दायित्व का अर्थ जिम्मेदारी से लगाया जाता है अर्थात अगर आपको या किसी भी व्यक्ति को कोई काम मिला है तो वह व्यक्ति उस काम के प्रति उत्तरदायी होगा। अंकेक्षण एक महत्वपूर्ण शब्द है। किसी कंपनी का अंकेक्षण करने वाला व्यक्ति उस कंपनी के कार्य का जिम्मेदार होता है। इस नए आर्टिकल में कंपनी अंकेक्षण के दायित्व को विस्तारपूर्वक समझाया गया है।
कंपनी अंकेक्षण के दायित्व में 3 शब्द है- कंपनी, अंकेक्षण तथा दायित्व । यह तीनों शब्द अपने आप में व्यापक है। चलिए मैं आपको इन तीनों शब्दों से रूबरू कराता हूं।
कंपनी (Company) – यह विधान द्वारा बनाया गया होता है इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है और पढ़ें
अंकेक्षण (Auditing) – बिजनेस में जो भी क्रियाकलाप होते हैं उनकी शुद्धता, सत्यता की जांच करना अंकेक्षण कहलाता है। इससे व्यवसाय को Grow करने का अधिक अवसर मिल पाता है। जो व्यक्ति अंकेक्षण का कार्य करते हैं उसे अंकेक्षक कहा जाता है। अंकेक्षण करने से व्यवसाय के लाभ-हानि खाता तथा आर्थिक स्थिति के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो पाता है।
दायित्व (Liabilities) – दायित्व का मूल संबंध जिम्मेदारी से होता है और जिम्मेदारी का सृजन अधिकार से होता है।
कंपनी अंकेक्षण के दायित्व बताइए
एक अंकेक्षक के द्वारा किसी भी कंपनी का अंकेक्षण करते समय काफी सावधानी एवं बुद्धिमानी से काम करना होता है। कंपनी अंकेक्षण कराने के लिए अंकेक्षक को नियुक्त करती है। जो कंपनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों में उल्लेख है। बदले में उन्हें पैसे पे करती है तो अंकेक्षक का भी जिम्मेदारी बनता है कंपनी का अंकेक्षण सही ढंग से करें।
इस प्रकार से अंकेक्षक का कंपनी के अंकेक्षण की जिम्मेदारी ही ‘कंपनी अंकेक्षण के दायित्व’ हैं। अंकेक्षण कई तरह के व्यापार में किया जाता है-
- एकाकी व्यापार
- साझेदारी व्यापार
एकाकी व्यापार में अंकेक्षण के दायित्व
एकाकी व्यापार एक व्यक्ति के द्वारा चलाया जाने वाला व्यापार होता है। बिजनेस के सभी क्रियाकलापों (लेन-देन, सेल, खाता बनाना, पोस्टिंग करना आदि) स्वयं करता हो। ऐसे तो इस तरह के व्यापार के लिए अंकेक्षण अनिवार्य नहीं है लेकिन व्यवसाय का मालिक अंकेक्षण करा सकता है। एकाकी व्यापार में अंकेक्षक की नियुक्ति प्रसंविदे के आधार पर होता है। अंकेक्षक को क्या करना है सभी कुछ इस प्रसंविदे में लिखा हुआ होता है। यदि अंकेक्षक इस प्रसंविदे के अनुसार कार्य नहीं करता है तो वह जिम्मेदार है उसने ऐसा क्यों किया संपूर्ण जानकारी देना पड़ेगा।
अतः अंकेक्षक जब भी किसी एकाकी व्यापार का अंकेक्षण करने हेतु नियुक्त किया जाता है तो उसे अपने नियोक्ता से अपना कार्य क्षेत्र लिखित में ले लेना चाहिए।
साझेदारी व्यापार में अंकेक्षण के दायित्व
जिस प्रकार से एकाकी व्यापार में व्यवसाय का अंकेक्षण अनिवार्य नहीं है ठीक वैसे ही साझेदारी व्यापार में भी। इसमें अंकेक्षण साझेदारों की सहमति से होता है। इसमें भी अंकेक्षक की नियुक्ति प्रसंविदे के आधार पर किया जाता है। उनके द्वारा कार्य सही ढंग से पूरा नहीं होने पर, काम में लापरवाही करने पर उसे उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
एक अंकेक्षक का दायित्व क्या होना चाहिए
एक अंकेक्षक कंपनी के अंशधारियों (Shareholders) का प्रतिनिधि होता है। इसका कर्तव्य होता है कि वह अपना कार्य पूरी ईमानदारी, लगन, निष्ठा, बुद्धिमानी, सावधानी तथा सतर्कता से करें तथा साथ ही उनके हितों की रक्षा करें।
अगर अंकेक्षक के कारण रिपोर्ट में दिए गए सूचना गलत साबित होता है और कंपनी को भारी नुकसान होता है तो अंकेक्षक उत्तरदायी होगा। उसके ऊपर मुकदमा भी दायर किया जा सकता है। पर ध्यान दे अंकेक्षक की गलतियां, लापरवाही न्यायालय (Court) में भी सिद्ध होने चाहिए।
लापरवाही से क्या तात्पर्य हैं?
लापरवाही को परिभाषित करना काफी सिंपल हैं “लापरवाही का आश्य एक ऐसे कार्य को ना करना है जिसे एक बुद्धिमान तथा न्याययुक्त व्यक्ति को करना चाहिए था या ऐसे कार्य को करना है जिससे एक बुद्धिमान तथा न्याय युक्त व्यक्ति ना करता। यदि कोई अंकेक्षक अपने कर्तव्य को पूरी सावधानी, चतुराई, ईमानदारी के साथ पूरा ना करें तो वह लापरवाही का दोषी माना जाएगा।
अंकेक्षण द्वारा किए जाने वाले लापरवाही के प्रकार
किसी भी फर्म का अंकेक्षण करते समय अंकेक्षक लापरवाही करता है तो उसकी लापरवाही भी एक तरह के नहीं होते हैं अर्थात लापरवाही कई तरह के होते हैं –
- कंपनी की आंतरिक प्रबंध पर भरोसा करके अंतिम रिपोर्ट तैयार करना – अंकेक्षक अगर कंपनी से अधिक जुड़ा हुआ हो और उसके ऊपर कंपनी के मालिक का पूरा विश्वास बना है तो इस तरह का लापरवाही अंकेक्षक द्वारा होने का चांस ज्यादा बनता है।
- गलतियों, गबन का पता ना लगाना – जब अंकेक्षक के द्वारा गलतियों, गबन का बिना खोज किए ही अंतिम रिपोर्ट प्रमाण के रूप में दे दिया जाता है तो यह उसकी लापरवाही कहलाएगी । इसके लिए अंकेक्षक जिम्मेदार होगा।
- कंपनी के कर्मचारी द्वारा स्टॉक के मूल्य को बढ़ा चढ़ाकर दिखाना (अगर कंपनी के अंदर के लोग ही धोखाधड़ी करेंगे तो असली रिपोर्ट अंकेक्षक के द्वारा तैयार करना मुश्किल है)
- खुदरा रोकड़ बही के शेष का सत्यापन नहीं करना।
- सावधानी से, कुशलता से कार्य न करना लापरवाही हैं।
- संचय की पूर्ण जांच ना करना।
भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के दायित्व समझाइए
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 35 के अनुसार प्रविवरण में गलत सूचना देने पर प्रविवरण के जारी को अधिकृत करने वाले प्रवर्तक, निर्देशक एवं अंकेक्षक सहित अन्य व्यक्तियों का दायित्व दीवानी दायित्व होता हैं।
जिसका उल्लेख इस धारा में किया गया है। इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति प्रविवरण के आधार पर कंपनी का शेयर खरीद लेता है और बाद में पता चलता है उस प्रविवरण में उल्लेखित सूचना गलत है जिसके परिणाम स्वरुप उस व्यक्ति को भारी नुकसान होता है तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के नुकसान का निम्न व्यक्ति जिम्मेदार होंगे-
- वह व्यक्ति जो प्रविवरण निर्गमन के समय कंपनी का निर्देशक है।
- यदि अपने को प्रविवरण में कंपनी के निर्देशक के रूप में नाम जोड़ने के लिए अधिकृत करता है यह शीघ्र या कुछ समय अंतराल के पश्चात कंपनी के निर्देशक बनने की स्वीकृति दे दी है।
- अंकेक्षक सहित यदि कोई व्यक्ति प्रविवरण के निर्गमन को अधिकृत करता है।
- यदि कंपनी का प्रवर्तक है।