वैज्ञानिक प्रबंध के सीमाएं | वैज्ञानिक प्रबंध के दोष

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अगर किसी वस्तु के लाभ है तो अवश्य ही उस वस्तु की कुछ सीमाएं भी होंगे। वैज्ञानिक प्रबंध दोष रहित होता है यह एक ऐसी औषधि है जिसको प्रयोग में लाने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है इतना प्रभावशाली होते हुए भी वैज्ञानिक प्रबंध के जनक F.W. टेलर प्रबंध के सिद्धांतों को आलोचित किया गया हैं।

वैज्ञानिक प्रबंध के सीमाएं, दोष और अवगुण क्या हैं

वैज्ञानिक प्रबंध के सीमाएं को निम्नलिखित व्यक्तियों द्वारा विरोध किया जाता है जो इस प्रकार से दिए गए हैं-
1. श्रमिकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का विरोध
2. निर्माताओं तथा उत्पादकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का विरोध

1. श्रमिकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का विरोध –

  • उत्पाद क्रियाओं का अत्यधिक प्रमाणीकरण एवं विशिष्ट करण होने से श्रमिक केवल उसी क्रिया को कार्यक्षमता से कर सकता है तथा उसे अन्य क्रियाओं का थोड़ा भी ज्ञान नहीं होता हैं।
  • श्रमिक वर्ग को वेतन उस अनुपात में नहीं मिलता है जिस अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
  • वैज्ञानिक प्रबंध में श्रमिकों को स्वतंत्रता पूर्वक काम करने के लिए कोई जगह नहीं होता हैं।
  • श्रम संघों की दृष्टि से यह प्रणाली हानिकारक है क्योंकि यह श्रमिकों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित करती हैं।
  • वैज्ञानिक प्रबंध में श्रमिकों को चारों तरफ से शोषण किया जाता हैं।

2. निर्माताओं तथा उत्पादकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का विरोध-

  • यह प्रणाली काफी महंगी है। इसमें मशीनें, औजारें आदि के खराब व पुराने हो जाने पर नया खरीदना पड़ता है।
  • सिद्धांत रूप में चाहे जो कुछ कहा जा सकता है किंतु व्यवहारिक रूप में पूर्ण प्रमाणीकरण प्राप्त करना कोई आसान कार्य नहीं है जबकि वैज्ञानिक प्रबंध में अपराधीकरण का होना नितांत आवश्यक हैं।
  • वैज्ञानिक प्रबंध के अंतर्गत पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है। इन्हें प्राप्त करना कोई आसान कार्य नहीं हैं।
  • यह छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए अनुपयुक्त हैं।
  • अधिक पूंजी की आवश्यकता होती हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

Q.1. क्या वैज्ञानिक प्रबंध छोटे संगठनों के लिए भी उपयोगी हैं?
उत्तर- नहीं, वैज्ञानिक प्रबंध केवल बड़े संगठनों के लिए ही उपयोगी हैं।

Q.2. वैज्ञानिक प्रबंध की एक पद्धति के रुप में सरलीकरण का क्या अर्थ हैं?
उत्तर – इसका अभिप्राय विभिन्न व्यवसायिक क्रियाओं के लिए प्रमाप निर्धारण करने वाली प्रक्रिया से हैं।

Q.3. प्रबंध के सिद्धांतों को सार्वभौमिक क्यों कहा जाता हैं?
उत्तर – क्योंकि यह सभी प्रकार के संगठनों में, सभी प्रकार के स्तरों में एवं किसी भी समय प्रयोग करने योग्य होता हैं।

 

 

 

 

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