Hire Purchase System क्या होता हैं। इसे हमने पिछले क्लास में Discuss किए। आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि किराया क्रय पद्धति से किस- किस को हानि Loss होता हैं।
किराया क्रय पद्धति की हानियाँ
इस प्रणाली से क्रेताओं,विक्रेताओं तथा अन्य वर्ग को भी हानि होती हैं। जो कि नीचे इस प्रकार से हैं-
A. माल खरीदने वाला व्यक्ति को हानि –
1.इसमें क्रेताओं को नकद मूल्य के अलावा अधिक राशि देना पड़ता हैं।
2. इस पद्धति में माल खरीदने वाला व्यक्ति के मन में हमेशा डर लगा रहता हैं कि किस्त का भुगतान न करने की दशा में माल छीन सकता हैं।
3.जब तक अन्तिम किस्त का भुगतान नहीं कर दिया जाता हैं, तब तक क्रेता उस वस्तु का मालिक नहीं बन सकता।
4. कभी-कभी क्रेता अपनी क्षमता से अधिक मूल्य का समान खरीद लेते हैं और बाद में नियमित किस्तों का भुगतान नहीं कर पाते हैं।
B. विक्रेताओं को हानियाँ
1. यदि कोई दुकानदार इस पद्धति का इस्तेमाल करता हैं तो उसके पास अधिक मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होगी। जो छोटे व्यपारियो के लिए सम्भव नहीं हैं।
2. जब किसी किस्त की राशि ना चुकाने पर दुकानदार माल वापस ले लिया जाता हैं तो अधिकांश Condition में टुटा-फूटा व बेचने योग्य नहीं होता हैं।
3. किस्त वसूल करने के लिए विक्रेता को कठिन मेहनत करना होता हैं।
4. किस्त की राशि ना मिलने पर Salesman को माल वापस लेने का अधिकार होता हैं लेकिन यह एक कठिन कार्य हैं।
C. अन्य हानि
1. किराया क्रय पद्धति उपभोक्तावाद को हवा देती हैं। जिस कारण देश में कई तरह के समस्या उत्पन्न होते हैं।
2. ऐसे वर्ग के लिए किराया क्रय पद्धति भारी बोझ बन जाती हैं। जिनकी आमदनी किस्त चुकाने में सक्ष्म नहीं हैं।
किराया क्रय पद्धति से हानि
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