पार्षद सीमा नियम तथा पार्षद अंतर नियम में अंतर स्पष्ट कीजिए

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पार्षद सीमा नियम तथा पार्षद अंतर नियम में निम्नलिखित आधार पर अंतर स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. उद्देश्य के आधार पर अंतर – पार्षद सीमा नियम बनाने का उद्देश्य कंपनी के उच्च पदाधिकारियों को कंपनी के कार्यों के नियमों तथा उपनियमों की जानकारी देना है।
  2. परिवर्तन के आधार पर अंतर – पार्षद नियम में परिवर्तन लाना कठिन होता है। वैधानिक कार्यवाही करने के बाद न्यायालय द्वारा आज्ञा प्राप्त कर इसमें परिवर्तन लाया जा सकता है परंतु अंतर नियम में परिवर्तन लाना आसान होता है। केवल सदस्यों के विशेष प्रस्ताव द्वारा इसमें परिवर्तन लाया जा सकता है।
  3. अनिवार्यता के आधार पर – पार्षद सीमा नियम में बिना कंपनी के रजिस्ट्रेशन अथवा सम्मेलन नहीं हो सकता है परंतु अंतर नियम प्रत्येक कंपनी के लिए आवश्यक नहीं होती है। इनके ना रहने पर Table A नियम लागू होता है।
  4. वैधानिक प्रभाव के आधार पर अंतर – पार्षद सीमा भंग होने पर अन्य व्यक्तियों के बीच की प्रसंविदा को लागू नहीं किया जा सकता है परंतु अंतर नियम के भंग होने पर प्रसंविदा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  5. शक्तियों से बाहर का सिद्धांत के आधार पर अंतर – पार्षद सीमा नियम में वर्णित कार्य क्षेत्र के बाहर कंपनी द्वारा किया गया सभी कार्य विवर्जित होते हैं ऐसे कार्यों को सभी सदस्यों द्वारा भी सम्पुष्ट नहीं किया जा सकता है परंतु अंतर नियम के अधिकार क्षेत्र से बाहर किए गए कार्यों को सदस्यों द्वारा संतुष्ट किया जा सकता है।

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