चंदा किसे कहते हैं | Subscription In Hindi

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चंदा यह एक सरल शब्द है। इस शब्द का अधिकतर उपयोग गैर व्यापारिक संस्था के द्वारा किया जाता है। चंदा को अंशदान, सदस्यता शुल्क के नाम से जानते हैं। इस आर्टिकल में चंदा किसे कहते हैं, उदाहरण, गणना, दान, प्रकार, मानदेय आदि और पोस्ट के अंत में FAQs दिया गया है।

 

चंदा किसे कहते हैं?

यह (Subscription) सदस्यता शुल्क है जिसका भुगतान सदस्य द्वारा वार्षिक आधार पर किया जाता है। यह लाभ न कमाने वाली संस्था के लिए आयगत प्राप्ति होता है इसे आय-व्यय खाते के क्रेडिट में तथा प्राप्ति भुगतान खाता के डेबिट में लिखा जाता है।

साधारण शब्दों में कहा जाए तो आज इसका उपयोग लगभग सभी छोटे-बड़े कंपनी करते हैं आपने यह अवश्य ही देखा होगा कि Hotstar+Disney जैसे Prime Video, Tv , Airtel Stream, Youtube Subscription आदि Premium फीचर्स का उपयोग करना/सर्विस लेना चाहते हैं तो आपको Subscription Buy करना पड़ता है यानी कि जब आप चंदा क्रय करेंगे तो आप उस कंपनी के द्वारा जो सर्विस दी जा रही हैं आप उसे एक निश्चित समय तक एक्सेस कर पाएंगे।

Subscription को उदाहरण के माध्यम से समझाएं

गैर व्यापारिक संस्था के लिए चंदा आय का एक प्रमुख स्रोत होता है। मान लिया जाए आप क्लास 12वीं बोर्ड की तैयारी कर रहे हैं और आपके पास समय बिल्कुल कम है तो आप यही कोशिश कीजिएगा कि जल्द से जल्द परीक्षा की तैयारी हो जाए।चंदा किसे कहते हैं?

YouTube, Facebook, Instagram या कोई दूसरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपको एक Ad प्रचार दिखता है जिसमें 30 दिन के अंदर 12वीं बोर्ड की तैयारी कराने का वादा किया गया होता है बदले में आपको उनका Subscription Buy करना होगा जिसका वैलिडिटी 2 महीने है।

इस उदाहरण में यह समझाने का प्रयास किया गया है कि किसी सर्विस को प्राप्त करने के लिए जो पैसे एक निश्चित समय के लिए दिया जाता है उसे ही ‘Subscription’ कहते हैं।

 

चंदा की गणना किस प्रकार से की जाती हैं?

चंदा की गणना करने के लिए एक सूत्र प्रतिपादित किया गया है जो नीचे इस प्रकार से दिया गया है-

वर्ष के दौरान प्राप्त चंदा
(+) वर्ष के अंत में बकाया चंदा
(+) वर्ष के प्रारंभ में अग्रिम चंदा
(-)वर्ष के प्रारंभ में बकाया चंदा
(-)वर्ष के अंत में अग्रिम चंदा

चंदे से प्राप्त शुद्ध राशि जिसे आय-व्यय खाते में दिखाया जाता हैं क्रेडिट पक्ष में।

दान से आप क्या समझते हैं?

साधारण शब्दों में कहा जाए तो दान से अभिप्राय उस प्राप्त राशि से है जो किसी व्यक्ति, संस्था, कंपनी, फर्म आदि से उपहार के स्वरुप में मिलता है। यह गैर व्यापारिक संस्था के लिए आय का एक मुख्य स्त्रोत होता है। दान (Donation) कैश या फिर किसी वस्तु के रूप में प्राप्त हो सकता है। यह सबसे पहले प्राप्ति और भुगतान खाते के Dr. पक्ष में दर्शाया जाता है।

उदाहरण आपने भी यह शब्द अवश्य सुना होगा और हो सकता है आप कुछ ना कुछ पैसे या चावल, दाल आदि उपहार स्वरूप दिए होंगे। आपके घर कोई साधु, महात्मा आते हैं और आप उन्हें कुछ वस्तुएं देते हैं यही “दान (Donation)” कहलाता है।

दान के कितने प्रकार होते हैं?

सामान्यत दान दो प्रकार के होते हैं इसे आप अच्छे से समझ जाएंगे तो ही Donation को किस खाते में लिखा जाता है आप पूरी तरह से क्लियर हो पाएंगे।

  1. सामान्य दान General Donation
  2. विशिष्ट दान Special Donation

वैसे दान जो साधारण काम को करने हेतु प्राप्त होता है उसे “सामान्य दान” कहा जाता है इन्हें आय-व्यय खाते के क्रेडिट भाग में लिखा जाता है। यदि सामान्य दान की राशि कम है तो इसे आय-व्यय खाते के आय भाग में लिखा जाता है।

वैसा दान जो किसी विशेष उद्देश्य के लिए प्राप्त होता है उसे “विशिष्ट दान” कहा जाता है। विशिष्ट दान की राशि कम हो या फिर अधिक पूंजीगत आय माना जाता है।

अब आप यह गलती मत कीजिएगा दान के चुनाव में
सामान्य दान – Income & Expenditure Account
विशिष्ट दान – यह पूंजीगत आय होता है इसे बैलेंस शीट के दायित्व पक्ष में लिखा जाता है।

Example Of Special Donation –
कालेज के निर्माण के लिए दिया गया दान, मशीन के क्रय के लिए दिया गया दान तथा भवन या पुस्तकालय के निर्माण के लिए दान आदि।

यदि आप यह डिसीजन नहीं कर पा रहे हैं कि Donation कम है या अधिक तो इसे आय-व्यय खाते के क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता हैं।

 

 

मानदेय क्या होता हैं?

मानदेय (Honorarium) वह राशि है जो ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो संस्था के कर्मचारी नहीं होते है इसे किसी विशिष्ट कार्य या सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसे आय-व्यय माना जाता है और आय-व्यय खाते के डेबिट पक्ष में लिखा जाता है।

सरकारी सहायता एवं अनुदान से आप क्या समझते हैं?

जब सरकार से किसी कार्य को करने के लिए पैसे सहायता के रूप में प्राप्त होता है तो इसे ‘सरकारी सहायता एवं अनुदान’ कहा जाता है जैसे- School, College, University, Hospital etc. इस पर आधारित होता है।

अनुदान यानि दान सामान्य उद्देश्य से मिल रहा हो तो इसे आयगत प्राप्ति माना जाता है और इसके विपरीत विशेष उद्देश्य से प्राप्त हुआ हो तो पूंजीगत प्राप्ति माना जाता है।

लाभ न कमाने वाली संस्थाओं को सरकार या सरकारी एजेंसी से रोकड़, अनुदान मिलता है यह अनुदान भी उस वर्ष के लिए आगम आय होगी जिस वर्ष में यह प्राप्त किया गया होगा।

प्रवेश शुल्क या नामांकन शुल्क को परिभाषित करें

वैसा शुल्क जो सदस्य बनने के लिए दिया जाता है उसे ‘प्रवेश शुल्क’ कहा जाता है ठीक वैसे ही स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट में नामांकन कराते समय जो पैसे नामांकन हेतु दी जाती है उसे ‘नामांकन शुल्क’ कहा जाता हैं।

 

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