व्यवहार्यता अध्ययन | Feasibility Study In Hindi

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साहसिक सुअवसरों की पहचान एवं व्यवहार्यता अध्ययन महत्वपूर्ण चैप्टर हैं। व्यवहार्यता अध्ययन के बारे में जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है इससे एग्जाम में प्रश्न बनते हैं तो स्टूडेंट कैसे हैं आप एग्जाम की तैयारी कैसी चल रहा है नीचे कमेंट करके बताएं।

आज के इस पोस्ट में आप व्यवहार्यता अध्ययन यानी कि Feasibility Study In Hindi क्या हैं, मुख्य बिंदु तथा अन्य सभी बातों को जानेंगे। व्यवहार्यता अध्ययन के बारे में जाने से पहले आपको व्यवहार्यता क्या होता है उसके बारे में जाना होगा तो स्टूडेंट चलिए जानते हैं व्यवहार्यता क्या होता हैं।

व्यवहार्यता क्या है

एक साहसी या उद्यामी बहुत ही मेहनती व्यक्ति होता हैं। वह हमेशा कुछ ना कुछ अवसर की तलाश करते रहता हैं। उद्यमी द्वारा अपने लिए खोजे गए अवसर को कार्यरूप में परिवर्तित करना होता है इसके लिए वह सभी आवश्यक संसाधन जुटाने का प्रयास करता है तथा वह संसाधन एकत्रित करने से पहले अपने द्वारा खोजे गए अवसर को व्यवहारिक जीवन बाजार में इसका क्या मूल्य है उसे जाने का प्रयास करता है।
अतः साहसी द्वारा अपने अवसर को ढूंढने के पश्चात यह जानना कि उसका बाजार में वास्तविक मूल्य क्या होगा इसी को ‘व्यवहार्यता’ कहा जाता है।

अध्ययन – अध्ययन से आशय किसी भी वस्तु यानी कि वह सजीव हो या फिर निर्जीव उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने से है यदि यही जानकारी काफी डीप में किया जाए तो उसे गहन अध्ययन कहा जाता हैं।

उदाहरण – एक व्यापारी को अपने व्यापार के कुल लाभ- हानि को जानने के लिए प्रतिदिन के लेनदेन को रिकॉर्ड करना होगा । इस रिकॉर्ड की गई डाटा से वह मोटा- मोटी कितना लाभ तथा हानि हुआ है उसे जान सकता है लेकिन बिल्कुल करेक्ट जानकारी के लिए उसे वित्तीय विवरण तैयार करना होगा । यहां प्रतिदिन सौदों के रिकॉर्ड करना व उससे लाभ- हानि जानना अध्ययन है और इसे वित्तीय विवरण के द्वारा जानना गहन अध्ययन है।

 

व्यवहार्यता अध्ययन की परिभाषा क्या है

उद्यमी द्वारा अपने उपक्रम के लिए वस्तु का चुनाव करने के बाद उसे साकार रूप देने के लिए विचार किया जाता है कि उसके उत्पाद के लिए जो उपक्रम बनाई जाएगी वह कैसी होगी, कहां होगी, कैसे संचालित होगी, क्या लागत आएगी, विक्रय मूल्य कितना होगा, पैकिंग कैसी होगी, विज्ञापन क्या हैं, इसका अन्य प्रतियोगियों पर क्या असर पड़ेगा, लाभ की क्या गुंजाइश होगी आदि पूरी संभावनाओं का अध्ययन किया जाता है कि उसके उत्पाद की कल्पना व्यवहारिक है या नहीं । इसे ही ‘व्यवहार्यता अध्ययन’ कहा जाता हैं।

किसी भी व्यक्ति द्वारा वह जिस कार्य को करने जा रहा है उसके बारे में नाखून से बाल तक की पूरी संभावना का अध्ययन करना ही व्यवहार्यता अध्ययन कहलाता हैं।

व्यवहार्यता अध्ययन के लाभ

कोई भी चीज या कार्य हो उसके लाभ तो अवश्य ही होते हैं बिना लाभ के कोई भी व्यक्ति कोई कार्य नहीं करना चाहता है और ना ही करता है यह बात पूरी तरह से सत्य है। वैसे ही व्यवहार्यता अध्ययन के कुछ महत्वपूर्ण लाभ है जो नीचे के पंक्ति में दिए गए हैं-

  • व्यवहार्यता अध्ययन करने से साहसी को अपने द्वारा चुने गए उत्पाद के संबंध में आवश्यक जानकारी प्राप्त हो जाता हैं।
  • यह व्यापार को सफलता की सीढ़ी चढ़ाने का पहला कदम हैं।
  • इस अध्ययन में उस उत्पाद से संबंधित हर तरह के बातों को पता लगाया जाता है।
  • व्यवहार्यता अध्ययन करने से वास्तविक जोखिम का पता चल पाता हैं।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें उत्पाद का बाजार में क्या मूल्य होगा उसे सुनिश्चित किया जा सकता है।

व्यवहार्यता अध्ययन के प्रकार

व्यवहार्यता अध्ययन के निम्नलिखित प्रकार होते हैं जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं-

  1. आर्थिक व्यवहार्यता
  2. बाजार व्यवहार्यता
  3. पारिस्थितिक व्यवहार्यता

1.आर्थिक व्यवहार्यता – आर्थिक व्यवहार्यता सामाजिक दृष्टिकोण के आधार पर मूल्यांकन से संबंधित है। इसमें सामाजिक लागत एवं लाभ पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं। इसे सामाजिक लाभ विश्लेषण के नाम से भी जाना जाता है।

2. बाजार व्यवहार्यता – उत्पाद का चुनाव करने से पहले उसके बाजार का निर्धारण कर लेना चाहिए कि उत्पाद का बाजार स्थानीय होगा या फिर अंतरराष्ट्रीय। यदि वह उत्पाद बाजार में उपलब्ध है तो देखना चाहिए कि उद्यमी अब जो उत्पाद लाने जा रहा है उसका कारण क्या है पुराने उत्पाद की तुलना में उसके नए उत्पाद के प्रति बाजार का क्या रुख रहेगा। अतः उत्पाद लाने से पूर्व बाजार का अध्ययन करना ही ‘बाजार व्यवहार्यता’ कहलाता हैं।

3. पारिस्थितिक व्यवहार्यता – पारिस्थितिक व्यवहार्यता उन परियोजनाओं के लिए आवश्यक है जिनका प्रभाव पर्यावरण पर प्रत्यक्ष रुप से पड़ता है। जैसे- सिंचाई, सीमेंट, रसायन उद्योग, विद्युत आदि। इनका उद्देश्य पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकना हैं।

मुख्य बिंदु व्यवहार्यता अध्ययन

1. व्यवहार्यता अध्ययन की आवश्यकता की व्याख्या आप कैसे करेंगे?
उत्तर – व्यवहार्यता अध्ययन का अर्थ परियोजना की लाभदायकता का मूल्यांकन करना होता हैं। इसमें प्लानिंग यानी कि नियोजन, विश्लेषण तथा मूल्यांकन को शामिल किया जाता है यह विनियोग पूर्ण जांच हेतु सूचना उपलब्ध कराने में सहायक होता है।

 

मुझे उम्मीद है कि अब आपको कोई भी डाउट नहीं होगा। यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आया होगा। अपना एक फीडबैक जरूर दें।

इस पोस्ट में व्यवहार्यता अध्ययन के बारे में कम्पलीट इनफार्मेशन दी गयी है ।

 

 

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