Motivation किसी भी कार्य को करने के लिए अभिप्रेरण की आवश्यकता होती है। बिना अभिप्रेरण के कोई कार्य संपन्न यह नहीं किए जा सकते हैं। Motivation Process कई चरणों से होकर गुजरता है। आज के इस Article में आप Motivation Process (अभिप्रेरणा प्रक्रिया) के बारे में जानेंगे।अभिप्रेरणा प्रक्रिया | Motivation Process
अभिप्रेरणा प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
अभिप्रेरणा प्रक्रिया से हमारा आश्य यह जानने से होता है कि यह कहां से शुरू होकर कहां पर समाप्त होता है। यह कोई ऐसा- वैसा कार्य नहीं है जो एक ही झटके में पूरा हो जाए बल्कि यह अनेक चरणों का समूह होता हैं। कूण्ट्ज और ओ’डोनल’ ने अभिप्रेरणा प्रक्रिया को निम्न प्रकार से परिभाषित किए हैं। जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं-
उपयुक्त Picture के अनुसार सबसे पहले मनुष्य को कोई जरूरत महसूस होती है। जो आवश्यकता को जन्म देती है। इस आवश्यकता के परिणाम स्वरूप तनाव पैदा होता है जो कार्यवाही को जन्म देता है और इस कार्यवाही के फलस्वरूप मनुष्य की जरूरत की संतुष्टि हो जाती हैं। इसे आवश्यकता संतुष्टि चक्र (Need-want-Satisfaction chain) भी कहा जाता है।
आवश्यकता संतुष्टि चक्र |Need-want-Satisfaction chain
इस चक्र के अनुसार सर्वप्रथम मानव को किसी वस्तु या चीज की कमी अनुभव होती है । ऐसा लगता है कि यह वस्तु बहुत ही जरूरी है और इसको खरीदे बिना काम चल ही नहीं सकता। अब उसको खरीदना या पाना कैसे हैं इसके फलस्वरूप तनाव का जन्म होता है जो कार्यवाही को जन्म देती है। परिणाम स्वरूप कार्यवाही पूरी होने के बाद मनुष्य को संतुष्टि मिल जाती है।
जरुरत – जन्म देती है – आवश्यकता को – जिससे उत्पन्न होता है – तनाव – जो जन्म देता है – कार्रवाही को – जिससे प्राप्त होता है – संतुष्टि .
‘आवश्यकताएं व्यक्ति को लगातार अभिप्रेरित करती हैं।
Need want satisfaction chain example
एक आवश्यकता की संतुष्टि प्रायः दुसरी आवश्यकता की पूर्ति होने में मदद करता है। जैसे – मोबाइल फोन खरीदने पर नया Sim Card को भी लेना, भोजन की इच्छा पूरी हो जाने पर जल की इच्छा, Notebook खरीदने की इच्छा पूरी हो जाने पर कलम व उससे संबंधित सामग्री की भी इच्छा पूरी हो जाती है।
आवश्यकता संतुष्टि प्रक्रिया | Need Satisfying Process
कभी-कभी होता यूं है कि हमें एक साथ कई इच्छाओं को पूरा करना होता है। ऐसी स्थिति में जो इच्छा सबसे अधिक Important है उसको पूरा किया जाता है। एक आवश्यकता पूरी हो जाती है तो दूसरी आवश्यकता का जन्म होता है और यह प्रक्रिया निरंतर चलते रहता है।
रोबिन तथा कोल्टर ने Need Satisfying Process कुछ इस प्रकार से परिभाषित किया है-
1.असंतुष्ट आवश्यकता – Motivation Process के इस प्रथम Stage में किसी मनुष्य को ऐसा महसूस होता है कि उसे किसी वस्तु या चीज की कमी है।
2.तनाव (Tension) – अब व्यक्ति के मन में तनाव उत्पन्न हो जाता है। उस वस्तु को कैसे खरीदा जाए कि उसकी आवश्यकता पूरी हो जाए।
3.तेज – आवश्यकता संतुष्टि के तीसरे चरण में व्यक्ति के मस्तिष्क में उस वस्तु को करने से संबंधित विचार आते हैं और आवश्यकता की पूर्ति हेतु प्रयास करते रहता है।
4.खोज व्यवहार – यह चरण आवश्यकता संतुष्टि प्रक्रिया में काफी महत्वपूर्ण होता है । किसी भी कार्य को करने के लिए कई सारे तरीके होते हैं। इस चरण में एक व्यक्ति आवश्यकता को पूरा करने के लिए विभिन्न विकल्पों (Options) को खोजता है तथा सर्वाधिक बेहतर विकल्प को ही अपनाता है।
5.आवश्यकता संतुष्टि- यह चरण पूरी तरह से खोज व्यवहार पर निर्भर करता है। यदि सही विकल्प का चुनाव किया गया होगा तो अवश्य ही और आवश्यकता की प्राप्ति हो जाएगी।
6.तनाव से आजादी -जब व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर लेता है तो उसे तनाव से मुक्ति मिल जाती हैं।
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अभिप्रेरणा प्रक्रिया | Motivation Process.