वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत | Principales of Scientific Management In Hindi

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वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत एक व्यवसाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रबंध जितना ही अच्छा होगा सफलता उतने ही जल्द और परिणाम अच्छा प्राप्त होगा। आज के इस पोस्ट में मैं आपको वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत, वैज्ञानिक प्रबंध कब आरंभ हुआ तथा इसके पिता कौन है इन सभी बिंदुओं पर बात करेंगे।

वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत

वैज्ञानिक प्रबंध की विचारधारा को सफल बनाने के लिए एफ. डब्ल्यू टेलर ने निम्नलिखित 5 सिद्धांतों का वर्णन किया है। जो नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं-
1. विज्ञान न कि रूढ़िवादिता
2. मित्रता न कि मतभेद
3. सहयोग न कि व्यक्तिवाद
4. अधिकतम उत्पादन न कि सीमित उत्पादन
5. नियोजन न कि तदर्थवाद

1. विज्ञान न कि रूढ़िवादिता – इस सिद्धांत के अनुसार प्रबंध के संपूर्ण कार्य वैज्ञानिक पद्धतियों से किए जाते हैं। इसमें परंपरागत एवं रूढ़िवादी पद्धतियों का त्याग किया जाता है। वैज्ञानिक प्रबंध परंपरा अथवा अंधविश्वास पर आधारित ना होकर विज्ञान पर आधारित होता है। वैज्ञानिक प्रबंध का विकास कई वर्षों के परीक्षण,व्याख्या, विश्लेषण तथा प्रयोग द्वारा हुआ है।

2. मित्रता न कि मतभेद – यह वैज्ञानिक प्रबंध का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार संस्था के अंदर ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिससे श्रमिक एवं प्रबंध दोनों एक दूसरे को अपना पूरक समझे। ऐसी भावना जागृत होने पर दोनों एक ही लक्ष्य का इच्छा करेंगे और तब सफलता निश्चित रूप से उनके कदमों में होगी। एक व्यवसाय में मालिक और कर्मचारी के बीच मित्रता का संबंध होना चाहिए।

3. सहयोग न कि व्यक्तिवाद – इस सिद्धांत के अनुसार संस्था के अंदर व्यक्तिवाद के स्थान पर सहयोग की भावना को प्रोत्साहित किया जाता हैं। टेलर ने संस्था के अंदर सहयोग स्थापित करने के लिए मानसिक क्रांति Mental Revolution पर अधिक बल दिया। एक संस्था, व्यवसाय में मालिक, कर्मचारी तथा नौकर में संबंध स्थापित होना चाहिए। मालिक को यह समझना चाहिए कि कर्मचारी और नौकर उसके व्यवसाय के अहम अंग है उन्हीं से उसका व्यवसाय संचालित होता है। ठीक वैसे ही कर्मचारी और नौकर को भी अपने मालिक के प्रति विरोध नहीं करना चाहिए उन्हें यह समझना चाहिए कि मालिक के कारण ही वह दो वक्त का रोटी खा पाते हैं और उनका जीवन चल रहा हैं।

4. अधिकतम उत्पादन न कि सीमित उत्पादन – अधिक लाभ भला कौन नहीं कमाना चाहेगा इसके लिए व्यवसाय में वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत लागू करना चाहिए। यह सिद्धांत अधिकतम उत्पादन पर बल देता है असीमित उत्पादन का बिल्कुल विरोधी हैं। अधिक उत्पादन होने से अधिक लाभ होगा तो काम करने में भी मन लगेगा जिससे श्रमिकों एवं प्रबंधको में लाभ अधिक हिस्सा में प्राप्त होगा।

5. नियोजन न कि तदर्थवाद – इस सिद्धांत के अनुसार कार्य को मनमाने ढंग से ना करा कर एक निश्चित योजनाओं तथा कार्यक्रम के अनुसार कराना चाहिए तभी जाकर अधिक से अधिक लाभ व व्यवसाय सफल हो सकता हैं। अगर काम बिना प्लानिंग के किया जा रहा हो तो इसका परिणाम क्या होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती है। वैज्ञानिक प्रबंध इसका हस्तक्षेप करता है इसके सिद्धांत के अनुसार कार्य करने से पहले उस कार्य से संबंधित सभी बातों का विश्लेषण, किन-किन संसाधनों की आवश्यकता होगी उसकी सूची तथा एक निश्चित योजना तैयार कर लेना चाहिए और उसके बाद ही उस कार्य को किया जाना चाहिए।

वैज्ञानिक प्रबंध कब आरंभ हुआ

वैज्ञानिक प्रबंध 1913 में आरंभ हुआ इस प्रश्न को इस तरह से भी एग्जाम में पूछा जाता है वैज्ञानिक प्रबंध किस वर्ष स्थापित हुआ था तो इसका भी जवाब 1913 ही है इसमें व्यवसाय को सफल और काफी उन्नति करने के लिए इसके सिद्धांत का इस्तेमाल करना चाहिए इस बिंदु पर अधिक बल दिया जाता है।

वैज्ञानिक प्रबंध के पिता कौन है

एफ.डब्ल्यू टेलर। जिनका पूरा नाम फ्रेडरिक विंस्लो टेलर है। टेलर का जन्म 1856 ईसवी में फिलाडेल्फिया जो कि यूएस में है वहां पर हुआ था। इन्होंने वैज्ञानिक तकनीकों के विकास पर भी अधिक बल दिया। 1911 में वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत पुस्तकें प्रकाशित हुई जिन्होंने जनता का ध्यान वैज्ञानिक प्रबंध की ओर आकर्षित किया।

 

 

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