अंकेक्षण प्रणाली क्या हैं | Audit System In Hindi

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अंकेक्षण से आशय सत्यता एवं शुद्धता की जांच से लगाया जाता है। यह एक छोटा शब्द ही नहीं है बल्कि एक विस्तृत स्वरूप हैं। हर दिन की भांति आज के इस आर्टिकल में अंकेक्षण प्रणाली क्या हैं (Audit System Kya Hota Hai) उसके बारे में व उससे संबंधित निम्नलिखित बातों को जानेंगे।

अंकेक्षण प्रणाली क्या होता हैं?

यह एक ऐसा प्रणाली होता है जिसमें निम्नलिखित को सम्मिलित किया गया है। इन सभी के बारे में एक अंकेक्षक को गहन जानकारी होनी चाहिए जो इस प्रकार से हैं –

  1. विशिष्ट संकेतों का प्रयोग
  2. नैत्यक/नियमित जांच
  3. परीक्षण जांच
  4. गहन जांच
  5. सभी जांच
  6. प्रमाणन
  7. सत्यापन एवं मूल्यांकन

अंकेक्षण प्रणाली एक विधि है अंकेक्षण तकनीक को प्रयोग में लाने की। इस कार्य का कोई प्रमापित विधि नहीं हैं। अंकेक्षक की योग्यता, आवश्यकता, कार्य का स्वरूप कुछ ऐसे घटक हैं जो अंकेक्षक प्रणाली को प्रभावित करते हैं।

विशिष्ट संकेतों का प्रयोग

अंकेक्षण करते समय अंकेक्षक के द्वारा संस्था के विभिन्न सौदों की जांच करते समय कुछ विशेष संकेत या चिन्ह का प्रयोग करना चाहिए जैसे कि त्रिभुज,∇,∗, वर्गकार, सही, गलत आदि । इन संकेतों या चिन्हों का प्रयोग करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है –

  • वैसे संस्थाएं जिनका उद्देश्य एक ही हो उसमें अलग-अलग संकेतों का प्रयोग करना चाहिए।
  • चिन्ह ऐसा हो जो कर्मचारियों को समझ में नहीं आए और अर्थात चिन्ह के सीक्रेट को कोई जान ना पाए।
  • एक तरह के चिन्हों के लिए अलग-अलग रंगों का उपयोग करना चाहिए।
  • चिन्ह में एकरूपता का गुण होना चाहिए तथा इनका आकार भी छोटा होना चाहिए जिससे इनको प्रयोग करने में सुविधा हो।
  • प्रत्येक वर्ष संकेतों में बदलाव करते रहना चाहिए।

Routine Checking In Hindi

नैत्यक जांच इसे नियमित जांच के नाम से जानते हैं। नैत्यक जांच से आशय उस जांच से है जिसमें संस्था के लेखा पुस्तकों की जांच स्वाभाविक ढंग से किया जाता हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्रियाओं को शामिल किया जाता है-

  1. संस्था के प्रथम पुस्तक से लेजर में की गई पोस्टिंग का जांच करना।
  2. Journal Entries का मिलान करना
  3. रोजनामचा तथा खाताबही में अंकगणितीय की जांच करना।
  4. जर्नल Entries तथा Ledger के योगों की जांच करना।
  5. लेनदेन से संबंधित Voucher को देखना।
  6. Trail Balance को देखना,उसमें लिखे गए विभिन्न शेषों की जांच करना।
  7. इसे Daily जांच भी करते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रारंभिक पुस्तकों एवं खाता बही में अंकगणितीय शुद्धता की जांच करना, नियम के अनुसार हुआ है या नहीं उसकी पहचान करना आदि है।

नैत्यक जांच के लाभ

  • इससे प्रारंभिक लेखा पुस्तक में हुए अशुद्धि, छल-कपट आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
  • नैत्यक जांच से वित्तीय विवरण तैयार करने के पहले ही समस्त खातों की सही जांच कर ली जाती है जिससे अंतिम विवरण में दी गई सूचनाएं पूरी तरह से सत्य होते हैं और जिस पर आसानी से भरोसा कर लिया जाता हैं।
  • Daily जांच करने से संस्था की गलतियों, कमियों आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
  • अंकगणितीय शुद्धता के बारे में ज्ञात होना नैत्यक जांच का प्रमुख लाभ है।
  • यह एक सरल जांच विधि होता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक सौदों का Voucher से मिलान करके ही रिपोर्ट देना होता हैं।

नैत्यक जांच के दोष/ हानि

  • बड़ी गलतियों को ढूंढना कठिन – नैत्यक जांच से केवल सामान्य स्तर की गलतियों को ही ढूंढा जा सकता है इसमें छल-कपट तथा नियोजित गलतियों को पकड़ना काफी कठिन होता है क्योंकि बड़ी गलतियां सुनियोजित ढंग से की जाती है जिनका पकड़ा जाना सामान्य कर्मचारियों के बस की बात नहीं होती है।
  • पूरक गलतियों को ढूंढना कठिन – इस प्रणाली से सैद्धांतिक त्रुटियों को नहीं ढूंढा जा सकता है क्योंकि इन्हें ढूंढने के लिए लेखांकन सिद्धांतों का जानकारी होना आवश्यक होता है जिसकी इसमें कमी पाई जाती है क्योंकि जांच संबंधित कार्य साधारण योग्य रखने वाले कर्मचारी के द्वारा ही किया जाता है।
  • नीरसता – यह जांच सामान्यता एक ही ढंग शैली से की जाती है जिससे इसमें नीरसता उत्पन्न होने लगती हैं तथा कार्य यंत्रवत् प्रतीत होने लगता है। नीरसता के कारण कार्य में संलग्न व्यक्ति जल्दी ही थकान महसूस करने लगता है।
  • कार्य में लापरवाही – कार्य में नीरसता आने से अंकेक्षक व उसके कर्मचारी कार्य के प्रति सजग नहीं रह पाते हैं जिस कारण से कार्य में लापरवाही होने लगती है।
  • सैद्धांतिक अशुद्धियों की जानकारी ना होना – सैद्धांतिक अशुद्धियों की जानकारी नियमित जांच से संभव नहीं हो पाती है क्योंकि इसके अंतर्गत अंकेक्षक का उद्देश्य अशुद्धियों को ढूंढना नहीं होता है बल्कि यह केवल संमकों से संबंधित होता हैं।

परीक्षण जांच क्या हैं? Test Checking In Hindi

परीक्षण जांच से आशय उस जांच से है जिसमें किसी संस्था की संपूर्ण लेखा पुस्तकों की जांच ना करके केवल खास- खास पुस्तकों की जांच किए जाएं । अंकेक्षण का कार्य ही होता है लेखा पुस्तकों की जांच करना लेकिन व्यवसाय का आकार बड़ा होने पर गहन जांच करना संभव नहीं है।

अगर संस्था में आंतरिक जांच प्रणाली मजबूत है तो विशेष पुस्तकों की जांच करवा कर उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती हैं।परीक्षण जांच इस सिद्धांत पर आधारित होता है कि जो विशेषताएं न्यायदर्श Sample में पाई जाती हैं वे सभी जगह मौजूद होती हैं। इस जांच की मान्यता सभी देश में प्राप्त है।

परीक्षण जांच के गुण/लाभ लिखें

इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  • समय की बचत – परीक्षण जांच में समस्त लेखा पुस्तकों की जांच ना करके विशेष पुस्तक को ही चेक किया जाता है जिससे समय की बचत होती है।
  • कम खर्चीला – यह तरीका मितव्यी होता है इसमें अंकेक्षक को कम समय तथा मेहनत लगाने की जरूरत पड़ती है जिससे उसका चार्ज ₹ भी कम होता है।
  • भरोसा – इस जांच को विश्वसनीयता जांच माना जाता है। इसके आधार पर ही समस्त जांच का अनुमान लगाया जाता है तथा बिजनेस में महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जाते हैं।
  • अंकेक्षण रिपोर्ट जल्द मिलना – अंकेक्षण का कार्य शीघ्र पूरा हो जाने के कारण रिपोर्ट जल्दी प्राप्त हो जाता है जिससे अंशधारियों की सभा आदि की व्यवस्था करने में आसानी होती है।

परीक्षण जांच के दोष

  1. यह केवल बड़े संस्थाओं के लिए उपयोगी होता है।
  2. परीक्षण जांच के लिए आंतरिक जांच अनिवार्य हो जाता है जो सभी संस्थाओं के लिए संभव नहीं है।
  3. इसमें गलत परिणाम की संभावना काफी बनी रहती है।
  4. इसके अंतर्गत जांच न्यादर्श के आधार पर समग्र का सत्यापन करता है यदि दूसरी मदों में गलतियां हो तो अंकेक्षक का सत्यापन भी गलत सिद्ध होगा।
  5. छल-कपट की संभावना इसमें रहती हैं।

 

गहन अंकेक्षण किसे कहते हैं या गहन जांच

परीक्षण जांच के विस्तृत स्वरूप को ही गहन जांच या अंकेक्षण कहते हैं। इसके अंतर्गत कुछ विशेष पुस्तकों को ही शुरू से लेकर अंत तक जांच की जाती है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि खाते का अंकेक्षण जल्द ही किया जाए। इससे अंकेक्षक को अंकेक्षण कार्य में सुविधा होती है तथा वह कार्य का निष्पादन शीघ्र कर पाते है।

गहन अंकेक्षण के लाभ

  • गहन अंकेक्षण कार्य में प्रामाणिकता लाता है।
  • यह लेखा पुस्तकों में की गई धोखाधड़ी की जांच में मदद करता है।
  • अंशधारियों के हितों की रक्षा करता हैं।

गहन अंकेक्षण के दोष

  1. इसमें अंकेक्षक की क्रियाओं से व्यवसाय का संचालन प्रवाहित होता है।
  2. यदि नमूना गलत लिया गया हो तो सारा कार्य बर्बाद हो जाता है।

संपूर्ण जांच से आप क्या समझते हैं?

संपूर्ण जांच Overall Checking अर्थात् वैसा जांच जिसमें एक अंकेक्षक द्वारा किसी संस्था की संपूर्ण लेखा पुस्तकों की जांच किया जाए, कोई अशुद्धि, गलती छूट नहीं जाए इसके लिए सभी जांच विधियों का समिश्रित रूप का प्रयोग ही संपूर्ण जांच कहलाती हैं।

प्रमाणन से क्या तात्पर्य हैं?

संस्था में किए गए सौदों की जांच संबंधित प्रमाणको के आधार पर किया जाना ही ‘प्रमाणन’ कहा जाता है। प्रत्येक लेनदेन का बारीकी से प्रमाण से मिलान कर जांच करना चाहिए अधिक जानकारी के लिए और पढ़ें

Conclusion :

तो फ्रेंड्स आशा करता हूं कि आपको अंकेक्षण प्रणाली क्या है और इसके अंतर्गत किनको शामिल किया जाता है उन सभी के बारे में काफी अच्छे से व विस्तार से बताया हुं। यह पोस्ट आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करें और शेयर करें।

यह भी पढ़िए –आंतरिक अंकेक्षण क्या होता हैं?

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