से लागू हुआ। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का बिल 9 दिसंबर 1986 को भारतीय संसद के पटल पर रखा गया जो पास हो गया । सन् 24 दिसंबर 1986 को भारत के राष्ट्रपति ने इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति दे दी । यह अधिनियम जम्मू तथा कश्मीर राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में 15 अप्रैल 1987 को लागू कर दिया गया। इस अधिनियम में सन् 1993,2002,2003,2004 एवं इसके बाद समय-समय पर बदलाव किए गए हैं।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है

15 मार्च को प्रत्येक साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन उपभोक्ताओं के अपने अधिकार या कंज्यूमर राइट्स के प्रति जागरूक होने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। उपभोक्ता के साथ कभी भी धोखाधड़ी, माल में मिलावट, कम माप- तोल, रंगदारी आदि नहीं हो इसके लिए यह किया जाता है। उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझ जाए तो वह कभी भी इसका शिकार नहीं हो पाएंगे।

 

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