निर्देशन क्या हैं, अर्थ, विशेषता तथा महत्व | Directing In Hindi

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काम कोई भी हो अगर उसने 100% सफलता चाहिए तो निर्देशन क्या है उसके बारे में जाना होगा। निर्देशन व्यवसाय की सफलता और असफल दोनों पर निर्भर करता है। एक अच्छा निर्देशन व्यापार को बुलंदियों तक पहुंचा देता है। यह प्रबंध का एक अहम अंग भी होता है। इस पोस्ट में निर्देशन के बारे में कंप्लीट जानकारी दी गई है।

निर्देशन क्या हैं

निर्देशन से आश्य संस्था में मानव संसाधन को निर्देश देना, उनका मार्गदर्शन करना, संदेश वाहन करना और उन्हें कार्य करने के लिए अभिप्रेरित करना है ताकि संस्था के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।

साधारण शब्दों में निर्देशन का अर्थ निर्देश देने से है।

इसकी परिभाषा यहीं तक सीमित नहीं है हर एक कॉमर्स ज्ञानी ने अपने शब्दों में निर्देशन को कुछ इस तरह से परिभाषित किए हैं-

Earnest Dale – निर्देशन व्यक्तियों को यह बतलाता है कि वह क्या करें और यह देखना कि वे उसे अपने पूर्ण योग्यता के साथ करें।

Dimock – यह प्रशासन का हृदय है जिसके अंतर्गत क्षेत्र का निर्धारण, आदेशों तथा निर्देशों को देना एवं गतिशील नेतृत्व प्रदान करना शामिल होता हैं।

 

निर्देशन की विशेषताएं लिखिए

इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  • प्रबंधकीय कार्य – निर्देशन प्रबंध का महत्वपूर्ण कार्य है। प्रबंध के अन्य घटक कार्य की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं जबकि निर्देशन कर्मचारियों से कार्य कराता है और संस्था के उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
  • प्रत्येक स्तर पर आवश्यक – प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर आवश्यक होता हैं। चाहे Business छोटा हो या फिर बड़ा निर्देशन की आवश्यकता होती हैं।
  • कई कार्यों का समूह – निर्देशन कोई एक काम नहीं है जिसे एक बार कर देने से समाप्त हो जाएगा बल्कि यह कई कार्यों का समूह है। इसके अंतर्गत पर्यवेक्षण , नेतृत्व, संदेश वाहन तथा अभिप्रेरण आते हैं।
  • निर्देशन का प्रभाव इसमें निर्देशन का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है या उच्च स्तरीय प्रबंध से प्रारंभ होकर निम्न स्तरीय प्रबंध पर जाकर समाप्त हो जाता है।
  • सतत क्रिया यह एक सतत प्रक्रिया है जो व्यवसाय के संपूर्ण जीवन काल तक चलता रहता है।

निर्देशन के लक्षण एवं प्रकृति

प्रबंध को गतिशीलता निर्देशन के द्वारा ही प्राप्त होता हैं।

  1. निर्देशन संपूर्ण मानव संसाधन को निर्देशित करते हुए गतिशीलता प्रदान करता है।
  2. इसके निम्नलिखित तीन मुख्य उद्देश्य होते हैं – a. अधीनस्थों से कार्य कराना b. संस्था के लक्ष्य एवं उद्देश्य को प्राप्त करना तथा प्रबंध को अधिक उत्तरदायित्व से कार्य करने के लिए अवसर प्रदान करना।
  3. इसकी प्रकृति मानवीय होता हैं। इसलिए इसका संबंध मानव से हैं।

निर्देशन के महत्व बताइए

यह प्रबंध का महत्वपूर्ण कार्य है कोई व्यापारी योजना बना सकता है कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकता है परंतु तब तक सफल नहीं हो सकता है जब तक वह अपने अधिकारियों को सही दिशा निर्देश ना दें इस प्रकार निर्देशन के महत्व को निम्न तथ्यों से स्पष्ट किया जा सकता हैः

अभिप्रेरणा का साधन – संस्था के उद्देश्य को संस्था के प्रति समर्पित कर्मचारी हैं पूरा कर सकते हैं अतः कर्मचारियों से उनकी क्षमता के अनुसार काम लेने के लिए उन्हें उचित प्रेरणा देना आवश्यक होता है या काम सफल निर्देशन के द्वारा ही संभव होता है।समुदाय का आधार किसी संस्था में अनेक कर्मचारी काम करते हैं और सभी की क्रियाएं एक-दूसरे से जुड़ी होती है निर्देशन सभी कर्मचारियों के व्यक्तिगत प्रयासों में समन्वय स्थापित करता हैं।

परिवर्तन को लागू करना संभव – किसी संस्था में कर्मचारी जो काम करते हैं उसे करते रहना चाहते हैं प्रबंध निर्देशन के माध्यम से कर्मचारियों को इस प्रकार तैयार करता है कि ताकि वह परिवर्तन को सहज स्वीकार

क्रियाओं का गतिशीलता–  निर्देशन संस्था में क्रियाओं में गतिशीलता प्रदान करता है इससे कर्मचारियों को यह पता चलता है कि उन्हें कौन काम कब और कैसे करना है।

संगठन में संतुलन बनाए रखना–  कभी-कभी संगठन में व्यक्तिगत एवं संस्थागत उद्देश्यों में संघर्ष पैदा हो जाते हैं एक कर्मचारी अधिक से अधिक पारिश्रमिक प्राप्त करना चाहता है जबकि इस संस्था का उद्देश्य अधिक लाभ कमाना और बाजार में अधिक हिस्सा प्राप्त करना है प्रबंध निर्देशन के माध्यम से यह बताते हैं कि वह कंपनी के उद्देश्य को प्राप्त करते हुए अपने उद्देश्यों को कैसे पूरा कर सकते हैं।

 

निर्देशन के सिद्धांतों का वर्णन करें

निर्देशन के मुख्य सिद्धांत 8 है जो नीचे के पंक्ति में दिए गए हैं-

  1. उपयुक्त का सिद्धांत
  2. उद्देश्यों के तालमेल का सिद्धांत
  3. अधिकतम व्यक्तिगत योगदान का सिद्धांत
  4. आदेश की एकता का सिद्धांत
  5. अनौपचारिक संगठन के प्रयोग का सिद्धांत
  6. लगातार अनुगमन का सिद्धांत
  7. प्रबंधकीय संदेशवाहन का सिद्धांत
  8. नेतृत्व का सिद्धांत

 

उपयुक्त का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार प्रबंध द्वारा निर्देशन की कुशलता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसकी कुशलता तभी दृष्टिगोचर होती है जब संगठन के उद्देश्य प्राप्त हो जाए और कर्मचारी भी संतुष्ट रहे।

उद्देश्यों के तालमेल का सिद्धांत – यह सिद्धांत के अंतर्गत उद्देश्य और व्यक्तिगत दोनों में पूर्ण सामंजस्य होना चाहिए। कर्मचारी संगठन में अधिक पारिश्रमिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करते हैं। वहीं दूसरी ओर संगठन का उद्देश्य अधिक लाभ प्राप्त करना होता है।

अधिकतम व्यक्तिगत योगदान का सिद्धांत – निर्देशन का यह सिद्धांत काफी महत्वपूर्ण है। इस सिद्धांत के अनुसार यह प्रयास किया जाता है कि कर्मचारी अधिक से अधिक काम करने के लिए अभिप्रेरित हो एवं संगठन के उद्देश्य के लिए अपना अधिक से अधिक योगदान दें।

आदेश की एकता का सिद्धांत – यह सिद्धांत एक संस्था को सफल बनाने में काफी मदद करता है अगर इसका सही से इस्तेमाल किया जाए तो इस सिद्धांत के अनुसार एक समय पर, एक ही अधिकारी द्वारा, एक ही व्यक्ति को, एक काम शौपा जाना चाहिए। यदि एक से अधिक अधिकारियों से आदेश प्राप्त होंगे तो वह व्यक्ति समझ नहीं पाएगा कि किसका काम पहले करें।
परिणामस्वरूप भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाएंगे।

 

अनौपचारिक संगठन के प्रयोग का सिद्धांत – इसमें वरिष्ठ एवं अधीनस्थों के बीच सूचनाओं का स्वतंत्र रूप से आदान-प्रदान होना चाहिए। निर्देशन की कुशलता काफी हद तक सूचनाओं के प्रभावपूर्ण आदान-प्रदान पर डिपेंड करता है। सूचनाएं औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों होनी चाहिए।

लगातार अनुगमन का सिद्धांत – प्रबंध द्वारा यह देखना चाहिए कि उसके द्वारा तैयार की गई नीतियां और जारी किए गए निर्देश किस सीमा तक लागू किए जा रहे हैं और उनका प्रभाव संस्था एवं बिजनेस पर कैसा पड़ रहा है। इस सिद्धांत का मानना है कि प्रबंधकों का काम नीति व निर्देश जारी करके चुपचाप बैठना नहीं है बल्कि लगातार वापसी जानकारी ( Feedback) प्राप्त करते रहना है। इसका लाभ होगा कि यदि किसी नीति व निर्देश को लागू करने में कोई समस्या है तो उसे तुरंत हल किया जा सकेगा।

प्रबंधकीय संदेशवाहन का सिद्धांत – यह सिद्धांत भी काफी महत्वपूर्ण है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रबंधक देखता है कि उसके द्वारा जो निर्देश दिए गए हैं क्या कर्मचारी उन निर्देशों को पालन करते हुए काम कर रहे हैं या फिर नहीं।

नेतृत्व का सिद्धांत – अधीनस्थों का निर्देशन करते समय प्रबंध को बेहतर नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। इससे अधीनस्थ प्रबंधकों के प्रभाव में आ जाते हैं और ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर प्रबंधक जो चाहे उन से काम करवा सकता है।

Conclusion :

प्रिय छात्र/छात्राएं मैं उम्मीद करता हूं कि आपको निर्देशन क्या हैं, अर्थ, विशेषता तथा महत्व सभी जानकारियां मिल गई होंगी। यह पोस्ट आपके लिए काफी मददगार साबित हुआ होगा। कोई Question व Confusion होतो Comment करें।

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