लगान की समस्या पर ध्यान आकृष्ट करने का सबसे बड़ा श्रेय रिकार्डो का हैं।आज इस नए आर्टिकल में रिकार्डो के लगान सिद्धांत क्या हैं, आलोचनात्मक आदि मुख्य बिंदु को देखेंगे।
रिकार्डो का लगान सिद्धांत क्या हैं?
रिकार्डों के अनुसार एक नए देश में भूमि पर किसी प्रकार का लगान उत्पन्न नहीं होता। लगान उसी समय उत्पन्न होता है जबकि जनसंख्या बढ़ने के कारण खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है और खाद्य पदार्थों की मांग के साथ ही निम्न प्रकार की भूमि पर खेती होने लगती हैं।
इस प्रकार रिकॉर्ड के अनुसार लगान का कारण प्रकृति की उदारता नहीं बल्कि भूमि की मांग का बढ़ना हैं।
रिकॉर्डर ने लगान की परिभाषा कुछ इस प्रकार से दी हैं-
“Rent is that portion of the product of the Earth which is paid to the landlord for the original and understructible powers of the soil.”
रिकार्डो का लगान सिद्धांत की व्याख्या करें
रिकार्डो के अनुसार लगान भूमि के ऊपज का वह भाग हैं जो मालिक को भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के उपभोग के बदले में दिया जाता हैं। मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों का तात्पर्य उन शक्तियों से है जिनके कारण भूमि के अलग-अलग टुकड़ों के उपजाऊपन में विभिन्नता आती हैं। रिकार्डों के अनुसार आर्थिक लगान का कारण भूमि के उपजाऊपन में यह विभिन्नता ही है।
प्राचीन काल में प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार भूमि काम में लाते थे। उस समय लगान नहीं चुकाया जाता था। उस समय जनसंख्या भी काफी कम थी। अतः हम पहले सबसे अच्छी भूमि पर खेती करते थे लेकिन जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ अधिक अन्न की आवश्यकता होने लगी।
अब लोग कम उपजाऊ वाले भूमि पर भी खेती करने लगे। कम उपजाऊ तथा अधिक उपजाऊ भूमि पर समान पूंजी तथा श्रम लगाने पर भी कम उपजाऊ भूमि पर अपेक्षाकृत कम उपज होती हैं। इसी कम उपजाऊ तथा अधिक उपजाऊ भूमि की उपज के अंतर को लगान कहा जाता हैं।
रिकार्डो के अनुसार लगान उत्पादन लागत का भाग नहीं है। लगान तभी उत्पन्न होता है जब अच्छे भूमि का अंत हो जाता है और कम अच्छी भूमि को प्रयोग में लाया जाता है। कम उर्वर भूमि पर कृषि होने से अच्छी भूमि पर कृषक को बचत होने लगती है और यही लगान कहलाता है।
सीमांत भूमि की उपज का मूल्य उसके उत्पत्ति व्यय के बराबर होता हैं, जिससे सीमांत भूमि पर कोई लगान प्राप्त नहीं होता।
“अनाज इसलिए मंहगा नहीं है क्योंकि लगान दिया जाता है बल्कि लगान इसलिए लिया जाता है, क्योंकि अनाज मंहगा है।”
रिकार्डो का सिद्धांत कुछ मान्यताओं पर आधारित
रिकार्डो का सिद्धांत कुछ मान्यताओं पर आधारित है जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं-
- भूमि में कुछ मौलिक शक्ति होती है जो नष्ट नहीं होती हैं।
- भूमि को उनकी उर्वरता के क्रम से जोता जाता हैं।
- यह नियम दीर्घकाल में लागू होता हैं।
यह नियम पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में ही लागू होता हैं। - यह नियम क्रमागत उत्पत्ति ह्रास नियम तथा माल्थस के जनसंख्या के सिद्धांत पर आधारित हैं।
- असमान उर्वर भूमि की उत्पत्ति समान मूल्य पर बिकेगी।
सबसे अधिक लगान वाले भाग से मूल्य तय होता हैं। - जिस भूमि पर कोई लगान प्राप्त नहीं होता अर्थात् उत्पत्ति नहीं के बराबर होती है, उससे केवल उत्पत्ति-व्यय ही प्राप्त होता हैं।
रिकार्डो का लगान सिद्धांत की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए
रिकार्डो के अनुसार लगान भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के कारण उत्पन्न होती है लेकिन आज के अर्थशास्त्रियों के अनुसार भूमि में कोई भी मौलिक तथा अविनाशी शक्ति नहीं पाई जाती। अच्छी भूमि पर भी लगातार खेती करने से उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती हैं। पुनः उस भूमि की उर्वरा शक्ति कृत्रिम उपायों के द्वारा दी जाती है।
रिकार्डो के अनुसार सीमांत भूमि के कारण ही लगान उत्पन्न होता हैं। किंतु इस तरह की सीमांत भूमि कहीं नहीं पायी जाती। जनसंख्या की वृद्धि एवं अन्न की आधिक मांग होने के कारण भूमिपति लगानहीन भूमि से भी लगान वसूल करने में सफल हो जाते हैं।
लगान मूल्य को प्रभावित नहीं करता बल्कि स्वयं मूल्य से प्रभावित होता है किंतु आधुनिक अर्थशास्त्री के अनुसार लगान मूल्य को प्रभावित करता हैं। उनका कहना है कि लगान भी उत्पादन लागत का एक अंश हैं। अगर भूमि का लगान बढ़ जाए तो उत्पादक व साहसी को अधिक लगाना देना पड़ेगा। जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाएगी।
रिकार्डो ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन पूर्ण प्रतियोगिता के आधार पर किया। किंतु लगान निर्धारण प्रतियोगिता से नहीं होता। इसके निर्धारण में रीति-रिवाज, सामाजिक परिस्थितियां तथा कानून का प्रभाव अधिक पड़ता हैं। कभी-कभी किसानों को आर्थिक लगान से भी अधिक लगान देना पड़ता हैं।