उत्पादन फलन

उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं अल्पकालीन और दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अंतर, मान्यता आदि बहुत कुछ इस आर्टिकल में पढ़ने के लिए मिलेगा तो आइए आज का नया आर्टिकल शुरू करते हैं।

उत्पादन फलन क्या हैं?

उत्पादन फलन साधनों की भौतिक मात्रा तथा उत्पादन की भौतिक मात्रा के संबंधों को बताता है कि साधनों की भौतिक मात्रा एवं उत्पादन के भौतिक मात्रा के बीच किस प्रकार का संबंध हैं।

एक दी हुई ज्ञान की दशा में किसी फर्म का उत्पादन फलन एक निश्चित समय में साधनों के समस्त संभावित संयोगों और प्रत्येक संयोग से संबंधित अधिकतम उत्पादन के बीच संबंध को प्रकट करता हैं।

उत्पादन फलन का सूत्र क्या हैं?

उत्पादन फलन का सूत्र या समीकरण कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं।
उत्पादन फलन को निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है – P = f (a,b,c,……………..n)

इस समीकरण में P = वस्तुओं की भौतिक उत्पादन दर तथा a,b,c,…………..n विभिन्न भौतिक साधन सेवाएं मानी गयी हैं। इन्हें प्रति समय ईकाई प्रयोग किया जाता हैं।

फलन शब्द से क्या आशय हैं?

आर्थिक विश्लेषण में फलन शब्द एक विशेष अर्थ में प्रयोग किया जाता है जो कि दो या दो से अधिक क्रियाओं अथवा दो घटनाओं के बीच संबंध का कारण तथा परिणाम का संबंध बताता है।

फलन दो चरों के बीच पारस्परिक संबंध को बताता हैं।

उत्पादन फलन की मान्यताएं

यह मान लिया जाता है कि दी हुई समय अवधि में तकनीकी ज्ञान की दशा दी हुई है और इस बीच इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं होता है।

संबंधित फर्म एक निश्चित समय में उत्पादन की अधिकतम कुशल तकनीक का प्रयोग करती हैं जो उस समय प्राप्त हैं।

किसी फर्म का उत्पादन फलन निर्धारित करते समय साधनों की स्थिरता या परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखा जाता हैं। साधनों की स्थिरता एवं परिवर्तनशीलता के आधार पर उत्पादन फलन दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्पादन फलन :- जिनमें कुछ साधन स्थिर और कुछ परिवर्तनशील होते हैं।
  2. उत्पादन फलन :- जिनमें सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।

उत्पादन फलन जिनमें कुछ साधन स्थिर और कुछ परिवर्तनशील होते हैं?

उत्पादन फलन जिनमें कुछ साधन स्थिर और कुछ परिवर्तनशील होते हैं के अंतर्गत हम ऐसे उत्पादन फलन की व्याख्या करेंगे जबकि फर्म एक साधन (श्रम) को परिवर्तनशील रखती है तथा अन्य साधनों को स्थिर बनाए रखती है अर्थात यहां एक परिवर्तनशील साधन वाले उत्पादन फलन को अध्ययन करेंगे।

इस प्रकार के उत्पादन फलन को अल्पकालीन उत्पादन फलन कहा जाता हैं। इसका कारण यह है कि अल्पकाल में कुछ साधन स्थिर रहते हैं जिनमें वृद्धि या परिवर्तन संभव नहीं है।

जब एक फर्म उत्पादन की मात्रा में वृद्धि करने हेतु अन्य साधनों की मात्रा स्थिर रखते हुए एक साधन की मात्रा परिवर्तन रखती हैं तो स्थिर साधनों एवं परिवर्तनशील साधन के बीच अनुपात बदल जाता हैं।

जब एक साधन को परिवर्तनशील तथा अन्य साधनों को स्थिर रखते हैं तो उत्पादन फलन की तीन अवस्थाएं प्राप्त होती है ।
उत्पादन फलन की इन अवस्थाओं को सीमांत उत्पादन, कुल उत्पादन तथा औसत उत्पादन इन तीनों आधार पर व्यक्त किया गया है।

उत्पादन फलन जिनमें सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं?

इस प्रकार के फलन को दीर्घकालीन उत्पादन फलन कहा जाता है सभी साधनों में एक साथ परिवर्तन होने पर फॉर्म के प्लांट का अस्तर या पैमाना बदल जाता है अतः इस स्थिति में उत्पादन होने वाले परिवर्तन के लिए पैमाने का प्रतिफल वाक्यांश का प्रयोग किया जाता हैं।

जब उत्पादन साधनों में सामान्य एक ही अनुपात में परिवर्तन किया जाता है तो तीन अवस्थाएं दिखाई देती है अर्थात उत्पादन साधुओं की मात्रा में परिवर्तन तथा उत्पादन की भौतिक मात्रा में परिवर्तन के बीच तीन प्रकार का फल में पाया जाता है।

  1. पैमाने का बढ़ता प्रतिफल
  2. पैमाने का स्थिर प्रतिफल
  3. पैमाने का घटता हुआ प्रतिफल